शुक्र अस्त (तारा डूबेगा) 24 अप्रैल बुधवार से और शुक्र उदय होगा (तारा चढ़ेगा) 07 जुलाई रविवार को

वाराणसी। विवाह अन्य मांगलिक कार्यो के शुभ मुहूर्त के लिए करना होगा एक लंबा इंतजार, आइए जानते हैं इस वर्ष कब-कब है विवाह के शुभ मुहूर्त। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुरू और शुक्र तारा उदय हो एवं शुभ मुहूर्त में ही विवाह आदि मांगलिक कार्य सम्पन्न किए जाते है। विवाह एवं मांगलिक कार्यों के लिए गुरू और शुक्र तारा का उदय होना एवं शुभ मुहूर्त का होना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस वर्ष सन् 2024 ई. बुधवार 24 अप्रैल सुबह 05 बजकर 56 मिनट पर शुक्र (तारा) पूर्व में अस्त होगा और इस वर्ष 07 जुलाई सुबह 07 बजकर 02 मिनट पर शुक्र पश्चिम में उदय होगा और इसी बीच 06 मई को गुरु (तारा) शाम 07 बजकर 06 मिनट पर पश्चिम में अस्त होगा और 02 जून गुरु पूर्व में 24:40 पर उदय होगा, इस दौरान आपको विवाह आदि मांगलिक कार्य करने से बचना चाहिए। सन् 2024 ई. 07 जुलाई के बाद ही शुभ मुहूर्त में विवाह आदि मांगलिक कार्य शुरू होंगे।

गुरू और शुक्र तारा अस्त के दौरान आप सगाई आदि का कार्य यानि कि मंगनी आदि कार्य शुभ मुहूर्त में कर सकते हैं। मंगनी आदि कार्य में कोई समस्या वाली बात नहीं है।
तारा डूबने या चढ़ने का तात्पर्य तारा के अस्त और उदय हो जाने से होता है। जैसे सूर्य का उदय और अस्त होना। खगोल के मुताबिक सूर्य पृथ्वी के सबसे नजदीक का तारा है जो अपने ही प्रकाश से चमकता है। अन्य ग्रह सूर्य के प्रकाश से ही प्रकाशित होते हैं। भारतीय ज्योतिष में गुरु एवं शुक्र ग्रह को तारा माना गया है।

गुरु एवं शुक्र अस्त के इन दिनों में विवाह, गृहप्रवेश, मुंडन संस्कार, शपथ ग्रहण करना, शिलान्यास, व्रत उद्यापन (मोख), यगोपवीत संस्कार आदि शुभ मांगलिक कार्य करना पूर्णतः वर्जित है। इसी तरह स्वयंवर के लिए भी गुरु व शुक्र के अस्त का समय त्याज्य माना गया है। कोई व्यक्ति पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।

पुराने या मरम्मत किए गए मकान में गृह प्रवेश हेतु गुरु एवं शुक्र के अस्त काल का विचार नहीं किया जाता अर्थात जीर्णोद्धार वाले मकान बनाने के लिए गुरु व शुक्र अस्त काल में प्रवेश कर सकते हैं। ऐसा माना जाता है कि शुक्र के अस्त होने पर यात्रा करने से प्रबल शत्रु भी जातक के वशीभूत हो जाता है। शत्रु से सुलह या संधि हो जाती है। शुक्रास्त काल में वशीकरण के प्रयोग शीघ्र सिद्धि देने वाले साबित होते हैं।

यात्रा हेतु शुक्र का सामने और दाहिने होना त्याज्य है। वधू का द्विरागमन गुरु व शुक्र के अस्त काल में वर्जित है। यदि आवश्यक हो तो दीपावली के दिन ऋतुवती वधू का द्विरागमन इस काल में कर सकते हैं। राष्ट्र विप्लव, राजपीड़ावस्था, नगर प्रवेश, देव प्रतिष्ठा, एवं तीर्थयात्रा के समय नववधू को द्विरागमन के लिए शुक्र दोष नहीं लगता। वृद्ध व बाल्य अवस्था रहित शुक्रोदय में मंत्र दीक्षा लेना शुभ माना जाता है। प्रसूति स्नान के अलावा अन्य शुभ कार्यों में भी इन दोनों ग्रहों का अस्त काल वर्जित है।

अस्तकाल में गुरु में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शुक्र की अंतर्दशा, गुरु में शुक्र की अंतर्दशा, शुक्र में गुरु की अंतर्दशा, शुक्र में शनि की और शनि में शुक्र की अंतर्दशा और शेष ग्रहों में गुरु एवं शुक्र की अंतरदशाएं कष्टप्रद होती हैं। कोई विधवा स्त्री या परित्यक्ता नारी किसी अन्य पुरुष से पुनर्विवाह करे तो गुरु व शुक्र के अस्त, वेध, लग्न शुद्धि, विवाह विहित मास आदि का कोई दोष नहीं लगता।

पंचांग के अनुसार सन् 2024 ई. 07 जुलाई तारा उदय होने के बाद विवाह के मुहूर्त इस प्रकार है :-
ध्यान दें : 24 अप्रैल से 07 जुलाई तक शुक्र अस्त (तारा डूबेगा ) रहेगा, इसी बीच 6 मई से 2 जून,2024 तक गुरु अस्त (तारा डूबेगा) रहेगा।
ध्यान दें : देवशयनकाल (चातुर्मास) के लिए विवाह शुभ मुहूर्त (जम्मू कश्मीर, पंजाब, हिमाचल प्रदेश और राजस्थान के लिए 17 जुलाई से 12 नवम्बर तक)
जुलाई : 11,12,14,19,20,21,22,23,27,30 और 31.
अगस्त : 5,6,7,8,11,13,19,23,24,26, 27और 28.
सितंबर : 4,7,8,9,10,11,12, 13 और 14.
अक्टूबर : 3,6,7,11,12,20,21,26,27 और 28.
नवंबर : 3,4,6,9,10,14,17,18,22,23,2425,26 और 27.
दिसंबर : 5,6,7और 11.

ज्योर्तिविद वास्तु दैवज्ञ
पंडित मनोज कृष्ण शास्त्री
मो. 9993874848

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