परिजनों को रोते बिख़लते देख असहनीय वेदना का अनुभव सारे देश ने किया
भविष्य में ऐसी ट्रेन दुर्घटना को रोकने तात्कालिक जवाबदेही निर्धारित कर कार्रवाई का चाबुक चलाना ज़रूरी– एडवोकेट किशन भावनानी
किशन सनमुख़दास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दिनांक 2 जून 2023 को देर शाम भारत में रेल दुर्घटना इतिहास के तीसरे सबसे बड़े भीषण रेल दुर्घटना की गूंज तेज आग की तरह फैल गई और देखते ही देखते मौतों का आंकड़ा 288 तक पहुंच गया और घायलों का आंकड़ा 1175 के पार हो गया। देश का सारा संबंधित सिस्टम राहत और बचाव के कार्यों में भिड़ गया। उड़ीसा और बंगाल के मुख्यमंत्री, बड़े-बड़े मंत्री, आला अधिकारी यहां तक कि पीएम द्वारा भी दिल्ली में इस हादसे को लेकर एक उच्च स्तरीय मीटिंग से पूरी जानकारी लेकर उन्हें दिशा निर्देश दिए और घटनास्थल की ओर रवाना हो गए।
घटनास्थल और अस्पतालों में पीड़ितों से भेंट कर अपने असहनीय वेदना का अनुभव प्रकट किया। वही पूरे विश्व से संवेंदनाओ का दौर आना शुरू हो गया था। अब सवाल उठता है कि इतनी भीषण गंभीर दुर्घटना के दोषी कौन है? हालांकि इसकी जांच उच्चस्तर पर तेजी से शुरू है जिसमें कहा जा रहा है कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है रिपोर्ट आना बाकी है। जबकि माननीय केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में संबंधित तोड़फोड़ व छेड़छाड़ का मामला हो सकता है।
इसलिए कुछ बातों का संज्ञान लेकर रविवार दिनांक 4 जून 2023 को सीबीआई जांच का आदेश जारी कर दिया है। चूंकि अब तक के रेल दुर्घटनाओं में सबसे भीषण घटनाओं में तीसरे नंबर पर यह दुर्घटना कहीं जा रही है। जिसमें 3 रेलगाड़ियों का आपस में भिड़ना सोचनीय व जांच का हिस्सा है। परंतु हादसे से सीख लेकर दोषी रेलवे कर्मचारियों की जवाबदेही निर्धारित कर कार्यवाही का चाबुक शीघ्र चलाना जरूरी है ताकि यह एक नजीर बन सके और कोई भी रेल कर्मचारी लापरवाही करने की बात सपने में मैं भी न सोचे।
चूंकि अब सीबीआई जांच का आदेश जारी कर दिया गया है इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भयानक ट्रेन हादसे का जिम्मेदार कौन? परिजनों को रोते बिखलते देख असहनीय वेदना का अनुभव सारे देश ने किया।
साथियों बात अगर हम भारत के इतिहास में तीसरे सबसे बड़े रेल हादसे में रेलमंत्री के इस्तीफे और जवाबदेही निभाने की करें तो मेरा मानना है कि शायद रेल इतिहास में पहली बार पीएम नें उच्च स्तरीय बैठक कर दिशानिर्देश देना, पीएम का घटनास्थल पर दौरा, दुर्घटना के 51 घंटों के अंदर मरम्मत पूरी कर डाउन ट्रैक रेलमंत्री की उपस्थिति में परिचालन शुरू कर देना, युद्धस्तर पर राहत बचाव कार्य करना, कई केंद्रीय मंत्रियों का घटनास्थल पर प्रबंधन, इन सभी तथ्यों को देखकर मुझे नहीं लगता कि रेलमंत्री के इस्तीफे को प्राथमिकता देना जरूरी है, जैसा कि विपक्ष के कुछ नेताओं द्वारा मांग की जा रही है।
हालांकि अब बारी है भयंकर भीषण ट्रेन दुर्घटना हादसे के जवाबदार गैर जिम्मेदार कर्मचारियों, अधिकारियों पर कार्यवाही का चाबुक चला कर दुर्घटना में पीड़ित और मृतक लोगों के परिवारों को न्याय दिया जा सकता है। इस भीषण दुर्घटना के हादसे में हमने देखे कि अमेरिका से लेकर पाकिस्तान तक यूरोपियन स्टेट से लेकर चीन तक सब भारत के दुख में भागीदार बने और संवेदनाएं प्रकट की। साथियों बात अगर हम ट्रेन हादसे की सीबीआई जांच के आदेश की करें तो केंद्रीय मंत्री ने कहा, रेलवे की ओर से सीबीआई जांच की सिफारिश की गई है।
रेलमंत्री ने रविवार शाम भुवनेश्वर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि हमने इस दुर्घटना की सीबीआई जांच की सिफारिश की है, जिसमें 275 लोगों की जान चली गई और 1,000 से अधिक घायल हुए हैं। राज्य सरकार की मदद के साथ केंद्र अलग-अलग अस्पतालों में भर्ती घायल मरीजों को हर संभव उपचार मुहैया करा रहा है। दुर्घटना के मूल कारण और इसके लिए जिम्मेदार अपराधियों की पहचान कर ली गई है। उन्होंने बालासोर जिले में दुर्घटनास्थल पर मीडिया से बातचीत में कहा कि इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग और प्वाइंट मशीन में किए गए बदलाव के कारण ऐसा हुआ।
