अमृत महोत्सव ‘काव्य श्रृंखला’ के अन्तर्गत काव्य गोष्ठी में बही काव्य गंगा

कोलकाता : 11 अगस्त, ‘अमृत महोत्सव काव्य श्रृंखला’ के अंतर्गत ‘राष्ट्रीय कवि संगम’ की दक्षिण कोलकाता इकाई द्वारा प्रान्तीय अध्यक्ष डॉ. गिरिधर राय की अध्यक्षता में वीर सपूतों की याद में भव्य काव्य गोष्ठी का आयोजन हुआ। जिसका संयोजन किया शिव शंकर सिंह ने। जिला मंत्री ने उपस्थित सम्मानित रचनाकारों सहित सभी श्रोताओं का तहे-दिल से स्वागत और अभिनंदन करते हुए आभार जताया। कार्यक्रम की शुरुआत कुशल संचालक सीमा सिंह द्वारा माँ भारती की वन्दना से हुई।

उसके बाद पूर्णिमा पाठक, कृतार्थ पाठक, विष्णु प्रिया त्रिवेदी, अल्पना सिंह, विजय शर्मा विद्रोही, देवेश मिश्रा और रामाकान्त सिन्हा ने राष्ट्र के वीर सपूतों के नाम अपनी रचनाओं को सुनाकर श्रोताओं की वाह-वाही बटोरी। दीपक कुमार सिंह की कविता – ‘अमृत महोत्सव आजादी का’, सुषमा राय पटेल की कविता – ‘विश्व शांति उद्घोषक तिरंगा/प्राणी मात्र का पोषक तिरंगा’ और “पुकार” गाजीपुरी की गजल – ‘आजादी पूर्व राष्ट्र धर्म का गर पाठ पढ़ा देते/आजादी तक गद्दारों को हिन्दुस्तान छुड़ा देते।’ सुन कर सभी मंत्र मुग्ध हो गये।

एक ओर स्वागता बसु ने प्रख्यात कवि मदन मोहन “समर” जी की रचना ‘तुम्ही शकुंतला के भारत हो दाँत गिने जो शेरों के/लव-कुश हो अवरोध हुए जो अश्वमेध के पैरों के।’ की लाजबाब प्रस्तुति देकर पूरे माहौल को ओजपूर्ण बना दिया तो वही हिमाद्रि मिश्रा की शौर्य भरी रचना ने सभी में जोश भर दिया तथा वरिष्ठ कवयित्री श्यामा सिंह की “जिस्म घायल है, रूह बेकल है’ ने आज के तथाकथित रहनुमाओं की कथनी और करनी के अंतर को प्रस्तुत किया।

अपने अध्यक्षीय वक्तव्य में डॉ. गिरधर राय ने सभी रचनाकारों की रचनाओं की प्रशंसा करते हुए अपनी रचना ‘बोल तिरंगे अब क्या गाऊँ/बोल तुझे कहाँ फहराऊँ।’ सुनाकर भाव विभोर कर दिया। अंत में देवेश मिश्रा द्वारा सभी रचनाकारों और श्रोताओं का हार्दिक आभार जताते हुए धन्यवाद ज्ञापन के साथ कार्यक्रम सुसंपन्न हुआ।

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