ग्वालियर में हुआ विरासत स्वराज यात्रा 2021-22 का अयोजन

ग्वालियर : 11 दिसम्बर 2021 को विरासत स्वराज यात्रा ‘विरासत बचाओ राष्ट्रीय जल सम्मेलन’ के दूसरे दिन भी आईआईटीटीएम ग्वालियर में रही। इस कार्यक्रम के प्रथम सत्र और दूसरे सत्र में जलपुरुष राजेन्द्र सिंह के साथ भारत सरकार के कृषिकल्याण मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर और जल शक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल उपस्थित रहें। कार्यक्रम में जल पुरुष राजेंद्र सिंह ने कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर और जल शक्ति राज्यमंत्री प्रहलाद पटेल से आग्रह किया हमें बहुत बड़ी-बड़ी परियोजनाओं की जरूरत नहीं है, हमें तो कम लागत के टिकाऊ विकास की तरफ बढ़ना चाहिए, भारत में बडी परियोजनओं से विकास की संभावनाएं लागत के सापेक्ष बहुत कम है, छोटे प्रयासों को बढ़ावा देना चाहिए।

अब ऐसा वक्त आ गया है कि, तकनीकी से ज्यादा महत्वपूर्ण लोगों के अंदर जल के प्रति ज्ञान बढ़ाने की आवश्यकता है, सब मिलकर जब संगठित होकर जब काम करेंगे तभी परिवर्तन आ सकता है। आज हमें फसल चक्र को वर्षा चक्र के साथ जोड़ने की जरूरत है। इस देश में जल साक्षरता की बहुत आवश्यकता है, आपकी सरकार को देशभर में जल साक्षरता की मुहिम चलानी चाहिए।

भारत सरकार के कृषि कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि, हम दूध की बूंदों को जिस प्रकार से सहेजते हैं उसी तरह से हमें पानी को भी सहेजना होगा। वर्तमान में प्रकृति के असंतुलन को कम करने के लिए सरकार और समाज दोनों को काम करने की जरूरत है। पानी के कारण जो संकट उत्पन्न हो रहे हैं, उनके लिए समाज के प्रत्येक वर्ग को गंभीरता से सोचना होगा। खाद्यान्न के बिना जीवन चल सकता है, लेकिन जल के बिना जीवन नहीं चल सकता है।

उन्होंने कहा कि उनकी सरकार मोटे अनाजों को प्रोत्साहन देने के लिए विशेष तौर से प्रयासरत है। भारत सरकार ने संयुक्त राष्ट्र संघ में 2023 को मोटे अनाज वर्ष के रूप में मनाए जाने का जो प्रस्ताव दिया था, उसको पूरी दुनिया ने मान लिया है। अब वर्ष 2023 मोटे अनाज के वर्ष के रूप में मनाया जाएगा। हमें मौलिक अधिकारों के साथ-साथ प्रकृति का भी संरक्षण करने की जरूरत है।

भारत सरकार के जलशक्ति राज्य मंत्री प्रहलाद पटेल ने कहा कि विवेकपूर्ण संसाधनों का उपयोग महत्वपूर्ण है। अगली पीढ़ियों के लिए हमें संसाधनों को बचा कर रखना होगा, जिसके लिए हमें प्रकृति के साथ जीना होगा नदियों को कभी भी नहर नहीं बनाया जा सकता और इस तरह के जो भी प्रयास होते हैं वह घातक होते हैं। नदी में ही जल गुणवत्ता सुनिश्चित रह सकती है। जल साक्षरता को बढ़ावा देना वर्तमान समय की सबसे बड़ी जरूरत है, इसको पाठ्यक्रम में शामिल कराने के लिए वह निरंतर प्रयासरत हैं। उन्होंनें कहा कि, नदियों की संस्कृति को बचाने की आवश्यकता है, हम सबको परिणाम तभी प्राप्त होंगे, जब हम समझ बढ़ाने के लिए भारत में जल साक्षरता अभियान को गति प्रदान करेंगे।

जल जन जोडो अभियान के राष्ट्रीय संयोजक संजय सिंह ने कहा कि ग्वालियर में आयोजित जल सम्मेलन से जो निष्कर्ष निकलेगे, वह भारत सरकार और राज्य सरकारों के साथ साझा किए जाएगे। कार्यक्रम में तेलंगाना जल बोर्ड के अध्यक्ष कैबिनेट मंत्री प्रकाश राव, भारत सरकार के जल शक्ति मंत्रालय के निदेशक गिर्राज गोयल बुंदेलखंड विश्वविद्यालय के समाज कार्य विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ मुहम्मद नईम, एकता परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष रन सिंह परमार, स्नेहिल डौंदे, मुकेश पण्डित, सर्वोदय जन कल्याण परिषद के अध्यक्ष मनीष राजपूत, परमार्थ निदेशक अनिल सिंह,

वरुण सिंह, आई.आई.टी.टी.एम. के निदेशक प्रो. आलोक शर्मा, आर्यशेखर, पारस सिंह, श्वेता झुनझुनवाला, शिवानी सिंह, सोनिया पस्तोर, सत्यम, जितेन्द्र सिंह, महताब आलम, धीरज सिंह, सहित देशभर के 22 राज्यों से आए लोग इस सम्मेलन में प्रतिभागी रहे। सांध्यकालीन सत्र में डॉ. मुहम्मद नईम के संचालन एवं डॉ. मिली भट्ट के संयोजन में बुन्देली कलाकारों द्वारा बुन्देली लोकनृत्य राई, चरकुला, ढिमरयाई आदि की प्रस्तुति की गई।

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