सोशल मीडिया पर ट्रंप के बयान से पूरी दुनियां में हड़कंप

ईरान ने ट्रंप पर हमले की साजिश में शामिल होने के दुर्भाग्यपूर्ण आरोप को खारिज किया था
दुनियां के सभी देशों को आपसी नफ़रतें प्रतिशोध युद्ध दुर्भावना पूर्ण आरोप प्रत्यारोप को त्यागकर भाईचारे की नीति अपनाना समय की मांग- एड. के.एस. भावनानी

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर सारी दुनियां देख रही है कि एक ओर जहां ब्रिटेन, ईरान, नेपाल सहित कुछ देशों में सरकारें बदल गई है तो वहीं भारत में भी बैसाखियों वाली सरकार से काम चल रहा है, तो दूसरी ओर कुछ देशों में आपसी विवादों से यूक्रेन-रूस हमास-इजरायल युद्ध लंबे समय से चल रहा है, जिसमें ईरान सहित कुछ देश कूद चुके हैं जिससे दुनिया तीन खेमों में बट गई है, यूरोपीय यूनियन संघ, अफ्रीकी यूनियन व 57 देश की इस्लामी यूनियन सहित गुटबाज़ी हो गई है, तो रूस का साउथ कोरिया दौरा व भारत का रूस दौरा भी विश्व की सुर्खियों में आया तो, कुछ देशों की बांछे खिल उठी, तो कुछ देशों ने नजरें तरेर ली। ऐसी स्थिति में यदि किसी देश में कोई बड़ी घटना होती है तो, सीधे तौर पर उंगली अपने विरोधी ग्रुप पर उठ जाती है, क्योंकि जैसे मैंने ऊपर पैराग्राफ में बताया कि इन देशों में नफरतें प्रतिशोध युद्ध दुर्भावनापूर्ण आरोप प्रत्यारोप होते हैं,इसी का नतीजा है कि 14 जुलाई 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप पर हुए हमले की साजिश की उंगली ईरान पर उठाई जा रही है हालांकि इसके तुरंत बाद ईरान ने ट्रंप पर हमले में शामिल होने के दुर्भावना पूर्ण और आरोप को सिरे से खारिज कर दिया था।

हालांकि अमेरिका सुरक्षा एजेंसी ने अपने खामियों की बात भी मानी थी और मानव स्रोत से ट्रंप की हत्या की साजिश की जानकारी खुफिया स्रोतों से उन्हें मिली थी, परंतु हमलावर 20 वर्षीय व्यक्ति का इसके बीच कोई ज्ञात संबंध नहीं मिला, परंतु दिनांक 26 जुलाई 2024 को राष्ट्रपति उम्मीदवार डोनाल्ड ट्रंप की एक सोशल मीडिया पोस्ट से या यू कहें कि बयान से पूरी दुनियां में हड़कंप मच गया, जिसमें उन्होंने लिखा के उनके ऊपर हमले में मृत्यु होती, तो मैं उम्मीद करता हूं कि अमेरिका, ईरान को दुनियां के नक्शे से ही मिटा देगा, अगर ऐसा नहीं होता तो अमेरिकी नेता कायर माने जाएंगे।

कुछ लोग इस बयान को ऐसी नजरों से भी देख रहे हैं कि अभी 5 नवंबर 2024 को अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव है जो बायडेन उम्मीदवारी से हट चुके हैं व भारतवंशी कमला हैरिस की अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार बनने की पूरी चांसेस है, जो ट्रंप के मुकाबले में सशक्त उम्मीदवार है। इसलिए यहां इमोशनल बातें सहानुभूति के करंट जारी रखने के लिए ऐसा हो रहा है, क्योंकि ईरान के अमेरिका के प्रति पहले भी सख्त बयान आ चुके हैं। क्योंकि अमेरिकी ड्रोन हमले में कासिम उस्मानी की मौत के बाद ईरान व अमेरिका की दूरियां काफी बढ़ गई है। चूंकि ईरान ने ट्रंप पर हमले की साजिश में शामिल होने के दुर्भाग्यपूर्ण आरोपी को खारिज़ किया था, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, सोशल मीडिया पर ट्रंप के बयान से पूरी दुनियां में हड़कंप, इसलिए दुनियां में सभी देशों को आपसी नफ़रतें प्रतिशोध युद्ध दुर्भावना पूर्ण आरोप प्रत्यारोप को त्याग कर भाईचारे की नीति अपनाना समय जरूरी की मांग है।

