कब्ज और खराब पाचन का कारण बन सकती हैं ये चीजें

कोलकाता। डिहाईड्रेशन गलत, खानपान की गलत आदत और शारीरिक स्थिरता पाचन संबंधी समस्या का एक सबसे बड़ा कारण है। गैस और ब्लोटिंग के साथ कब्ज की समस्या भी लोगों को काफी ज्यादा परेशान करने लगी है। यदि आपको नियमित रूप से कब्ज परेशान करता है तो यह पाचन क्रिया के लिए काफी ज्यादा हानिकारक हो सकता है। इसके साथ ही इसकी वजह से आप किसी कार्य पर ध्यान केंद्रित नहीं रख पाती और यह आपकी दिनचर्या को प्रभावित कर सकता है। इसके कई कारण होते हैं, परंतु जो कारण सबसे आम है वह है गलत खाद्य पदार्थों का सेवन।

नियमित डाइट में इस्तेमाल होने वाले कुछ ऐसे खाद्य पदार्थ हैं (Foods that cause constipation), जो कब्ज से को बढ़ावा देते हैं। कब्ज को अवॉइड करने के लिए सबसे पहले कब्ज का कारण बनने वाले आपकी नियमित डाइट के कुछ सामान्य फूड्स के बारे में जानकारी होना जरूरी है। तो चलिए आज हेल्थ शॉट्स के साथ जानते हैं, ऐसे ही 5 खाद्य पदार्थों के बारे में जो मल को ड्राई कर देते हैं और कॉन्स्टिपेशन को बढ़ावा देते हैं।

व्हाइट ब्रेड (white bread)

नियमित रूप से वाइट ब्रेड का सेवन आपको कॉन्स्टिपेशन से ग्रसित कर सकता है। यह मल को ड्राई और हार्ड कर देता है। जिसकी वजह से मल त्याग करने में परेशानी होती है। इसे बनाने में इस्तेमाल किए गए व्हाइट फ्लोर में फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है। वहीं रिसर्च गेट द्वारा प्रकाशित एक स्टडी के अनुसार से यह पाचन क्रिया के लिए अच्छा नहीं होता। ऐसे में व्हाइट ब्रेड की जगह होल ग्रेन टोस्ट और ब्राउन ब्रेड का सेवन कर सकती हैं।

दूध और डेयरी प्रोडक्ट (milk and dairy products)

डेयरी प्रोडक्ट कॉन्स्टिपेशन को बढ़ावा देने वाले अन्य खाद्य पदार्थों में से एक हैं। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार बच्चों में कॉन्स्टिपेशन का खतरा अधिक होता है। क्योंकि गाय के दूध में मौजूद प्रोटीन को पचाने के लिए छोटे बच्चों की पाचन क्रिया पूरी तरह से सक्षम नहीं होती। वहीं 13 बच्चों पर एक स्टडी की गई जिसमें उनके गाय के दूध को सोय मिल्क से बदल दिया गया। 13 में से 9 बच्चों कि कब्ज की स्थिति में सुधार देखने को मिला।

रेड मीट (red meat)

रेड मीट में फाइबर की मात्रा बहुत कम होती है जो आपके मन को एक जगह इकट्ठा कर देता है वही ऐसे में कब्ज का खतरा बना रहता है। यदि आप लंच या डिनर में फाइबर युक्त हरी पत्तेदार सब्जी, दाल और अनाज के सेवन की जगह मीट का सेवन करती हैं, तो इस स्थिति में आपका डेली फाइबर इनटेक काफी कम हो जाता है। इसकी वजह से भी कॉन्स्टिपेशन हो सकता है। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन द्वारा प्रकाशित अध्ययन के अनुसार पाचन क्रिया को एक उचित मात्रा में फाइबर न मिलने के कारण यह असंतुलित हो जाती है और कॉन्स्टिपेशन सहित अन्य पाचन संबंधी समस्या जैसे कि ब्लोटिंग, गैस, एसिडिटी का कारण बन सकती है।

ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थ (gluten foods)

ग्लूटेन एक प्रकार का प्रोटीन है, जो गेहूं, बार्ली, राई इत्यादि जैसे ग्रेंस में मौजूद होता है। वहीं नेशनल लाइब्रेरी ऑफ़ मेडिसिन के अनुसार ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन कब्ज का शिकार बना सकता है। वहीं कुछ लोग ग्लूटेन इनटोलरेंस होते हैं, ऐसी स्थिति में यदि वह ग्लूटेन युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन करते हैं तो उनका इम्यून सिस्टम गट हेल्थ को बुरी तरह से प्रभावित कर देता है। ऐसे में पाचन संबंधी समस्याएं होना आम है। इसलिए पब मेड सेंट्रल द्वारा एक प्रकाशित स्टडी में सामने आया कि ग्लूटेन इनटोलरेंस व्यक्ति को कॉन्स्टिपेशन से बचने के लिए ग्लूटेन फ्री डाइट लेना चाहिए।

अल्कोहल (Alcohol)

नियमित रूप से अल्कोहल का सेवन कॉन्स्टिपेशन का कारण बन सकता है। पब मेड सेंट्रल के अनुसार अधिक शराब पीने से पेशाब में फ्लूइड की कमी हो जाती है, जिसके कारण डिहाइड्रेशन होता है। वहीं डिहाइड्रेटेड पाचन क्रिया को असंतुलित कर देता है ऐसे में कॉन्स्टिपेशन का खतरा बढ़ जाता है। पर्याप्त मात्रा में पानी न पीना और किसी कारण से शरीर से अधिक पानी निकलना कब्ज की स्थिति को बढ़ावा देता है।

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