राजनीति का टर्निंग प्वाइंट

सेवा और कल्याण की राजनीति से मिलता है वोट, पर्सेंट पोस्टर बैनर लगाने से नहीं?
हाईकमान को अब नेताओं की पोस्टर बाजी, नोट बटाई, पर्सेंट नीति, छिपी कमाई से क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर सेवा कल्याण की राजनीति पर लाना ज़रूरी – एडवोकेट किशन भावनानी

किशन सनमुख़दास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। भारत में 13 मई 2023 का वह दिन भारतीय इतिहास में यादगार बनकर रहेगा जब एक राज्य के जनादेश के परिणाम सुनाएं दिखाए जा रहे थे और एक पार्टी के पक्ष में यह तेजी के साथ परिणाम टर्न होते जा रहे थे और जब 224 में से 136 सीटें लेकर पार्टी जीती तो सारे देश का चौंकना स्वाभाविक ही था। मैं इस राज्य के चुनावी तारीख की घोषणा के पहले से ही नजर लगाए हुए था। जिस तरह वहां माहौल, अन्य सभी पार्टियों सहित खासकर सत्ताधारी पार्टी बना कर रही थी, परिणाम उसके ठीक उलट ही आए। चुनाव जीती पार्टी ने जिस तरह सरकार की तथाकथित दुखती रग 40 परसेंट कमीशन और पेसीएम का मुद्दा जोर-शोर से उठाया, सीएम के फोटो के साथ पेसीएम का प्रचार किया, तो जनता जनार्दन का ध्यान बराबर उस पॉइंट पर गया और जनता जनार्दन के मैंने कई ग्राउंड रिपोर्टिंग टीवी चैनलों पर देखी जिसमें इस तथाकथित परसेंट नीति के बारे में दुखड़ा रो रहे थे, तो कई शासकीय दफ्तरों में चक्करों का दुख जता रहे थे।

वैसे मैं अपने राज्य के बारे में बताऊं तो इन बातों को यहां भी महसूस किया हूं जिसकी चर्चा आगे अपने एक पैराग्राफ में नीचे लास्ट में करूंगा। सबसे बड़ी बात आज दिनांक 15 मई 2023 को केंद्रीय परिवहन मंत्री ने राजस्थान में एक कार्यक्रम में संबोधन कर सेवा और कल्याण की राजनीति पर बल दिया और घोषणा की कि वे अबकी बार 2024 के लोकसभा चुनाव में अपने लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में बिना पोस्टर बैनर लगाए और बिना किसी को चाय पानी पिलाए चुनाव लड़ेंगे और पिछली 2019 के लोकसभा से 3.5 लाख़ वोट के अंतर से अधिक अंतर से जीत दर्ज करेंगे। यह बताना ज़रूर है कि यह माननीय नेता नागपुर से चुनाव लड़ते हैं और बहुत ईमानदार छवि के नेता हैं। इनकी इस छवि को मैंने प्रिंट मीडिया के हस्ते पिछले 25 से अधिक वर्षों से जानता हूं कि यह व्यक्तित्व क्लियर कट और साफ-सुथरे व्यक्तित्व का हैं।

हालांकि मैं कभी उनके सामने भी नहीं गया हूं परंतु इनके कामकाज व बयानों, वक्तव्य को पिछले 25 वर्षों से सुन रहा हूं, इसलिए अब समय आ गया है कि हम परसेंट, छवि, पोस्टर, बैनर, नोट बटाई, परसेंट नीति छिपी कमाई से उभरें। जिसका सबसे अधिक ध्यान अब सत्ताधारी पार्टी के शीर्ष नेतृत्व जोड़ी को देना होगा। अब उनकी अपनी ही पार्टी में कुछ नेताओं की राजनीति को टर्निंग पॉइंट में लॉकर क्रांतिकारी परिवर्तन कर सेवा कल्याण की राजनीति करने वालों को आगे लाना होगा। उन्हें उच्च पदों पर बैठाना होगा ताकि इस थीम को पीढ़ियों तक आगे ले जाया जा सके। इसलिए आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, राजनीति का टर्निंग प्वाइंट लाने की ज़रूरत है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

साथियों बात अगर हम माननीय केंद्रीय मंत्री के 15 मई 2023 को एक कार्यक्रम में संबोधन की करें तो उन्होंने सेवा कल्याण की राजनीति पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह अगले चुनाव में अपने निर्वाचन क्षेत्र में कोई पोस्टर नहीं लगाएंगे या लोगों को चाय की पेशकश नहीं करेंगे। उन्होंने जोर देकर कहा कि वोट पोस्टर और बैनर के बजाय सेवा की राजनीति के आधार पर जीते जाते हैं। वे राजस्थान के एक गांव में पूर्व उपराष्ट्रपति की पुण्यतिथि पर आयोजित कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि उन्होंने पिछला चुनाव बहुत कठिन निर्वाचन क्षेत्र (नागपुर) से लड़ा था और लोगों ने उन्हें वहां से चुनाव नहीं लड़ने के लिए कहा था, लेकिन वह दृढ़ संकल्प के साथ आगे बढ़े।

