तारकेश कुमार ओझा, खड़गपुर । खड़गपुर नगरपालिका चुनाव 2022 की सबसे बड़ी पहेली क्या है? राजनीतिक गलियारों से लेकर आम जनता के बीच सबसे ज्यादा कौतूहल तो इसी बात को लेकर है कि विधायक हिरणमय चटर्जी म्यूनिस्पिल राजनीति में क्यों कूद पड़े? वह भी उस वार्ड 33 से जहां कभी कमल खिला ही नहीं। पिछले दो पालिका चुनाव की बात करें तो यहां 2010 में टीएमसी तो 2015 में माकपा को सफलता मिली थी। पिछले साल हुए विधानसभा चुनाव में भी जिन 12 वार्डों में भाजपा टीएमसी से पीछे रही थी, उसमें यह वार्ड भी शामिल रहा था। यहां भाजपा टीएमसी से 265 वोटों से पीछे रही थी। इसके बावजूद विधायक ने नगरपालिका चुनाव में प्रतिद्वंदिता के लिए इस वार्ड को क्यों चुना? जबकि इस वार्ड से उनके प्रतिद्वंदी टीएमसी के हेवीवेट पूर्व नपाध्यक्ष जवाहर लाल पाल हैं।
गुरुवार को वार्ड में आयोजित एक नुक्कड़ सभा में हिरण ने इस सवाल का जवाब खुद ही देेते हुए कहा – “भारतीय संविधान के अनुसार कोई भी एमपी या एमएलए सरकार से मिली विकास निधि को खुद खर्च नहीं कर सकता। उसे यह रकम नगरपालिका या किसी अन्य निकाय के माध्यम से खर्च करना पड़ेगा। दुर्भाग्य से उनके द्वारा प्रदत्त करीब ढाई करोड़ की रकम नगरपालिका से शासन को वापस चली गई। हिरणमय ने सवाल उठाया – इससे नुकसान किसका हुआ? फिर खुद ही जवाब देते हुए बोले – इसी वजह से उन्होंने कौंसिलर चुनाव लड़ने का फैसला किया, ताकि विकास निधि का कायदे से उपयोग कर सकें।
इस संबंध में नगरपालिका का पक्ष जानने के लिए हिरणमय के प्रतिद्वंदी उम्मीदवार जवाहर पाल से लेकर निवर्तमान पौर प्रशासक प्रदीप सरकार तक से बात करने की कोशिश की गई। लेकिन संपर्क स्थापित नहीं हो पाया।