कोलकाता। राज्य सचिवालय में मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों के चुनाव के लिए होने वाली बैठक में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी नहीं गए। शुभेंदु ने इसमें शामिल नहीं होने का कारण भी बताया है। उन्होंने साफ कर दिया है कि ममता बनर्जी की उपस्थिति में बैठक में शामिल होने का कोई मतलब नहीं है।
राज्य मानवाधिकार आयोग के सदस्य का नाम तय करने के लिए बैठक में शामिल होने के लिए सचिवालय से विपक्ष के नेता के कार्यालय में आमंत्रित किया गया था। शुभेंदु ने कहा कि ये मीटिंग असल में ”लोगों को दिखाने” का मामला है, क्योंकि उनकी (ममता बनर्जी) पसंद के व्यक्ति को यहां बिठाने का फैसला पहले ही हो चुका है। सूची में केवल तीन लोग हैं जिनमें से किसे चुनना है।
उस सूची में एक शख्स ऐसा है जो मुख्यमंत्री की आंखों का तारा है जिन्हें पश्चिम बंगाल का सूचना आयुक्त नियुक्त किया गया है। इस बार उनका पुनर्वास किया जा रहा है और उन्हें राज्य मानवाधिकार आयोग का अध्यक्ष नियुक्त किया जा रहा है। राज्य के मुख्य सचिव वासुदेव बनर्जी थे। शुभेंदु ने उन्हीं की ओर इशारा किया है।
दूसरी वजह के तौर पर विपक्षी नेता ने राज्य में सिलसिलेवार घटनाओं में मानवाधिकार आयोग की निष्क्रियता का जिक्र किया है। उन्होंने कहा कि 2021 में चुनाव के बाद हुई हिंसा के दौरान राज्य मानवाधिकार आयोग की निष्क्रियता ने इसे एक बेकार संगठन साबित कर दिया है।
इसके अलावा राज्य मानवाधिकार आयोग ने बगटुई नरसंहार, एगरा बम विस्फोट, जयनगर घटना और पंचायत चुनाव हिंसा की घटनाओं के संबंध में राज्य सरकार को संतुष्ट करने का काम किया है। तीसरी वजह के तौर पर उन्होंने कहा कि राज्य मानवाधिकार आयोग गहरी नींद में सो रहा है। केवल जब राज्य सरकार की जरूरत होती है तब आयोग सक्रिय होता है। इसलिए इस बैठक में जाने का कोई मतलब नहीं है।
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