उन्होंने कहा कि अब मैंने तय किया है कि अगले चुनाव में मैं कोई पोस्टर या बैनर नहीं लगाऊंगा, मैं किसी को चाय नहीं दूंगा और न ही कुछ करूंगा। जो लोग मुझे वोट देना चाहते हैं वे ऐसा करेंगे और जो नहीं करना चाहते हैं, वे नहीं करेंगे। उन्होंने विश्वास जताया कि वह पिछली बार की तुलना में बड़े अंतर से चुनाव जीतेंगे। केंद्रीय सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्री ने कहा कि सेवा की राजनीति की अवधारणा आरएसएस के विचारक द्वारा लाई गई थी और उन्होंने इस अवधारणा पर अपनी राजनीति को परिभाषित किया। उन्होंने कहा कि राजनीति की सबसे बड़ी समस्या विचारों का खालीपन है। पूर्व उपराष्ट्रपति सिद्धांतों पर कायम रहे और उन्होंने अपनी विचारधारा से कभी समझौता नहीं किया। मेरा विश्वास है कि पहले साढे़ तीन लाख मतों का अंतर था और अब इसमें एक डेढ लाख का इजाफा होगा।

उन्होंने कहा कोई पोस्टर से चुनाव नहीं जीतता है, वोट नहीं पाता है। गांवों में गरीबों का कल्याण करने से वोट मिलता है। स्वास्थ्य शिक्षा की सुविधाएं देकर लोगों की सेवा करने से और युवाओं को रोजगार देने से, बच्चों को अच्छे स्कूल देने से और गरीबों को अच्छे अस्पताल देने से वोट मिलता है। उन्होंने कहा कि आज पीएम के नेतृत्व में समय के साथ परिस्थितयां बदली है, किसान अन्नदाता बने हैं बाद में किसान उजरादाता बने हैं और बायोमास से कोलतार बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मैं दिल्ली से जयपुर इलेक्ट्रिक राजमार्ग बना रहा हूं और जब इलेक्ट्रिक बस चलेगी तो टिकट किराया वर्तमान से तीस प्रतिशत कम होगा।

साथियों बात अगर मैं 25 वर्ष पहले के अपने ख़ुद के साथ बीते हुए अनुभव को बताऊं तो मैं छोटा था पिताजी के साथ दुकान पर बैठता था। हमारी दुकानों की लाइन में दो-तीन दुकानें जल गई थी तो हम सभी दुकानदार नई दुकान बनाने की परमिशन के लिए नगर परिषद सीओ के ऑफिस गए। बता दें दुकाने नगर परिषद के किराए की थी, उन्होंने आश्वासन दिया, आपका काम किया जाएगा, लेकिन फिर खेल चालू हुआ, वहां का प्रशासनिक अधिकारी और एक छुटभैया नेता ने मिलकर हमारे दुकानदारों के अध्यक्ष और कुछ लोगों को नेता के घर बुलाकर हर दुकानदार को ढाई हजार का शेयर देकर 25 हज़ार की मांग की हमने मीटिंग की जिसे हमने दे दिया। जब फाइल नगर परिषद अध्यक्ष के समक्ष गई तो उन्होंने लटका दी और फिर हरे गुलाबी की मांग की गई जहां हर एक दुकानदार ने उस समय 20 से 25 हज़ार दिए। हम गरीब थे मेरे पिताजी ने नहीं दिए और नगर परिषद के चक्कर काटना शुरू किया पर काम नहीं हुआ।

फिर एक उद्योगपति के माध्यम से अध्यक्ष महोदय के घर पर मिले और उन्हें 5 हज़ार दिए। पुरानी दुकान तोड़कर नई बनाई इस तरह मेरा मानना है कि यह सिस्टम करीब-करीब हर क्षेत्र में छिपा हुआ चालू होगा ऐसा मेरा मानना है। इसी तरह ही अनेक कामों में 40 परसेंट मुद्दा भी उस राज्य में जनता के हृदय में समाया होगा। इसलिए अब मेरी हर पार्टी के हाईकमान से निवेदन है कि अपने पार्टी के हर नेताओं कार्यकर्ताओं पदासीन मंत्रियों से लेकर पंचायत समिति तक पद धारकों को पर्सेंट नीति, छिपी कमाई, पोस्टरबाजी, नोट बटाई से क्रांतिकारी परिवर्तन कर अब सेवा कल्याण की राजनीति पर लाना होगा और हमारे केंद्रीय परिवहन मंत्री नागपुर के सांसद जैसी घोषणा उपयुक्त मंचों से 2024 के चुनाव के लिए करने पर जोर देने की सलाह हर पार्टी के हाईकमान द्वारा ज़ारी करना समय की मांग है।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि राजनीति का टर्निंग प्वाइंट। सेवा और कल्याण की राजनीति से मिलता है वोट, पर्सेंट पोस्टर बैनर लगाने से नहीं? हाईकमान को अब नेताओं की पोस्टर बाजी, नोट बटाई, पर्सेंट नीति, छिपी कमाई से क्रांतिकारी परिवर्तन लाकर सेवा कल्याण की राजनीति पर लाना ज़रूरी है।

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