वाराणसी । श्रीराम भक्त हनुमान साक्षात एवं जाग्रत देव हैं। हनुमानजी की भक्ति जितनी सरल है उतनी ही कठिन भी। कठिन इसलिए की इसमें व्यक्ति को उत्तम चरित्र और मंदिर में पवित्रता रखना जरूरी है अन्यथा इसके दुष्परिणाम भुगतने होते हैं। हनुमानजी की भक्ति से चमत्कारिक रूप से संकट खत्म होकर भक्त को शांति और सुख प्राप्त होता है। विद्वान लोग कहते हैं कि जिसने एक बार हनुमानजी की भक्ति का रस चख लिया वह फिर जिंदगी में अपनी बाजी कभी हारता नहीं। जो उसे हार नजर आती है वह अंत में जीत में बदल जाती है। ऐसे भक्त का कोई शत्रु नहीं होता।
आपने हनुमानजी के बहुत से चित्र देखे होंगे। जैसे- पहाड़ उठाए हनुमानजी, उड़ते हुए हनुमानजी, पंचमुखी हनुमानजी, राम भक्ति में रत हनुमानजी, छाती चिरते हुए, रावण की सभा में अपनी पूंछ के आसन पर बैठे हनुमानजी, लंका दहन करते हनुमानजी, सीता वाटिका में अंगुठी देते हनुमानजी, गदा से राक्षसों को मारते हनुमानजी, विशालरूप दिखाते हुए हनुमानजी, आशीर्वाद देते हनुमानजी, राम और लक्षमण को कंधे पर उठाते हुए हनुमानजी, रामायण पढ़ते हनुमानजी, सूर्य को निगलते हुए हनुमानजी, बाल हनुमानजी, समुद्र लांगते हुए हनुमानजी, श्रीराम-हनुमानजी मिलन, सुरसा के मुंह से सूक्ष्म रूप में निकलते हुए हनुमानजी।
पत्थर पर श्रीराम नाम लिखते हनुमानजी, लेटे हुए हनुमानजी, खड़े हनुमानजी, शिव पर जल अर्पित करते हनुमानजी, रामायण पढ़ते हुए हनुमानजी, अखाड़े में हनुमानजी शनि को पटकनी देते हुए, ध्यान करते हनुमानजी, श्रीकृष्ण रथ के उपर बैठे हनुमानजी, गदा को कंधे पर रख एक घुटने पर बैठे हनुमानजी, पाताल में मकरध्वज और अहिरावण से लड़ते हनुमानजी, हिमालय पर हनुमानजी, दुर्गा माता के आगे हनुमानजी, तुलसीदासजी को आशीर्वाद देते हनुमानजी, अशोक वाटिका उजाड़ते हुए हनुमानजी, श्रीराम दरबार में नमस्कार मुद्रा में बैठे हनुमानजी आदि।
जिस घर में हनुमानजी का चित्र होता है वहां मंगल, शनि, पितृ और भूतादि का दोष नहीं रहता। हनुमानजी के भक्त हैं तो घर में हनुमानजी के चित्र कहां और किस प्रकार के लगाएं यह जानना जरूरी है। आइए आज हम आपको बताते हैं श्री हनुमानजी के चित्र लगाने के कुछ नियम।
किस दिशा में लगाएं हनुमानजी का चित्र : वास्तु के अनुसार हनुमानजी का चित्र हमेशा दक्षिण दिशा की ओर देखते हुए लगाना चाहिए। यह चित्र बैठी मुद्रा में लाल रंग का होना चाहिए।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके हनुमानजी का चित्र इसलिए अधिक शुभ है क्योंकि हनुमानजी ने अपना प्रभाव सर्वाधिक इसी दिशा में दिखाया है। हनुमानजी का चित्र लगाने पर दक्षिण दिशा से आने वाली हर बुरी ताकत हनुमानजी का चित्र देखकर लौट जाती है। इससे घर में सुख और समृद्धि बढ़ती है।
शयनकक्ष में न लगाएं हनुमान चित्र : शास्त्रों के अनुसार हनुमानजी बाल ब्रह्मचारी हैं और इसी वजह से उनका चित्र शयनकक्ष में न रखकर घर के मंदिर में या किसी अन्य पवित्र स्थान पर रखना शुभ रहता है। शयनकक्ष में रखना अशुभ है।
भूत, प्रेत आदि से बचने हेतु : यदि आपको लगता है कि आपके घर पर नकारात्मक शक्तियों का असर है तो आप हनुमानजी का शक्ति प्रदर्शन की मुद्रा में चित्र लगाएं। आप चाहे तो पंचमुखी हनुमानजी का चित्र मुख्य द्वारा के ऊपर लगा सकते हैं या ऐसी जगह लगाएं जहां से यह सभी को नजर आए। ऐसा करने से घर में किसी भी तरह की बुरी शक्ति प्रवेश नहीं करेगी।
पंचमुखी हनुमान : वास्तुविज्ञान के अनुसार पंचमुखी हनुमानजी की मूर्ति जिस घर में होती है वहां उन्नति के मार्ग में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं और धन संपत्ति में वृद्घि होती है।
जलस्रोत दोष : यदि भवन में गलत दिशा में कोई भी जल स्रोत हो तो इस वास्तु दोष के कारण परिवार में शत्रु बाधा, बीमारी व मन मुटाव देखने को मिलता है। इस दोष को दूर करने के लिए उस भवन में ऐसे पंचमुखी हनुमान का चित्र लगाना चाहिए। जिनका मुख उस जल स्रोत की ओर देखते हुए दक्षिण पश्चिम दिशा की तरफ हो।
बैठक रूप में : बैठक रूम में आप श्रीराम दरबार का फोटो लगाएं, जहां हनुमानजी प्रभु श्रीरामजी के चरणों में बैठे हुए हैं। इसके अलावा बैठक रूम में पंचमुखी हनुमानजी का चित्र, पर्वत उठाते हुए हनुमानजी का चित्र या श्रीराम भजन करते हुए हनुमानजी का चित्र लगा सकते हैं। ध्यान रखें कि उपरोक्त में से कोई एक चित्र लगा सकते हैं।
पर्वत उठाते हुए हनुमान का चित्र : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें साहस, बल, विश्वास और जिम्मेदारी का विकास होगा। आप किसी भी परिस्थिति से घबराएंगे नहीं। हर परिस्थिति आपके समक्ष आपको छोटी नजर आएगी और तुरंत ही उसका समाधान हो जाएगा।
उड़ते हुए हनुमान : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपकी उन्नती, तरक्की और सफलता को कोई रोक नहीं सकता। आपमें आगे बढ़ने के प्रति उत्साह और साहस का संचार होगा। निरंतर आप सफलता के मार्ग पर बढ़ते जाएंगे।
श्रीराम भजन करते हुए हनुमान : यदि यह चित्र आपके घर में है तो आपमें भक्ति और विश्वास का संचार होगा। यह भक्ति और विश्वास ही आपके जीवन की सफलता का आधार है।
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जोतिर्विद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
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