नयी दिल्ली। देश के प्रमुख नौ विपक्षी नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ‘विपक्ष के सदस्यों के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों के घोर दुरुपयोग” का आरोप लगाते हुए एक पत्र लिखा है, जिसमें कांग्रेस, डीएमके और लेफ्ट पार्टियों के हस्ताक्षर नहीं हैं, जिससे यह सपष्ट जाहिर होता है कि विपक्ष की एकता में सबकुछ ठीक नहीं चल रहा है। एक तरफ जहां 2024 के लोगसभा चुनाव में भाजपा किसी को अपने टक्कर में नहीं मान रही है। वहीं विपक्षी पार्टियां एकजुटता दिखाकर दम भरने की कोशिश कर रही हैं लेकिन कई बार इस दम की हवा निकलती हुई नजर आई है।
पीएम मोदी को जिन 9 नेताओं ने पत्र लिखा है, उनमें भारत राष्ट्र समिति के प्रमुख और तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव, पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान, बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव, नेशनल कांफ्रेंस के नेता और जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री फारुख अब्दुल्ला, राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार, शिवसेना (यूबीटी) के प्रमुख उद्धव ठाकरे और समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव शामिल हैं।
कई विपक्षी पार्टी के नेताओं के हस्ताक्षर नहीं पीएम मोदी को लिखे गए इस पत्र में कई विपक्षी पार्टी के नेताओं के हस्ताक्षर नहीं हैं। यानी कि विपक्षी पार्टियां अभी एक साथ नहीं आई हैं। हाल ही में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया था। सागरदिघी विधानसभा के उपचुनाव में हार मिलने के बाद ममता बनर्जी ने भाजपा-कांग्रेस के बीच अनैतिक गठबंधन का आरोप लगाया। सूत्रों के मुताबिक, पत्र के पीछे आप और बीआरएस की ताकत थी। हालांकि कांग्रेस पार्टी ने भी मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी को लेकर सवाल उठाया था लेकिन पीएम मोदी को लिखे गए पत्र में कांग्रेस पार्टी का हस्ताक्षर नहीं था।