प्रेगनेंसी के दौरान तमाम जांचों के बीच यूरिन टेस्ट भी काफी अहम माना जाता है। यूरिन टेस्ट के जरिए विशेषज्ञ इस बात का पता लगाते हैं कि कई महिला पहले से किसी बीमारी से ग्रसित तो नहीं है। समस्या पाई जाने पर समय रहते इलाज करके उसे दूर करने की कोशिश की जाती है।
1- पीरियड मिस होने के एक सप्ताह बाद प्रेगनेंसी किट के जरिए यूरिन का पहला टेस्ट कराया जाता है। यूरिन में मौजूद एचसीजी हार्मोन के जरिए विशेषज्ञ इस बात का पता लगाते हैं कि महिला गर्भवती है या नहीं।
2- जब प्रेगनेंसी के सामान्य टेस्ट किए जाते हैं, तब भी जरूरत पड़ने पर विशेषज्ञ यूरिन टेस्ट की मदद से शुगर का पता लगाया जाता है। इसके जरिए जेस्टेशनल डायबिटीज का पता लगाया जाता है।
3- कई बार प्री-एक्लेम्पसिया या किडनी में इन्फेक्शन का संदेह होने पर भी विशेषज्ञ यूरिन का टेस्ट करवाते हैं। टेस्ट के जरिए यूरिन में प्रोटीन की मात्रा को जांचा जाता है। बता दें कि प्री-एक्लेम्पसिया हाई ब्लड प्रेशर का एक गंभीर रूप है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 10 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं उच्च रक्तचाप का शिकार होती हैं, इनमें से लगभग तीन से पांच प्रतिशत मामले प्री-एक्लेम्पसिया के होते हैं। प्री-एक्लेम्पसिया सिर्फ महिलाओं के लिए ही नहीं बल्कि गर्भस्थ शिशु के लिए भी खतरनाक हो सकता है।
4- यूरिन टेस्ट के जरिए कीटोन्स टेस्ट भी किया जाता है। ये शरीर में कार्बोहाईड्रेट की कमी के संकेत देता है। कीटोन्स टेस्ट के जरिए पता लगाया जाता है कि महिला का शरीर एक दिन में कितना कीटोन स्रावित करता है।
5- गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलावों की वजह से महिला को कई बार यूटीआई यानी यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन हो जाता है। ये एक तरह का बैक्टीरियल इन्फेक्शन होता है, जो किडनी, ब्लैडर या यूरेथ्रा में हो सकता है यूटीआई का खतरा ज्यादातर छठे सप्ताह से 24वें सप्ताह के बीच होता है।