विवाह के लिए कौन सा दिन, तिथि और योग शुभ होता है

वाराणसी। विवाह में गुण मिलान को महत्व पूर्ण माना जाता है जबकि सप्तम, पंचम और एकादश भाव को देखा जाना चाहिए। उसी तरह विवाह में मुहूर्त के साथ ही दिन, तिथि और महत्वपूर्ण योग का भी महत्व होता है। जैसे आपके पुष्य योग या सर्वार्थ सिद्ध योग का नाम सुना ही होगी इसी तरह विवाह करने के लिए भी तीन खास तरह के योग होते हैं। ज्योतिष मान्यता के अनुसार सभी का ध्यान रखा जाए तो दांपत्य जीवन में किसी भी तरह की बाधा नहीं आती है।

विवाह के लिए शुभ दिन : सोमवार, बुधवार, गुरुवार और शुक्रवार दिनों को अनुकूल माना जाता है, जबकि मंगलवार के दिन को विवाह समारोह के लिए अशुभ माना जाता है।

अनुकूल तिथियां : द्वितीया तिथि, तृतीया तिथि, पंचमी तिथि, सप्तमी तिथि, एकादशी तिथि और त्रयोदशी तिथि विवाह के लिए शुभ होती है।
शुभ मुहूर्त : शादी करने के लिए अभिजीत मुहूर्त और गोधुली वेला को सबसे शुभ माना गया है।
शुभ लग्न : मिथुन राशि, कन्या राशि और तुला राशि।
शुभ तारा : शुक्र और बृहस्पति तारा उदय होना चाहिए।
सूर्य भ्रमण : मेष राशि, वृषभ राशि, मिथुन राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि और कुंभ राशि।

शुभ नक्षत्र :
1. रोहिणी नक्षत्र (चौथा नक्षत्र),
2. मृगशिरा नक्षत्र (पांचवा नक्षत्र),
3. मघा नक्षत्र (दसवां नक्षत्र),
4. उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र (बारहवां नक्षत्र),
5. हस्त नक्षत्र (तेरहवां नक्षत्र),
6. स्वाति नक्षत्र (पंद्रहवां नक्षत्र),
7. अनुराधा नक्षत्र (सत्रहवां नक्षत्र),
8. मूल नक्षत्र (उन्नीसवां नक्षत्र),
9. उत्तराषाढ़ नक्षत्र (इक्कीसवां नक्षत्र),
10. उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र (छब्बीसवां नक्षत्र)
11. रेवती नक्षत्र (सत्ताईसवाँ नक्षत्र)।

शुभ करण : किन्स्तुघना करण, बावा करण, बलवी करण, कौलव करण, तैतिला करण, गारो करण और वनिजा करण।
शुभ योग : विवाह के लिए निम्नलिखित 3 योग शुभ माने जाते हैं। उपरोक्त वर्णित विवाह की दिनांक में जब भी ये योग हो उस योग को सबस शुभ मानें।

1. प्रीति योग : जैसा कि इसका नाम है प्र‍ीति योग इसका अर्थ यह है कि यह योग परस्पर प्रेम का विस्तार करता है। अक्सर मेल-मिलाप बढ़ाने, प्रेम विवाह करने तथा अपने रूठे मित्रों एवं संबंधियों को मनाने के लिए प्रीति योग में ही प्रयास करने से सफलता मिलती है। इसके अलावा झगड़े निपटाने या समझौता करने के लिए भी यह योग शुभ होता है। इस योग में किए गए कार्य से मान सम्मान की प्राप्ति होती है।

2. सौभाग्य योग : यह योग सदा मंगल करने वाला होता है। नाम के अनुरूप यह भाग्य को बढ़ाने वाला है। इस योग में की गई शादी से वैवाहिक जीवन सुखमय रहता है। इसीलिए इस मंगल दायक योग भी कहते हैं। लोग मुहूर्त तो निकलवा लेते हैं परंतु सही योग के समय में प्रणय सूत्र में नहीं बंध पाते। अत: सुखमय वैवाहिक जीवन के लिए सौभाग्य योग में ही विवाह के बंधन में बंधने की प्रक्रिया पूरी की जानी चाहिए।

3. हर्षण योग : हर्ष का अर्थ होता है खुशी, प्रसन्नता। अत: इस योग में किए गए कार्य खुशी ही प्रदान करते हैं। हालांकि इस योग में प्रेत कर्म यानि पितरों को मनाने वाले कर्म नहीं करना चाहिए।

पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 999387484

ताज़ा समाचार और रोचक जानकारियों के लिए आप हमारे कोलकाता हिन्दी न्यूज चैनल पेज को सब्स्क्राइब कर सकते हैं। एक्स (ट्विटर) पर @hindi_kolkata नाम से सर्च करफॉलो करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

1 + 15 =