नागरी संगम के 178वे अंक के लोकार्पण के साथ राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना का 32वां साहित्य अलंकरण सम्मान समारोह संपन्न

उज्जैन। संविधान में हिंदी को राजभाषा का दर्जा दिया गया है वहीं आठवीं सूची में भारत की अन्य 22 भाषाओं का उल्लेख है। हम भारतीयों का कर्तव्य हो जाता है कि हम हिंदी को अपनाए एवं भारत की अन्य भाषाओं को भी महत्व दें। आज कई क्षेत्रीय भाषाएं अपने अस्तित्व रक्षा के लिए संघर्ष कर रही है। कुछ इसी प्रकार के विचारों को व्यक्त करते हुए राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के 32 में अखिल भारतीय सम्मान समारोह में विद्वानों ने विचार व्यक्त किये। कार्यक्रम श्री मध्य भारत हिंदी साहित्य समिति के सभागार में वहां के प्रधानमंत्री अरविंद जवलेकर की अध्यक्षता में संपन्न हुआ। इस अवसर पर हिंदी के लिए समिति के द्वारा किए जा रहे कार्यों का उल्लेख किया गया।

इस समारोह में वरिष्ठ साहित्यकार नर्मदा प्रसाद उपाध्याय, डॉ. सरोज कुमार, डॉ. हरिसिंह पाल, डॉ. पूरन सहगल, विक्रम प्रकाश विद्यार्थी, डॉ. शहनाज शेख तथा डॉ. आर.सी. ठाकुर को साहित्य रत्न अलंकरण प्रदान किए गए। वहीं डॉ. जवाहर करनावट, शैली भागवत, पद्म चन्द गांधी, सुंदरलाल जोशी, डॉ. कृष्णा जोशी, डॉ. शशि निगम, डॉ. अरूणा सराफ, कुसुम श्रीवास्तव, सुधा शर्मा एवं डॉ. प्रतिभा येरेकर को साहित्य गौरव सम्मान प्रदान किए गए। इस अवसर पर श्री उपाध्याय, डॉ. सरोज कुमार, जवाहर कर्णावत, अरविंद जवलेकर एवं डॉ. हरि सिंह पाल ने हिंदी एवं नागरी लिपि पर अपने विचार व्यक्त किए। आरंभ में मां सरस्वती वंदना, डॉ. कृष्णा जोशी ने प्रस्तुत की। अतिथि परिचय हिंदी परिवार इंदौर के अध्यक्ष हरेराम वाजपेई ने दिया।

स्वागत उद्बोधन संस्था अध्यक्ष ब्रजकिशोर शर्मा ने तथा संचालन शैली भागवत ने किया। अंत में आभार व्यक्त संस्था महासचिव प्रभु चौधरी ने किया। कार्यक्रम के अंत में स्वर्गीय बाबूलाल भार्गव, डॉ. अशोक कुमार भार्गव के पिता तथा नागरी लिपि के आजीवन सदस्य पद्मभूषण बिंदेश्वर पाठक को श्रद्धांजलि प्रदान की गई। कार्यक्रम में दिल्ली, उज्जैन, मनासा, जयपुर, नागदा, मेरठ, धार, नाथद्वारा, सारंगपुर, महिदपुर और इंदौर के तमाम साहित्यकारों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। डॉ. जी.डी. अग्रवाल, सूरज सोनी, त्रिपुरारी लाल शर्मा, उमेश पारीख, पुष्पेंद्र दुबे, बबीता मिश्रा, हिना गुनैर, नंदलाल भारती, प्रतिमा येरेकर, सुभाष निगम, सुधा शर्मा आदि काफी संख्या में साहित्यकार उपस्थित थे।

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