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बंगाल में इसी साल 2021 में विधानसभा चुनाव होने वाली है और सभी दलों ने से अपनी तैयारियां शुरू कर दी है। परन्तु मुख्य मुकाबला मौजूदा सत्तारूढ़ पार्टी TMC और BJP के बीच ही है और दोनों ने ही चुनावी रैलियां शुर कर दी है। इन सब के बीच ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांगेस (TMC) को लगातार एक के बाद एक झटका लगता जा रहा है। उनके वरिष्ठ और दमदार नेतागण लगातार पार्टी छोड़ कर भारतीय जनता पार्टी (BJP) में शामिल हो रहे हैं और यह सिलसिला रुकने का नाम ही नही ले रहा है। आज इसी कड़ी में TMC के राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया है।
TMC के राज्यसभा सांसद दिनेश त्रिवेदी ने राज्यसभा में बटज पर चल रही कार्यवाही के बीच कहा कि बंगाल में अत्याचार हो रहा है और वो कुछ कर नहीं पा रहे। ये देख उन्हें घुटन हो रही है इसलिए वो अपनी सदस्यता से इस्तीफा दे रहे है। उन्होंने कहा, जिस तरह हमारे राज्य में हिंसा हो रही है उसको लेकर हम कुछ कर नहीं पा रहे है। इसलिए यहां बैठे-बैठे मुझे अजीब लग रहा है। हम उस प्रांत से आते है जहां रविन्द्रनाथ टैगोर और सुभाष चंद्र बोस जैसे लोगों ने जन्म लिया। जिन्होंने हमेशा यहीं बताया कि हम जन्मभूमि के लिए है।
‘…अब मुझे घुटन हो रही है’ : उन्होंने आगे कहा कि, मुझसे यह देखा नहीं जा रहा है कि करे तो करें क्या और एक पार्टी में है तो उसके नियमों के हिसाब से हम सीमित है कि हम कुछ कर नही सकते। इस कारण अब मुझे घुटन हो रही है। उधर अत्याचार हो रहा है तो आज मेरी आत्मा की आवाज ये कह रही है कि आप यहां बैठकर कुछ नहीं कर सकते तो आप इस्तीफा दे दो और राज्य की जनता के बीच जाकर रहो। इसलिए मैं राज्यसभा की सदस्यता से अपने इस्तीफे का ऐलान करता हूं। उनके इस्तीफे के बाद से अब ये अटकलें तेज हो गई है कि दिनेश त्रिवेदी जल्द ही TMC छोड़ BJP में शामिल हो सकते है।
1980 में शुरू की थी सियासी पारी : दिनेश त्रिवेदी ने 1980 में अपने राजनीतिक पारी की शुरुआत कोंग्रेस से की थी। फिर उस पार्टी में कुछ साल रहने के बाद वो जनता दल में शामिल हुए। इसके बाद जब 1998 में टीएमसी की स्थापना हुई तो वो इस पार्टी से जुड़ गए। दिनेश त्रिवेदी ममता बनर्जी के बहुत करीबी माने जाते थे लेकिन मनमोहन सरकार के कार्यकाल में जब 2013 में दिनेश त्रिवेदी रेल मंत्री बने थे तो उनमें और ममती दीदी में थोड़ी खटास आ गई थी। दरअसल रेल मंत्री बनने के बाद त्रिवेदी ने रेल बजट पेश किया था, जिसमें उन्होंने यात्री किराए को बढ़ाया था जिसपर ममता ने नाराजगी जताई थी। फिर ममता ने दबाव बनाकर उनसे रेल मंत्री के पद से इस्तीफा ले लिया था।