बाबुल सुप्रियो और शुभेंदु अधिकारी के बीच जुबानी जंग तेज

कोलकाता। हाल में भाजपा छोड़कर तृणमूल कांग्रेस में शामिल हुए बाबुल सुप्रियो ने बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी पर परोक्ष तौर पर निशाना साधते हुए भाजपा को केकड़ों से भरा दल बताया है। सांसद पद से इस्तीफा दे चुके बाबुल ने कहा कि भाजपा ऐसी पार्टी है, जहां सहकर्मियों के साथ विश्वासघात व बेईमानी की जाती है और बाहरी लोगों को चार्टर्ड प्लेन पर चढ़ाया जाता है। शुभेंदु पर परोक्ष रूप से हमला बोलते हुए बाबुल ने कहा कि भाजपा में शामिल जो लोग उन्हें नैतिकता का ज्ञान दे रहे हैं, वे उनसे कहना चाहेंगे कि पहले वे अपने घर से इसकी शुरुआत करें। जीवन में शुरू से ही उन्होंने काफी कठिन निर्णय लिए हैं।

1992 में बैंक की सुरक्षित नौकरी छोड़कर वह मुंबई चले गए थे। उस समय की तरह वे आज भी डरते नहीं हैं और अन्याय करने वालों के खिलाफ लड़ाई करते रहेंगे। आसनसोल के लोगों को संबोधित करते हुए बाबुल ने कहा कि वे भाजपा के अवसरवादियों की बातों में ध्यान न दें। वह आसनसोल की जनता के साथ पहले भी थे, अभी भी हैं और आगे भी रहेंगे। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में बंगाल के लोगों की भलाई के लिए वह अतिरिक्त कुछ करने की कोशिश करेंगे।

बहुत से केकड़ों को जब एक बक्से में डाल दिया जाता है तो वे एक-दूसरे की टांग खींचने लग जाते हैं। वे किसी को भी ऊपर चढ़कर बक्से से बाहर जाने नहीं देते। बाबुल ने भाजपा में शामिल नेताओं को भी इसी मानसिकता का बताया है।

जितेंद्र तिवारी ने बाबुल पर बोला हमला : भाजपा नेता जितेंद्र तिवारी ने बाबुल सुप्रियो पर निशाना साधते हुए कहा कि मंत्रिपद चला जाना अगर जुर्माना है तो क्या बिना किसी परिश्रम के बाबा रामदेव की सिफारिश और मोदी जी की लोकप्रियता पर सांसद बनना लाटरी में मिले इनाम जैसा नहीं था? गौरतलब है कि बाबुल सुप्रियो ने ट्वीट कर कहा था- ‘बचपन में मैंने सुना था कि अगर तुम्हारा दिल व मन कहे कि किसी ने तुमपर अन्यायपूर्ण ढंग से जुर्माना लगाया है तो जुर्माना न देकर उसके खिलाफ अदालत में लड़ाई करो।

जरूरत पड़ने पर 100 रुपये खर्च करके उस जुर्माने को खारिज करवाओ।’ बाबुल के उसी पोस्ट के जवाब में जितेंद्र तिवारी ने यह बात कही है। गौरतलब है कि जितेंद्र तिवारी बाबुल के घोर विरोधी माने जाते हैं।बाबुल सुप्रियो जब भाजपा में थे, तब उन्होंने जितेंद्र तिवारी को भाजपा में शामिल किए जाने का पुरजोर विरोध भी किया था।

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