सिक्किम । वैज्ञानिकों के प्रयास से पूर्वोत्तर भारत में दक्षिण सिक्किम के यांगंग गांव में पहली बार केसर की खेती सफलतापूर्वक की गई है। और अब इसका विस्तार अरुणाचल प्रदेश के तवांग और मेघालय के बारापानी तक हो गया है। यह नॉर्थ ईस्ट सेंटर फॉर टेक्नोलॉजी एप्लीकेशन एंड रिसर्च (NECTAR) के प्रयासों से संभव हुआ है। ये हम सभी जानते हैं कि केसर दुनिया के सबसे महंगे मसालों में से एक है। सबसे अच्छी गुणवत्ता वाला केसर कश्मीर (कश्मीरी केसर) में उगाया जाता है, इसकी बाजार में कीमत कम से कम 3 लाख रुपये है।
इसकी खेती के लिए ठंडी जलवायु की आवश्यकता होती है। लेकिन वैज्ञानिकों के प्रयास से केसर की खेती अब उत्तर पूर्वी राज्यों में भी संभव हो गई है। दरअसल, सिक्किम सरकार ने सिक्किम के विभिन्न हिस्सों जैसे पश्चिम सिक्किम के युकसोम और आसपास के क्षेत्रों में केसर की खेती का प्रयोग किया था। इसके बाद पूर्वी सिक्किम में पंगथांग, सिमिक, खामडोंग, पदमचेन और आसपास के क्षेत्रों को केशर की खेती के लिए चिन्हित किया गया है। सिक्किम के प्रतिनिधिमंडल ने भी एक समझौते और टाई-अप के लिए पिछले जुलाई में जम्मू और कश्मीर का दौरा किया था।
तब से सभी विभाग के अधिकारी उत्पादन सुनिश्चित करने के लिए संपर्क में हैं। जम्मू-कश्मीर कृषि विभाग और सिक्किम के बागवानी विभाग की ओर से किसानों को उपज और खेती के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए बुनियादी प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किये गये। अधिकारियों ने कहा कि कश्मीर के पंपोर और सिक्किम के यांगंग में मौसम और भौगोलिक परिस्थितियां समान हैं। जिसके कारण परीक्षणों के दौरान अच्छी सफलता दर सुनिश्चित करना संभव हुआ है।