कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री तीन दिनों से दिल्ली में क्या कर रहे हैं? – भाजपा ने हिंसा को लेकर भी कांग्रेस पर साधा निशाना

नई दिल्ली । राहुल गांधी से ईडी की पूछताछ के खिलाफ कांग्रेस नेताओं द्वारा किए जा रहे धरना-प्रदर्शन और मार्च की आलोचना करते हुए भाजपा ने यह सवाल उठाया है कि कांग्रेस शासित राज्यों के मुख्यमंत्री अपने राज्य सरकारों का कार्य छोड़कर विगत तीन दिनों से दिल्ली में क्या कर रहे हैं? भाजपा ने हाई कोर्ट के आदेश पर कार्रवाई होने का दावा करते हुए कांग्रेस पर हिंसा की आड़ लेकर भ्रष्टाचार को छुपाने का भी आरोप लगाया।

भाजपा मुख्यालय में मीडिया से बात करते हुए पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता एवं राज्यसभा सांसद सुधांशु त्रिवेदी ने कांग्रेस के मुख्यमंत्रियों के रवैये पर सवाल उठाते हुए पूछा कि क्या ये उन राज्यों की जनता के साथ छल या धोखा नहीं है, जिन्होंने कांग्रेस को लोकतांत्रिक तरीके से चुना था? सरकारी एजेंसियों को कामकाज करने से रोकने के लिए दबाव बनाना और दबाव को झड़प और आगजनी तक ले जाने की निंदा करते हुए त्रिवेदी ने कहा कि इससे कांग्रेस की असली मंशा निकल कर सामने आ गई है।

त्रिवेदी ने कांग्रेस नेताओं के प्रदर्शन पर सवाल खड़ा करते हुए कहा कि राहुल गांधी आज न कांग्रेस के अध्यक्ष हैं और ना नेता प्रतिपक्ष हैं, वो केवल एक सांसद हैं। लेकिन पिछले तीन दिनों से जो हो रहा है वह यह प्रमाणित करता है कि कांग्रेस में पद और कद दोनों का कोई महत्व नहीं है, ये केवल और केवल परिवार की पार्टी है। यह सिर्फ भारत की जनता के लिए ही नहीं कांग्रेस के कार्यकर्ताओं के लिए भी चिंता का विषय है।

भाजपा प्रवक्ता ने हिंसा की आड़ लेकर भ्रष्टाचार को छुपाने का प्रयास करने का आरोप लगाते हुए कहा कि इससे यह दिखाई दे रहा है कि कांग्रेस पार्टी के नेतृत्व में कितना छोटापन आ गया है। उन्होंने कहा कि ये साफ दिख रहा है कि गांधी के दौर से सोनिया गांधी और राहुल गांधी तक आते-आते कांग्रेस कितनी छोटी और कितनी बौनी होती चली जा रही है। कांग्रेस कार्यकर्ता उपद्रव, हिंसा और आगजनी कर रहे हैं। नेशनल हेराल्ड मामले को भ्रष्टाचार का विचित्र उदाहरण बताते हुए त्रिवेदी ने कहा कि पहले सत्ता में रहते हुए, सत्ताधारी पार्टी के ऊपर भ्रष्टाचार के तमाम आरोप आजादी के बाद से लग चुके हैं, परंतु अपनी पार्टी के अंदर भ्रष्टाचार, पार्टी की संपत्ति और धन का हरण कर लेना यह कांग्रेस का विचित्र उदाहरण है।

उन्होंने इस पूरे मामले से सरकार का कोई लेना-देना नहीं होने की बात कहते हुए कहा कि यह मामला यूपीए सरकार के दौरान ही 1 नवंबर 2012 को प्रारंभ हुआ था और इस मामले में सरकार की किसी भी एजेंसी द्वारा कार्रवाई नहीं हुई। हाइकोर्ट के निर्देश के ऊपर ही कार्रवाई हुई और हाइकोर्ट के निर्देश पर ही उन्हें जमानत लेनी पड़ी। त्रिवेदी ने नेहरू-गांधी परिवार पर निशाना साधते हुए कहा कि जिस पार्टी के दो पूर्व प्रधानमंत्रियों ने सरकार में रहते हुए अपने को ही भारत रत्न दे दिया हो। उसी परिवार के लोगों ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के सहयोग से बनी हुई संस्था की सारी संपत्ति और धन अपने को अर्पित कर लिया।

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