के.वी. शर्मा, विशाखापट्टनम । नगर के गुरुद्वारे में गुरुद्वारा सदा संगत के तत्वाधान में गुरु नानक जी की 553वी जयंती को भव्य रूप से आयोजित किया गया। इस समारोह के अंतर्गत आज सुबह से ही गुरुद्वारा प्रांगण में श्रद्धालुओं की चहल-पहल देखने को मिला।
गुरु नानक जयंती का महत्व : गुरु पर्व लोगों और उनकी शिक्षाओं के लिए गुरु नानक देव जी की निस्वार्थ सेवा को याद करने का दिन है! सिख गुरु का जन्म 15 अप्रैल1469 को वर्तमान पाकिस्तान में राई भाई दी तलवान दी कल्याण दास मेहता और मटा त्रिपत के घर हुआ। गुरु नानक देव धर्म के सतही पहलुओं में विश्वास नहीं करते थे और उन्होंने कहा कि वह अपने दिल में भगवान का नाम धारण करेंगे।
वे अन्न भंडार में काम करते थे। वहा उनकी मुलाकात मरदाना नाम के एक मुस्लिम नौकर से हुई और उन्होंने मिलकर मुसलमानों और हिंदुओं के लिए सभाएं आयोजित की जहां लोक भजन गाते थे। 28 वर्ष की उम्र में वे 3 दिन के लिए चले गए। अपनी वापसी के बाद उन्होंने कहा कोई हिंदू या मुस्लिम नहीं है बल्कि केवल एक ईश्वर है जो निराकार है और जिसकी पूजा कोई भी कर सकता है। उनकी शिक्षाएं जल्द ही सिखों के पवित्र गुरु ग्रंथ साहिब का हिस्सा बन गई।
समारोह : गुरु नानक जयंती के समारोह में सिख समुदाय का अपने घरों को रोशनी से सजाना, अभिनंदन का आदान-प्रदान करना और गुरुद्वारा का दर्शन करना शामिल है। 2 दिन पहले से गुरुद्वारे में गुरु ग्रंथ साहिब का 48 घंटे का अखंड पाठ किया जाता। गुरु नानक जयंती से 1 दिन पहले नगर कीर्तन का भी आयोजन किया जाता है जहां भक्त सुबह जुलूस निकालते हैं। कार्यक्रम के बाद लंगर में श्रद्धालुओं को प्रसाद उपलब्ध कराया गया।
इस कार्यक्रम में नगर के जाने-माने हिंदी पत्रकार एवं विशाखा समाचार हिंदी मासिक पत्रिका के प्रबंध संपादक राघवेंद्र मिश्र सीवीआर टीवी के रिपोर्टर गुडूरी सूर्य प्रकाश शर्मा एवं हिंदी पत्रकार हिंदी पाक्षिक पत्रिका विशाखापट्टनम दर्पण के संपादक के.वी. शर्मा ने कार्यक्रम में भाग लिया। यह कार्यक्रम गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष दिलसन सिंह आनंद की देखरेख में संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में सभी समुदायों के लोगों ने गुरु नानक देव जी की जयंती समारोह में भाग लिया।