आज कलम के जादूगर, उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद जी की जयंती पर बहुत ही दुःख के साथ यह लिखना पड़ रहा है कि मुंशी प्रेमचंद जी की जन्म और कर्म भूमि प्रदेश में हिंदी की आज यह हालत है कि भारत की सबसे बड़ी बोर्ड परीक्षा में इस बर्ष 10वीं और 12वीं में कुल मिलाकर हिंदी विषय में लगभग 8 लाख से ज्यादा छात्र फेल हो गए हैं।
इस साल कक्षा 10वीं में हिंदी विषय में फेल होने वाले छात्रों की संख्या 5.28 लाख है, जबकि कक्षा 12वीं में 2.70 लाख छात्र हिंदी विषय में फेल हुए हैं। यूपी बोर्ड की दसवीं और बारहवीं की परीक्षा के लिए कुल 56 लाख बच्चे पंजीकृत थे।
जिसमे हिंदी विषय में दोनों कक्षाओं को मिलाकर लगभग 7.98 लाख छात्र फेल हुए हैं तथा 2.39 लाख छात्रों ने हिंदी के पेपर को ही छोड़ दिया था, अर्थात देखा जाए तो 10वीं और 12वीं के कुल परीक्षार्थियों में 18.5 प्रतिशत छात्र हिंदी में फिसड्डी साबित हुए हैं।
अब इसके लिए किसे जिम्मेदार ठहराया जाए स्कूल के शिक्षकों को, छात्रों को या अभिभावकों को या फिर देश की शिक्षा व्यवस्था को? जिस उत्तर प्रदेश ने हिंदी साहित्य के रथी महारथी विद्वानों को जन्म दिया हो उस प्रदेश में आज हिंदी की स्थिति इतनी दयनीय हो गई है की समझ में नहीं आता कि क्या टिप्पणी किया जाए?
Bahut khoob..