पटना। झारखंड के कुछ जिलों में क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी और मगही को हटाए जाने को लेकर उपजे विवाद के बीच बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि जो ऐसा कर रहे वे अपना ही नुकसान कर रहे हैं। मुख्यमंत्री ने झारखंड सरकार के फैसले पर एतराज जताते हुए कहा कि बिहार और झारखंड एक साथ रहे हैं, अलग होने के बाद भी बिहार और झारखंड में रिश्ता है। भले ही दोनों राज्यों बंटवारा हो गया और एक अलग राज्य झारखंड का गठन हुआ, लेकिन इसके बावजूद झारखंड के अंदर भोजपुरी और मगही बोलने वालों की बड़ी तादाद है। बिहार में भी यही बात लागू होती है लेकिन पता नहीं झारखंड सरकार क्यों इस तरह का फैसला कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्यों का जो बार्डर एरिया है, जहां बिहार-झारखंड अलग हो गये हैं, उसी पूरे बार्डर को देख लीजिए। एक तरह भोजपुरी दिख जायेगा और एक तरफ मगही।
नीतीश कुमार ने कहा कि भोजपुरी तो बिहार और उत्तर प्रदेश में भी बोली जाती है। उन्होंने आश्चर्य व्यक्त करते हुए कहा कि ये सब बात जो कर कर रहे हैं, हम नहीं समझते कि वो राज्य के हित में कर रहे हैं। पता नहीं वो किस कारण से कर रहे हैं। वे अपना ही नुकसान कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि झारखंड सरकार ने भाषा विवाद को देखते हुए कुछ जिलों से क्षेत्रीय भाषा के रूप में भोजपुरी और मगही भाषा की मान्यता समाप्त कर दी है। इस संबंध में शुक्रवार रात आदेश भी जारी कर दिया गया है।