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नयी दिल्ली/ कोलकाता। उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को पश्चिम बंगाल सरकार की उस याचिका को सुनने से इनकार कर दिया जिसमें विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी की गिरफ्तारी पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के रोक के आदेश को चुनौती दी गई थी। न्यायमूर्ति डी.वाई. चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति ए.एस. बोपन्ना की पीठ ने कहा कि उनके द्वारा कलकत्ता उच्च न्यायालय की एकल पीठ के फैसले के खिलाफ पिछले साल 13 दिसंबर के आदेश इस मामले में मान्य होंगे। शीर्ष अदालत की पीठ ने 13 दिसंबर को उच्च न्यायालय के प्रथम दृष्टया राय को उचित मानते हुए इस मामले के गुण-दोषों पर विचार करने से इनकार कर दिया था।
भारतीय जनता पार्टी के नेता अधिकारी पर गुंडागर्दी, कोविड दिशा-निर्देशों की धज्जियां उड़ाने और अवैध रूप से भीड़ इकट्ठा करने के आरोपों में पश्चिम बंगाल के विभिन्न थानों में कम से कम छह मामले दर्ज हैं।अधिकारी ने उन मुकदमों के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। अपना पक्ष रखते हुए उन्होंने दलील दी थी कि दिसम्बर- 2020 में तृणमूल कांग्रेस से भाजपा में आने के कारण उन्हें झूठे आपराधिक मामलों में फंसाया गया।
पश्चिम बंगाल कि ममता बनर्जी सरकार सरकार ने कथित तौर पर राजनीतिक कारणों से पुलिस तंत्र का बेजा इस्तेमाल किया और उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए गये। हालांकि अदालती सुनवाई के दौरान पश्चिम बंगाल सरकार ने अधिकारी के आरोपों से इनकार दिया था। भाजपा नेता ने आरोप लगाया था कि उन्हें फंसाने के लिए ममता बनर्जी सरकार ने राजनीतिक द्वेष से सरकारी तंत्र का बेजा इस्तेमाल किया।
राज्य के पूर्वी मेदिनीपुर जिले के ताकतवर नेता अधिकारी दिसंबर 2020 में तृणमूल कांग्रेस छोड़ने से पहले मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बेहद करीबी नेताओं में से एक थे, जिन्होंने विधानसभा चुनाव से पहले पाला बदलकर भाजपा में शामिल हुए थे। विधानसभा चुनाव में अधिकारी ने सुश्री बनर्जी को पराजित किया था।