इसे फेल सेफ सिस्टम कहा जाता है, इसलिए इसका मतलब है कि अगर यह फेल भी हो जाता है तो भी सारे सिग्नल लाल हो जाएंगे और सभी ट्रेनों का परिचालन रुक जाएगा। मंत्री ने कहा कि सिग्नल प्रणाली में समस्या थी। ऐसा हो सकता है कि किसी ने केबल देखे बिना कुछ खुदाई की हो। रेलवे ने रविवार को ड्राइवर की गलती और सिस्टम में खराबी से एक तरह से इनकार किया और संकेत दिया कि ट्रेन दुर्घटना के पीछे इलेक्ट्रॉनिक इंटरलॉकिंग सिस्टम में संभावित तोड़फोड़ और छेड़छाड़ हो सकती है। इस हादसे में कम से कम 288 लोगों की मौत हो गई।
उन्होंने यह भी कहा कि रेलवे सुरक्षा आयुक्त ने जांच पूरी कर ली है और रिपोर्ट का इंतजार है। हमने किसी भी संभावना से इनकार नहीं किया है। उन्होंने कहा कि अस्पतालों में मरीजों को हर सुविधा दी जा रही है। चिकित्सकों की टीम चौबीसों घंटे मरीजों की देखभाल कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार मृतकों के परिवार से संपर्क करने का प्रयास कर रही है। ओडिशा सरकार ने रेल हादसे में मृतकों की संख्या रविवार को 288 से संशोधित कर 275 कर दी और घायलों की संख्या 1,175 बताई है। मुख्य सचिव के अनुसार कुछ शवों की दो बार गिनती हो गई थी।
उन्होंने कहा है कि विस्तृत सत्यापन और बालासोर जिलाधिकारी की एक रिपोर्ट के बाद संशोधित मृतक संख्या 275 है। अधिकारियों ने रविवार को कोरोमंडल एक्सप्रेस के ड्राइवर को यह कहते हुए क्लीन चिट दे दी कि उसे आगे बढ़ने के लिए हरी झंडी मिल गई थी और वह तेज गति से गाड़ी नहीं चला रहा था। शुक्रवार को मिली प्रारंभिक रिपोर्ट में कहा गया है कि कोरोमंडल एक्सप्रेस उस स्टेशन पर लूप लाइन में घुस गई थी, जिस पर लौह अयस्क से लदी एक मालगाड़ी खड़ी थी।
साथियों बात अगर हम मृतकों और घायलों को अनुग्रह राशि देने की करें तो, इस हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को रेल मंत्री ने इस हादसे को दुर्भाग्यपूर्ण बताया ही साथ ही उन्होंने कहा कि, इस हादसे में जान गंवाने वालों के परिजनों को 10-10 लाख रुपये, गंभीर रूप से घायलों के लिए दो लाख रुपये, मामूली रूप से चोटिलों के लिए 50, हज़ार रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। वहीं ओडिशा के मुख्यमंत्री नें रेल हादसे में मारे गए लोगों के परिजनों को रविवार को पांच-पांच लाख रुपये की अनुग्रह राशि देने का एलान किया।
सहायता मुख्यमंत्री राहत कोष से दी जाएगी। मुख्यमंत्री कार्यालय (सीएमओ) ने कहा कि मृतकों के आश्रितों को पांच-पांच लाख रुपये, जबकि हादसे में घायल हुए लोगों को एक-एक लाख रुपये की सहायता राशि दी जाएगी। बता दें कि पश्चिम बंगाल की सीएम ने इस दुर्घटना में मृतकों के परिवार को 5 लाख रुपये और घायलों को 1 लाख रुपये के साथ मुफ्त इलाज मुहैया कराने की बात कही है। वहीं देश के मशहूर कारोबारी गौतम अडानी ने हादसे में अनाथ हुए बच्चों के पढ़ाई-लिखाई का जिम्मा लिया है।
पीएम ने ओडिशा ट्रेन दुर्घटना पीड़ितों के लिए 2 लाख रुपये, घायलों के लिए 50, हज़ार रुपये की अनुग्रह राशि की घोषणा की है। पीएमओ ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है। साथियों बात अगर हम हादसे का मामला सुप्रीम कोर्ट में पहुंचने की करें तो, ओडिशा रेल हादसे का मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। मामले की जांच को लेकर कोर्ट में याचिका दायर की गई है।
याचिका में कहा गया है कि सुप्रीम कोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक विशेषज्ञ पैनल बनाया जाए, जो बालासोर ट्रेन दुर्घटना की जांच करे।अधिवक्ता की ओर से दाखिल जनहित याचिका में लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल प्रभाव से भारतीय रेलवे में स्वचालित ट्रेन सुरक्षा (एटीपी) प्रणाली (जिसे कवच सुरक्षा प्रणाली कहा जाता है) के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश जारी करने की मांग भी की गई है।
अतः अगर हम उपरोक्त पूर्ण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि भयानक ट्रेन हादसे का जिम्मेदार कौन? परिजनों को रोते बिखलते देख असहनीय वेदना का अनुभव सारे देश ने किया। भविष्य में ऐसी ट्रेन दुर्घटना को रोकने तात्कालिक ज़वाबदेही निर्धारित कर कार्रवाई का चाबुक चलाना जरूरी है।
(स्पष्टीकरण : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार/आंकड़े लेखक के है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)