उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना द्वारा होली के पावन पर्व पर एक आभासी अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के महासचिव डॉ. प्रभु चौधरी ने की। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. अरुण शुक्ला उपस्थित थी। संयोजिका डॉ. रश्मि चौबे ने बहुत ही सुंदर गीत प्रस्तुत किया। डॉ. अरुण शुक्ला ने बुराई पर अच्छाई की जीत के त्योहार पर होली के महत्व को अपने भावों के द्वारा व्यक्त किया और एक सुंदर गीत श्रोताओं को सुनाया। डॉ. मुक्ति शर्मा कश्मीर ने “अवध में होली खेले मेरे राम” गीत सुनाया।
राष्ट्रीय प्रवक्ता सुंदरलाल जोशी ‘सूरज’ने कुछ यूं कहा –
उसे रंग दो रंग में, और मिलाओ ताल।
अवनी अंबर एक हो, ऐसी उड़े गुलाल।।
विशिष्ट अतिथि रमा शर्मा जापान ने कहा – प्रेम और विश्वास जीवन के मूल रंग हैं। इन्ही में अभिलाषाओं और सपनों के सभी रंग समाविष्ट हैं उन्ही रंगो की अबीर गुलाल के साथ होली की मंगल शुभकामनाएं।
डॉ. शहेनाज शेख नांदेड़ राष्ट्रीय उप महासचिव ने कहा- नीला, पीला, हरा रंग, लगे हर अंग-अंग ढोल बाजे बज रहे मचा क्या धमाल है गुजिया है मावे भरी, ठंडाई में भांग घुली झूम रहे यहाँ वहाँ, भांग का कमाल है होली है भई होली है, मस्तानों की ये टोली है टोपी है, रुमाल है, उड़ता गुलाल है चले पिचकारी जब, भीगे नर नारी सब…..
वरिष्ठ साहित्यकार कवि कीर्तिवर्धन ने गीत और मुक्तकों की झड़ी लगा दी। उन्होंने कहा –
इंद्रधनुष के रंगों जैसा, मुझको रंग दो।
होली के रंगों को, सतरंगी कर दो।
कृष्णा जोशी ने अपनी पंक्तियों में कहा कि होली – प्रीत की जीत का त्यौहार है और हार जीत का किरदार है।
राष्ट्रीय सचिव श्वेता मिश्रा ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए बहुत मधुर गीत पढा़ – आज मथुरा में होली है। विशिष्ट वक्ता डॉ. अनसूया अग्रवाल और कविता भी इस कार्यक्रम में जुड़ी रही। प्रदेश अध्यक्ष युवा इकाई की कविता वशिष्ठ ने सुनाया –
इधर भी रंग है, उधर भी रंग है।
जिधर देखो भाई, उधर सब बेरंग है।
राष्ट्रीय मुख्य कार्यकारी अध्यक्ष सुवर्णा जाधव पुणे भोपाल की डॉ. अनीता तिवारी प्राध्यापिका एवं अनेक साहित्यकार समाजसेवी उपस्थित रहे। अंत में आभार राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना की उप महासचिव रजनी प्रभा ने व्यक्त किया।
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