साथियों बात अगर हम 26 जुलाई 2024 को अमेरिकी राष्ट्रपति उम्मीदवार ट्रंप के सोशल मीडिया पर बयान की करें तो, अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने ईरान को तबाह करने की बात कही है। अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रुथ सोशल पर एक पोस्ट के जरिए ट्रम्प ने कहा,अगर ईरान कभी भी मेरी हत्या करने में कामयाब होता है तो मुझे उम्मीद है कि अमेरिका उसे खत्म कर देगा। उसे दुनियां के नक्शे से मिटा दिया जाएगा। ट्रम्प ने कहा कि अगर ऐसा नहीं किया गया तो अमेरिकी लीडर्स को डरपोक माना जाएगा। दरअसल 13 जुलाई को ट्रम्प पर जानलेवा हमले के बाद सीएनएन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को मारने के लिए ईरान में साजिश रची जा रही थी। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को मारने के लिए ईरान में साजिश रची जा रही थी।ट्रम्प पर हमले के बाद सीएनएन की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति को मारने के लिए ईरान में साजिश रची जा रही थी दावा- ईरान से रची जा रही ट्रम्प को मारने की साजिश हमले की जांच में सामने आया था कि अमेरिकी अधिकारियों को कई हफ्ते पहले इसकी जानकारी भी मिली थी।

हालांकि, ट्रम्प पर जो हमला हुआ उसका ईरान से कोई कनेक्शन है या नहीं इसकी जानकारी अब तक सामने नहीं आई है।इसके बाद 25 जुलाई को इजराइली नेतन्याहू ने भी अमेरिकी संसद में भाषण के दौरान इसका जिक्र किया था। ट्रम्प ने गुरुवार को अपने पोस्ट में नेतन्याहू के उसी बयान का वीडियो क्लिप भी लगाया। दरअसल, 13 जुलाई को पेन्सिल्वेनिया के बटलर शहर में एक रैली को संबोधित करते वक्त ट्रम्प पर हमला हुआ था। इस दौरान एक गोली ट्रम्प के कान को छूते हुए निकल गई थी। हमलावर की पहचान 20 साल के युवक थॉमस क्रूक्स के तौर पर हुई थी। उसने 15 राइफल से 8 गोलियां चलाई थीं। फायरिंग के तुरंत बाद सीक्रेट सर्विस के अफसरों ने हमलावर को मार गिराया था। ट्रंप को अपनी हत्या का डर क्यों है, अमेरिका में ईरान की क्या है साजिश अमेरिका इजराइल का ईरान युद्ध शुरू ईरान पर आखिरी हमला ट्रंप की परमाणु वसीयत अमेरिका इजराइल का ईरानी शुरू।

