‘वंदे मातरम्’ को क्यों नहीं मिला था राष्ट्रगान का दर्जा? जानिए ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ में अंतर

कोलकाता। ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ से उस राष्ट्र की पहचान जुड़ी हुई होती है। विश्व के सभी देशों के ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ की भावनाएं भले ही अलग हों, लेकिन अंतत: इससे राष्ट्रभक्ति की भावना की ही अभिव्यक्ति होती है। स्वतंत्रता दिवस की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के ‘राष्ट्रगान’ और ‘राष्ट्रीय गीत’ के बारे में, देश के अधिकतर लोग अभी भी दोनों में फर्क नहीं कर पाते हैं। तो सबसे पहले जानते हैं भारत के राष्ट्रगान के बारे में…

क्या है भारत का राष्ट्रगान :

जन-गण-मन अधिनायक जय हे
भारत भाग्य विधाता।
पंजाब-सिंधु-गुजरात-मराठा
द्राविड़-उत्कल-बंग
विंध्य हिमाचल यमुना गंगा
उच्छल जलधि तरंग
तव शुभ नामे जागे, तव शुभ आशीष मांगे
गाहे तव जय-गाथा।
जन-गण-मंगलदायक जय हे भारत भाग्य विधाता।
जय हे, जय हे, जय हे, जय जय जय जय हे।

यह भारत का राष्ट्रगान है, जिसे देश मे अनेक अवसरों पर बजाया या गाया जाता है। इसकी रचना विश्व कविगुरू रविंद्रनाथ टैगोर ने की थी। यह मूल रूप से बांग्ला भाषा में लिखा गया था, लेकिन बाद में इसका हिंदी और अंग्रेजी में भी अनुवाद कराया गया और संविधान सभा द्वारा 24 जनवरी, 1950 को इसे स्वीकार किया गया।

रविंद्रनाथ टैगोर ने राष्ट्रगान की रचना वर्ष 1911 में ही कर ली थी। इसे पहली बार 27 दिसंबर, 1911 को कलकत्ता में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की बैठक में गाया गया था। राष्ट्रगान के पूरे संस्करण को गाने में कुल 52 सेकेंड का समय लगता है।

राष्ट्रगान बजते समय बरती जाने वाली सावधानी :

ज्यादातर लोगों को पता ही नहीं होता है कि राष्ट्रगान बजते समय क्या सावधानी बरतनी चाहिए। दरअसल राष्ट्रगान जब भी कहीं बजाया जाता है तो देश के प्रत्येक नागरिक का ये कर्तव्य होता है कि वो अगर कहीं भी बैठा हुआ है तो उस जगह पर खड़ा हो जाए और सावधान मुद्रा में रहे। साथ ही देश के नागरिकों से ये भी अपेक्षा की जाती है कि वो भी राष्ट्रगान को साथ साथ दोहराएं।

राष्ट्रगान वैसे तो मूल रूप से बांग्ला भाषा में 1911 में ही लिखा गया था, जिसमें सिंध का भी नाम था। लेकिन बाद में इसमें संशोधन कर सिंध की जगह सिंधु कर दिया गया, क्योंकि देश के विभाजन के बाद सिंध पाकिस्तान का एक अंग हो चुका था।

भारत का राष्ट्रीय गीत क्या है?

भारत का राष्ट्रीय गीत ‘वंदे मातरम्’ है। इसके रचयिता बंकिमचंद्र चट्टोपाध्याय हैं। उन्होंने इसकी रचना साल 1882 में संस्कृत और बांग्ला मिश्रित भाषा में किया था। यह स्वतंत्रता की लड़ाई में लोगों के लिए प्रेरणा का स्रोत था। इसे भी भारत के राष्ट्रगान ‘जन-गण-मन’ के बराबर का ही दर्जा प्राप्त है। इसे पहली बार साल 1896 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सत्र में गाया गया था। राष्ट्रीय गीत की अवधि लगभग 52 सेकेंड है।

राष्ट्रीय गीत कुछ इस प्रकार है :

वंदे मातरम्, वंदे मातरम्!
सुजलाम्, सुफलाम्, मलयज शीतलाम्,
शस्यश्यामलाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्!
शुभ्रज्योत्सनाम् पुलकितयामिनीम्,
फुल्लकुसुमित द्रुमदल शोभिनीम्,
सुहासिनीम् सुमधुर भाषिणीम्,
सुखदाम् वरदाम्, मातरम्!
वंदे मातरम्, वंदे मातरम्॥

राष्ट्रीय गीत का हिंदी अनुवाद इस प्रकार है :

मैं आपके सामने नतमस्तक होता हूं। ओ माता,
पानी से सींची, फलों से भरी,
दक्षिण की वायु के साथ शांत,
कटाई की फसलों के साथ गहरा,
माता!
उसकी रातें चांदनी की गरिमा में प्रफुल्लित हो रही है,
उसकी जमीन खिलते फूलों वाले वृक्षों से बहुत सुंदर ढकी हुई है,
हंसी की मिठास, वाणी की मिठास,
माता, वरदान देने वाली, आनंद देने वाली।

वंदे मातरम्’ पर विवाद!

‘वंदे मातरम्’ पर देश में विवाद बहुत पहले से चला आ रहा है। इसका चयन राष्ट्रगान के तौर पर हो सकता था, लेकिन कुछ मुसलमानों के विरोध के कारण इसे राष्ट्रगान का दर्जा नहीं मिला। दरअसल कुछ मुसलमानों का कहना था कि इस गीत में मां दुर्गा की स्तुति की गई है और उन्हें राष्ट्र के रूप में देखा गया है, जबकि इस्लाम में किसी व्यक्ति या वस्तु की पूजा करने को गलत माना गया है।

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