‘युवा दिवस’ पर स्वामी विवेकानंद पर अप्रतिम परिचर्चा और भव्य काव्य संध्या का आयोजन

स्वामी जी ने अपने विचारों को अपने व्यक्तित्व एवं अपने कृतित्व के माध्यम से सभी तक पहुंचाया-डॉ.बत्रा
जब तक हमारे जीवन में स्वामी जी के विचार और व्यवहार नहीं आयेंगे तब तक उनकी जयंती मनाना सार्थक नहीं होगा- जगदीश मित्तल

कोलकाता। युगपुरुष स्वामी विवेकानंद जी की जयंती के शुभ अवसर पर राष्ट्रीय कवि संगम पश्चिम बंगाल द्वारा संस्था के प्रांतीय अध्यक्ष – डॉ. गिरधर राय की अध्यक्षता में, स्वामी विवेकानंद पर एक अभूतपूर्व परिचर्या एवं काव्य संध्या का सफल आयोजन किया गया। जिसका अत्यंत ही कुशल संयोजन एवं संचालन किया प्रांतीय मीडिया प्रमुख देवेश मिश्र ने। इस अवसर पर – संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबूजी जगदीश मित्तल, राष्ट्रीय महामंत्री डॉ. अशोक बत्रा, छत्तीसगढ से मल्लिका रुद्रा, साखी गोपाल पांडा एवं प्रांतीय मंत्री बलवंत सिंह गौतम और प्रोफेसर सत्य प्रकाश तिवारी की उपस्थिति से कार्यक्रम में चार चाँद लग गया। कार्यक्राम का शुभारम्भ हुआ रीमा पाण्डेय की सुमधुर सरस्वती वन्दना के द्वारा।

तत्पश्चात, स्वामी विवेकानंद पर अपना अप्रतिम वक्तव्य रखते हुए, डॉ. अशोक बत्रा ने स्वामी विवेकानंद जी के कई रोचक प्रसंगों को सुनाकर सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया। डॉ. बत्रा ने कहा – स्वामी जी ने अपने वचनों से नहीं, अपितु अपने व्यक्तित्व एवं अपने कृतित्व के माध्यम से सभी तक अपने विचारों को पहुंचाया। उन्होनें बताया कि सुभाष चन्द्र बोस ने स्वामी जी के विषय में कहा था कि ‘यदि स्वामी विवेकानंद जीवित होते तो मैं उनके चरणों में होता’। कार्यक्रम में राष्ट्रीय अध्यक्ष मित्तल जी की उपस्थिति ने सबको बहुत उत्साहित किया। बाबूजी ने कहा ‘जब तक हमारे जीवन में स्वामी जी के विचार और व्यवहार नहीं आयेंगे तब तक उनकी जयंती मनाना सार्थक नहीं होगा’।

तत्पश्चात, युवा कवि विकास ठाकुर ने अपनी रचना ‘रंग दे बसंती’ के साथ कवि गोष्ठी का शुभारम्भ किया। स्वामी जी के बहुचर्चित नारे ‘गर्व से कहो – हम हिन्दू हैं’ को आधार बनाकर, आलोक चौधरी ने अपनी रचना ‘मैं हिन्दू हूँ’ एवं रामाकांत सिन्हा ने अपनी रचना ‘मैं हिंदुत्व के लिए विवेकानंद के विचार रखता हूँ’ सुनाकर, सभी में भरपूर ऊर्जा भर दी।इस अवसर पर स्वामी जी को समर्पित बांग्ला भाषा में भी रचनाएँ पढ़ी गयीं जिनमें – हिमाद्री मिश्रा की रचना ‘आजके तोमार जोन्मदिन’ एवं स्वागता बसु की रचना ‘हे वीर सोन्यासी गाईबो तोमार गान’ बेहद सराही गयीं।

इनके अतिरिक्त अन्य रचनाओं में – प्रांतीय महामंत्री रामपुकार सिंह की गजल ‘इक युवा सन्यासी, लोहा खुद के मनवा दिए’, प्रांतीय उपाध्यक्ष श्यामा सिंह की रचना ‘सच्चा आनंद तब मिलता है जब विवेक साथ हो’, देवेश मिश्र की रचना ‘इस बंगाल की माटी पर जब जब गीत लिखा मैंने’, साखी गोपाल पांडा की रचना ‘भारत भू पर कोई बालक विवेकानंद होता है’ एवं मल्लिका रुद्रा की रचना कमज़ोर नहीं होना है, सत्य के साथ चलना है’ भी बेहद सराही गयी।

अंत में डॉ. गिरधर राय ने अपनी कविता -“त्याग विवेक से भरे, दुखियों में आनंद, व्यक्ति वही बन जाता है स्वामी विवेकानंद” से सबको भाव विभोर कर दिया। अंत में राम पुकार सिंह ने धन्यवाद ज्ञापन कर यह अभूतपूर्व कार्यक्रम सुसंपन्न किया। श्रोताओं के मध्य मौसमी प्रसाद, राजीव मिश्रा, मनोरमा झा, नीलम मिश्रा, पुष्पा मिश्रा, रीता पात्रो, जूही मिश्रा, निखिता पांडे, नीलू मेहरा, ललिता जोशी, महेश चौधरी, अंकित साव, दिलीप कुमार एवं मिंकू प्रजापति ने भी उपस्थित होकर कार्यक्रम को सफल बनाने में अपना अमूल्य योगदान दिया।

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