उज्जैन : राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना ने मनाया अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस

संस्कारों की नींव जमाती, हर पल आगे बढ़ती जाती,
वेद ऋचाओं में भी मैं हूँ, आज गगन में पैर जमाती।
नहीं किसी से हेठी हूँ, मैं भारत की बेटी हूँ।

उज्जैन। राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना उज्जैन के 34वे संचेतना महोत्सव का 7वां अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस, पर राष्ट्रमाता पन्नाधाय जयंती समारोह तथा महाशिवरात्री के अवसर पर विज्ञान समिति भवन उदयपुर में दो दिवसीय 8-9 मार्च को राष्ट्रीय मातृ शक्ति सम्मान समारोह, मातृ शक्ति राष्ट्र शक्ति विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी, भारत माता राष्ट्रीय अभिनंदन तथा राष्ट्रमाता पन्नाधाय मातृशक्ति सम्मान एवं अखिल भारतीय काव्य गोष्ठी का भव्य आयोजन किया गया।

उद्घाटन सत्र में कार्यक्रम के मुख्य अतिथि मुजफ्फरनगर से पधारे डॉ. कीर्ति वर्द्धन ने अपनी बात उपरोक्त कविता से शुरू करते हुए महिला दिवस मनाने के कारण, भारतीय संदर्भों में महिला दिवस की विवेचना करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति में नारी का स्थान सबसे ऊपर है। कालखंड में परिस्थितियों वश कुछ समस्याओं का सामना करना पड़ा। जबकि युरोपीय देशों में आज भी स्त्री को उतना सम्मान प्राप्त नहीं जितना भारत में है।

महिला अधिकारों को लेकर 8 मार्च 1901 में युरोपियन देशों में पहली बार हड़ताल का आह्वान किया गया था। बाद में 1975 में संयुक्त राष्ट्र ने आठ मार्च को ही अंतरराष्ट्रीय दिवस घोषित कर दिया। अपने सम्बोधन में उन्होंने वैदिक काल से वर्तमान तक की अनेकों विदुषियों तथा वीरांगनाओं का उल्लेख किया। इतिहासकारों ने पन्नाधाय का जन्म भी आठ मार्च 1490 बताया है इसका उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि महिला दिवस को राष्ट्र माता पन्नाधाय दिवस के रूप में राजस्थान के साथ ही देश को भी अपनाना चाहिए।

आयोजन का प्रारंभ करते हुए राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना के राष्ट्रीय महासचिव प्रभु चौधरी ने संगठन की यात्रा और सरोकारों के विस्तार से बताया। उन्होंने कहा की संगठन देश के दस राज्यों में तीस हज़ार सदस्यों के साथ संस्था कार्यरत हैं। मुख्य वक्ता नानजी भाई गुर्जर ने पर्यावरण संरक्षण में महिलाओं की भूमिका की विस्तृत चर्चा की। प्रथम सत्र का संचालन डॉ. अनीता तिवारी भोपाल ने एवं आभार डॉ. रेनू सिरोया कुमुदिनी उदयपुर ने माना।

द्वितीय सत्र में गाजियाबाद से पधारी तुलिका सेठ के संचालन में सफल काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। तृतीय सत्र में मातृ शक्ति राष्ट्र शक्ति पर अनेक बहनों ने अपने विचार व्यक्त किए। संगोष्ठी का संचालन डॉ. अरुणा सराफ प्रदेश महासचिव इन्दौर ने आभार डॉ. दिव्या मेहरा इन्दौर ने माना। चतुर्थ सत्र के मुख्य अतिथि के.एल. कोठारी ने पन्नाधाय के जीवन संघर्ष का विस्तृत वर्णन किया और जैन धर्म के सिद्धांतों पर चर्चा की।

तत्पश्चात् सभी मातृशक्ति को राष्ट्र माता पन्नाधाय सम्मान तथा पाँच मातृ शक्ति को भारत माता राष्ट्रीय अभिनंदन सम्मान से 40 मातृशक्ति को सम्मानित किया गया। अभिनन्दन समारोह के विशिष्ट अतिथि डॉ. प्रभु चौधरी राष्ट्रीय महासचिव उज्जैन मुकेश सिरोया उदयपुर, कीर्ति वर्धन जी कवि साहित्यकार मुजफ्फरनगर तथा अध्यक्ष महिला इकाई डॉ. शिवा लोहारिया जयपुर ने अध्यक्षता की। सभी अतिथियों को उदयपुरी पगड़ी, अंग वस्त्र तथा प्रतीक चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।

समारोह में सरस्वती धानेश्वर भिलाई डॉ. प्रतिभा येरेकार नांदेड़, डॉ. अनीता भाटी गरिमा प्रपन्न, कविता वशिष्ठ देवास, वशीम अहमद शेख नांदेड, किरण आचार्य भंवरी गायरी उदयपुर, कृष्णा सिंह चितौड़गढ़, संगीता हडके भोपाल, मंजू अवस्थी लखनऊ, रमेश कुमार यादव इन्दौर आदि उपस्थित रहे। संचालन डॉ. शहनाज शेख नांदेड़ ने एवं आभार डॉ. रेनू सिरोया कुमुदिनी उदयपुर ने माना।

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