साथियों बात अगर हम अमेरिकी सुरक्षा अधिकारियों द्वारा इसपर कयास लगाने की करें तो, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारियों के अनुसार, शनिवार को पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की हत्या के प्रयास से कुछ सप्ताह पहले ही अमेरिका को एक मानव स्रोत से ईरान द्वारा डोनाल्ड ट्रंप की हत्या की साजिश के बारे में खुफिया जानकारी मिली थी। इसके बाद ट्रंप की सुरक्षा बढ़ा दी गई।हालांकि, अधिकारियों ने कहा कि इस ईरानी साजिश और शनिवार को ट्रम्प की हत्या का प्रयास करने वाले 20 वर्षीय युवक के बीच कोई ज्ञात संबंध नहीं है। अमेरिकी खुफिया सेवा और ट्रम्प अभियान को ईरानी खतरे के बारे में सूचित कर दिया गया था और परिणाम स्वरूप सुरक्षा बढ़ा दी गई थी, जैसा कि एक अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा अधिकारी ने पुष्टि की है। इससे पहले ईरान ने पिछले साल भी पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प को मारने की धमकी दी थी। ईरान के रिवॉल्यूश्नरी गार्ड एयरोस्पेस फोर्स के हेड अमीराली हाजीजादेह ने कहा था कि ईश्वर ने चाहा तो हम ट्रम्प को जरूर मारेंगे। हम उन सभी मिलिट्री कमांडर को मारना चाहते हैं, जो ईरानी सैन्य कमांडर कासिम सुलेमानी की हत्या में शामिल थे।

दरअसल, 3 जनवरी 2020 को तब के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के आदेश पर उनकी सेना मिलकर ईरानी विशेष सेना के प्रमुख जनरल कासिम सुलेमानी को मार दिया था। जनरल कासिम इराक और सीरिया में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट के खिलाफ लड़ने के लिए चर्चित थे।2019 में जब अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने ईरान को परमाणु संधि तोड़ने के लिए तबाही की धमकी दी थी, तो जनरल कासिम ने कहा था कि ट्रम्प ने युद्ध शुरू किया, तो खत्म हम करेंगे। सुलेमानी की मौत के बाद ईरान ने भी बगदाद में अमेरिकी दूतावास पर 7-8 जनवरी 2020 को हमले किए थे। उसने अमेरिकी सैन्य बेसों पर 22 मिसाइलें दागी थीं। ईरान ने दावा किया था कि इस हमले में अमेरिका के 80 सैनिक मारे गए थे।

साथियों बात अगर हम पहले भी ट्रंप द्वारा ईरान को कमजोर करने की करें तो ट्रंप ने अपने राष्ट्रपति रहते हुए 2018 में ईरान के साथ पूर्व राष्ट्रपति ओबामा केजेसी पीएओ न्यूक्लियर डील से अमेरिका को बाहर कर लिया था और कड़े प्रतिबंध लगाए थे, जिससे ईरान की कमजोर अर्थव्यवस्था पर गहरा असर पड़ा था 2020 में अमेरिकी ड्रोन हमले में कासिम सुलेमानी की हत्या के बाद से अमेरिका और ईरान के बीच दूरी बढ़ गई है। ईरानी सरकार ने सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए ट्रंप और उनके प्रशासन के सदस्यों के खिलाफ कई बार धमकियां जारी की हैं। जनवरी 2022 में ईरान के पूर्व राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी ने ट्रंप पर इंटरनेशनल कोर्ट में केस चलाने की मांग की थी और कहा था कि ऐसा नहीं होता तो वे बदला लेंगे। ट्रंप ने ट्रूथ सोशल पर इजराइल के पीएम की क्लिप शेयर करते हुए ये बात लिखी है। इजराइली पीएम ने अमेरिकी संसद को दिए अपने संबोधन में ईरान को मध्य पूर्व के तनाव की जड़ बताया था। इजराइली पीएम ने कहा था कि ईरान अमेरिका पर कब्जा करना चाहता है और इसके लिए उसे पहले मध्य पूर्व में जीत हासिल करनी होगी, जिसके लिए ईरान कोशिश कर रहा है।

