वसन्तोत्सव पर आयोजित आभासी संगोष्ठी हुई

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं हिंदी परिवार इंदौर की उज्जैन इकाई के तत्वावधान में बसंत उत्सव पर आभासीय गोष्ठी का आयोजन किया गया, इस गोष्ठी में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शैलेंद्र कुमार शर्मा, कुलानुशासक एवं हिन्दी विभागाध्यक्ष, विक्रम विश्वविद्यालय, उज्जैन ने अपना मंतव्य देते हुए कहा कि – वाग्देवी की संज्ञा को प्रचारित और प्रसारित राजा भोज ने किया। हमारी अभिव्यक्तियां बिना वाग्देवी की कृपा से ही संभव नहीं हैं।

मुख्य अतिथि -श्री सुरेश चन्द्र शुक्ल (शरद आलोक) नॉर्वे, ने कविता – शैल, शिखर, नवभूमंडल…चांदनी छिटक बने वातायन, सुनाते हुए जन्म दिवस की बधाइयों के लिए धन्यवाद दिया। विशिष्ट अतिथि डॉ. शहाबुद्दीन नियाज मोहम्मद शेख, पुणे, महाराष्ट्र, कार्यकारी अध्यक्ष नागरी लिपि परिषद ने कहा- प्रकृति हमें संतुलन के सिद्धांत पर चलना चाहती है। संयोजक डॉ प्रभु चौधरी ने विश्व गायत्री परिवार के संस्थापक वेद मूर्ति पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य जी के आध्यात्मिक जन्म दिवस पर अपने विचार व्यक्त किए।

संगोष्ठी की अध्यक्षता बी.के. शर्मा, अध्यक्ष राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना एवं पूर्व शिक्षा अधिकारी ने कहा- राम की शक्ति पूजा में निराला शुरुआत ही ‘रवि अस्त’ हुआ से करते हैं। बसंत -“नवल वसंत नवल वृंदावन नवल ही फूले फूल” है। विशिष्ट अतिथि सुवर्णा जाधव, कार्यकारी अध्यक्ष, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा – निराशा से हटकर प्रेरणादाई वातावरण निर्मित करेंगे। विशेष अतिथि डॉ. अनसूया अग्रवाल ने बताया कि, जिस तरह से कामदेव ने बसंत पंचमी के दिन से ही शिव की तपस्या भंग करना प्रारंभ की थी।

विशेष अतिथि डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक, राष्ट्रीय मुख्य प्रवक्ता, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा- वीरों का बसंत तो युद्ध में ही बीत जाता है। विशिष्ट अतिथि डॉ. मंजू रस्तोगी, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, चेन्नई ने कहा – माँ सरस्वती बुद्धि, प्रज्ञा, मनोवृत्ती की संरक्षिका है। विशेष वक्ता डॉ. सुनीता मंडल, राष्ट्रीय उपाध्यक्ष, कोलकाता ने कहा- निराला की साहित्य साधना को देखकर प्रेरणा मिलती है। आयोजक डॉ. शहनाज शेख, उप महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने कहा कि – इस दिन पीले रंग का बहुत महत्व है।

संचालक डॉ. रश्मि चौबे, गाजियाबाद, राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष, महिला इकाई राष्ट्रीय संचेतना ने कार्यक्रम का सुव्यवस्थित संचालन किया। कार्यक्रम की शुरुआत श्वेता मिश्रा, पुणे, राष्ट्रीय सचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की सरस्वती वंदना से हुआ। स्वागत भाषण डॉ. अरुणा शुक्ला ने दिया और आभार व्यक्त डॉ. प्रभु चौधरी, महासचिव, राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने किया। कार्यक्रम में पद्मचंद गांधी, डॉ. रंजीत, सुधा, चंडीगढ़ आदि अन्य अनेक गणमान्य उपस्थित रहे।

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