सिलीगुड़ी। पश्चिम बंगाल मिड डे मिल वर्कर्स यूनियन ने कई मांगों को लेकर उत्तरकन्या अभियान का आह्वान किया। यूनियन के कार्यकर्ताओं ने मंगलवार दोपहर सिलीगुड़ी के महात्मा गांधी मोड़ के पास महानंदा नदी इलाके से मार्च शुरू किया। जैसे ही जुलूस उत्तरकन्या के पास पहुंचा, पुलिस ने जुलूस को तीनबत्ती मोड़ पर रोक दिया। जुलूस का रूट डायवर्ट कर दिया गया। बाद में उन्होंने तीनबत्ती मोड़ से सटे मैदान में एक जनसभा की।
उनकी मांगों में मुख्य रूप से सामाजिक सुरक्षा के साथ 6,000 रुपये प्रति माह, प्रत्येक 25 छात्रों पर 2 रसोइयों को रोजगार, नियोजित श्रमिकों को बर्खास्त नहीं करना आदि शामिल हैं। मालूम हो कि उनकी यह मांग काफी समय से की जा रही है। मांगें पूरी न होने पर मिड-डे मील वर्करों ने आने वाले दिनों में बड़ा आंदोलन शुरू करने की धमकी दी है।
कालचीनी ब्लॉक के हर इलाके में तृणमूल कांग्रेस का धरना कार्यक्रम शुरू
अलीपुरद्वार। 100 दिनों के बकाया काम की मांग को लेकर दिल्ली में तृणमूल कांग्रेस का धरना चल रहा है. वहीं कालचीनी ब्लॉक के प्रत्येक क्षेत्र में मंगलवार को तृणमूल कांग्रेस ने धरना शुरू किया। इस दिन कालचीनी ब्लॉक के 11 क्षेत्रों में तृणमूल कांग्रेस द्वारा कार्यक्रम किया गया और प्रत्येक क्षेत्र में प्रोजेक्टर के माध्यम से दिल्ली धरना का कार्यक्रम दिखाया गया।
तृणमूल कांग्रेस के संताली क्षेत्र के अध्यक्ष कैलास विश्वकर्मा ने कहा कि जैसे दिल्ली में धरना चल रहा है, वैसे ही हर क्षेत्र में धरना चल रहा है। वहीं इस धरने में वे लोग भी शामिल हुए हैं जिन्हें 100 दिन काम करने का मेहनताना नहीं मिला है।
बोनस की मांग को लेकर जलपाईगुड़ी के विभिन्न चाय बागानों में श्रमिकों ने विरोध प्रदर्शन किया
जलपाईगुड़ी। करला वैली, डेंगुआझार, जयपुर, शिकारपुर चाय बागानों सहित कई चाय बागानों में श्रमिकों ने गेट मीटिंग के माध्यम से विरोध प्रदर्शन किया। जलपाईगुड़ी सदर ब्लॉक में करला वैली टी एस्टेट के श्रमिक बड़ी संख्या में एकत्र हुए और 20% बोनस के साथ 10 सूत्री मांग को लेकर एक विरोध सभा का आयोजन किया। चाय बागान मजदूर यूनियन करला वैली इकाई द्वारा आहूत इस विरोध सभा में महिला श्रमिकों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। अधिकारियों द्वारा बैठक न करने की धमकी के बावजूद सभा का आयोजन किया गया। इसी तरह गुडरिक कंपनी के जलपाईगुड़ी शहर के पास डेंगुआझार चाय बागान के मजदूर और जयपुर बागान के मजदूर राजनीतिक मतभेदों को भुलाकर सत्ता पक्ष व विपक्ष के मजदूर संगठन के सदस्य एकजुट होकर इस संघर्ष में शामिल हो गये।
विरोध सभा में सुबह से ही भांडीगुड़ी चाय बागान के श्रमिक भी बड़ी संख्या में जुटने लगे। मजदूरों ने 20 फीसदी बोनस की मांग के साथ-साथ कई वर्षों से वहां रह रहे मजदूरों को जमीन का अधिकार दिए बगैर चाय बागान की जमीन लूटने के सरकार के फैसले का विरोध किया। हाल ही में दार्जिलिंग के बागानों को लूटने की साजिश पकड़े जाने के बाद चाय श्रमिक भू-माफियाओं के साथ विवाद में फंस गये थे। राज्य व केंद्र सरकार धोखा देकर चाय श्रमिकों को वंचित कर रही है। वक्ताओं के भाषण में भूमि अधिकार, न्यूनतम मजदूरी की मांग और बागान श्रमिकों की मांगें उठीं।
वक्ताओं ने कहा कि पिछले साल द्विपक्षीय बैठक में 20 फीसदी बोनस तय हुआ था, लेकिन इस बार मालिक पक्ष ने बिना किसी कारण 8.33 फीसदी बोनस देने की बात कही है, इसकी शिकायत चाय बागान श्रमिकों ने की। चाय उद्योग की प्रगति के बावजूद मालिकों के इस तरह के प्रस्ताव से पूरे उद्योग में श्रमिक नाराज हैं। बैठक में यह घोषणा की गई कि सरकार और मालिक के अत्याचार को रोकने के लिए चाय श्रमिक भविष्य में बड़ा आंदोलन करेंगे। इस दिन चाय श्रमिक नेता प्रफुल्ल लकड़ा, अमल नाइक, गोबिन ओराओ, ध्रुवज्योति गांगुली समेत अन्य श्रमिक नेताओं ने विभिन्न चाय बागानों की बैठकों में अपनी बातें रखीं।