साथियों बात अगर हम ईरान की एटमी ताकत की करें तो, अमेरिका का कहना है कि ईरान परमाणु बम विकसित करने के महत्वपूर्ण पहलू पर आगे बढ़ रहा है ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर प्रगति तब पुनः शुरू की, जब ट्रम्प प्रशासन ने 2015 के समझौते के तहत अमेरिका के साथ सहयोग समाप्त कर दिया, जिसके तहत ईरान को कार्यक्रम पर कड़ी निगरानी के बदले प्रतिबंधों से राहत दी गई थी। बाइडन प्रशासन के दो शीर्ष अधिकारियों ने शुक्रवार को कहा कि ईरान परमाणु बम प्राप्त करने के बारे में अधिक बात कर रहा है और उसने अप्रैल के बाद से हथियार के एक प्रमुख पहलू को विकसित करने में प्रगति की है, जब इजरायल और उसके सहयोगियों ने इजरायल को निशाना बनाकर किए गए ईरानी हवाई हमलों को विफल कर दिया था। विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार में एक सुरक्षा फोरम के दौरान अलग-अलग पैनल में बोलते हुए कहा कि अमेरिका इस बात पर कड़ी नजर रख रहा है कि ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम को वास्तविक रूप से हथियार बनाने का निर्णय लिया है। हालांकि, सुलिवन ने कहा,मैंने ईरान द्वारा ऐसा कोई कदम उठाने का निर्णय नहीं देखा है” जिससे यह संकेत मिले कि उसने वास्तव में अभी परमाणु बम विकसित करने का निर्णय लिया है।

सुलिवन ने एस्पेन सिक्योरिटी फोरम में कहा, यदि वे उस रास्ते पर आगे बढ़ना शुरू करते हैं, तो उन्हें संयुक्त राज्य अमेरिका के साथ वास्तविक समस्या मिलेगी। इस फोरम में अमेरिकी नीति निर्माता, पत्रकार और अन्य लोग शामिल होते हैं। ईरान ने अपने परमाणु कार्यक्रम पर प्रगति तब पुनः शुरू की, जब ट्रम्प प्रशासन ने 2015 के समझौते के तहत अमेरिका के साथ सहयोग समाप्त कर दिया, जिसके तहत ईरान को कार्यक्रम पर कड़ी निगरानी के बदले प्रतिबंधों से राहत दी गई थी। ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम नागरिक उद्देश्यों के लिए है। अमेरिका और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के अन्य लोगों कामानना ​​है कि ईरानी सर्वोच्च नेता अली खामेनेई ने ईरानी वैज्ञानिकों को परमाणु हथियार विकसित करने के लिए कोई अंतिम मंजूरी देने से लंबे समय तक परहेज किया है।

लेकिन 13 अप्रैल को ईरान के पारंपरिक हथियारों के साथ खराब प्रदर्शन के कारण, जब उसने कई दिनों तक चले हमलों के आदान-प्रदान के तहत इजरायल पर अपना पहला सीधा हमला किया, पर्यवेक्षकों ने परमाणु हथियार को आगे बढ़ाने में ईरान की बढ़ती रुचि पर नजर रखनी शुरू कर दी है। उस समय, इजरायल ने कहा था कि, संयुक्त राज्य अमेरिका और अन्य सहयोगियों ने ईरान द्वारा दागी गई लगभग 300 मिसाइलों और ड्रोनों में से 99 प्रतिशत को मार गिराया था, कथित इजरायली हमले के बाद जिसमें दो ईरानी जनरल मारे गए थे।ब्लिंकन ने कहा, था पिछले कुछ हफ़्तों और महीनों में हमने देखा है कि ईरान विखंडनीय सामग्री विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है। विखंडनीय सामग्री का इस्तेमाल बम बनाने में किया जा सकता है। उन्होंने परमाणु समझौते से बाहर निकलने के ट्रम्प प्रशासन के फैसले को दोषी ठहराया। ट्रम्प ने 2019 में अमेरिका की भागीदारी समाप्त करते समय इस समझौते को मूल रूप से दोषपूर्ण कहा था।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि सोशल मीडिया पर ट्रंप के बयान से पूरी दुनियां में हड़कंप। ईरान ने ट्रंप पर हमले की साजिश में शामिल होने के दुर्भाग्यपूर्ण आरोप को खारिज किया था। दुनियां के सभी देशों को आपसी नफ़रतें प्रतिशोध युद्ध दुर्भावना पूर्ण आरोप प्रत्यारोप को त्यागकर भाईचारे की नीति अपनाना समय की मांग है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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