प्रभु श्रीराम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के अविस्मणीय पल की साक्षी बनी दुनियां

हजारों वर्षों, पीढ़ियों तक 22 जनवरी 2024 को याद रखा जाएगा
देश-विदेश के हर मंदिर में गजब का उत्साह-पूरी दुनियां में भजन कीर्तन से झूम उठे भक्तगण- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर ऐसा कोई उत्सव शायद ही पूरी दुनियां में किसी ने देखा या सुना हो जैसा भारी उत्साह सोमवार दिनांक 22 जनवरी 2024 को भारत के कोने-कोने से लेकर पूरी दुनियां के कोने-कोने में धूम रही। अमेरिका, फ्रांस, मॉरीशस, ताइवान से लेकर नेपाल तक भारी उत्साह रिपोर्ट किया गया है। अनेक राज्यों में पूरी तरह छुट्टी का माहौल देखने को मिला। मैं बता दूं कि हमारी छोटी सी राइस सिटी गोंदिया नगरी में 22 जनवरी 2024 को सुबह से रात तक मैंने करीब-करीब हर मंदिर गुरुद्वारा दरबार में ग्राउंड रिपोर्टिंग किया, तो मैं बेहद उत्साह देखकर हैरान रह गया, क्योंकि मेरी पूरी जिंदगी में या फिर 85 वर्ष प्लस बुजुर्गों से भी बात की तो उन्होंने अपनी जिंदगी में ऐसा उत्साह कभी नहीं देखा था। भारत या पूरी दुनियां में एक प्रथा है कि अपने-अपने धार्मिक लोग उसे समाज तक ही सीमित रखकर मनाया जाता है। परंतु पूरे विश्व में शायद यह पहली बार हुआ होगा की विग्रह के प्राण प्रतिष्ठा का उत्सव पूरी दुनियां ने एक होकर भारी उत्साह से मनाया जो अविस्मरणीय पल बन गया। इस दिन को हजारों वर्षो, पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा जैसे हजारों वर्ष पूर्व मूलत: अयोध्या में 14 वर्षों के वनवास के बाद प्रथम बार प्रभु श्री राम अयोध्या आए थे तो उनका जोरदार स्वागत हुआ था हुआ था। जिसकी पुनरावृत्ति समय चक्र ने पूरी पारदर्शिता के साथ कर दी है। इसको हजारों वर्षों पीढ़ियों तक याद रखा जाएगा। चूंकि प्रभु श्री राम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा की अविस्मरणीय बल्कि साक्षी पूरी दुनियां बन गई है, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, देश-विदेश के हर मंदिर में गजब का उत्साह, पूरी दुनियां में भजन कीर्तन से झूम उठे भक्तगण।

साथियों बात अगर हम इस अविस्मणीय पल की साक्षी अमेरिका सहित पूरी दुनिया की करें तो, अयोध्या के राम मंदिर में रामलला के विराजने की खुशी केवल देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है। अमेरिका में न्यूयॉर्क के टाइम्स स्क्वायर पर राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा समारोह से एक दिन पहले ही रविवार (21 जनवरी, 2024) को लोग प्रभु राम के रंग में नजर आए। न्यूयॉर्क में टाइम्स स्क्वायर पर भगवान राम की तस्वीर देख भारतीय प्रवासी झूम उठे। परदेश में अपने देश की सांस्कृतिक विरासत और सनातन पर गर्व करते हुए श्री राम के भजन गाए और जयकारे लगाए। यहाँ भारतीय लोग पारंपरिक भारतीय पोशाक पहने, हाथों में राम जी की तस्वीर वाले भगवा झंडे लिए, झूम-झूम के रामलला का गुणगान कर रहे थे। इसके साथ ही ढोल-नगाड़ों संग एक ही नारा एक ही नाम, जय श्री राम जयकारा लगाते हुए नजर आए।

इस संबंध में यूके में भारतीय दूतावास ने एक्स पर लिखा, भारतीय प्रवासियों ने राम मंदिर, अयोध्या में प्राण प्रतिष्ठा के शानदार उत्सव के साथ टाइम्स स्क्वायर को रौशन किया। पारंपरिक भारतीय पोशाक पहने हुए लोगों ने भारत की सांस्कृतिक विरासत का प्रदर्शन करते हुए जीवंतता और एकता के साथ भजन और गीत गाए। अमेरिकी मेयर ने शुभकामनाएँ दी। वहीं अमेरिका में मैसाचुसेट्स के वॉर्सेस्टर शहर के मेयर जो पेटी ने भी राम मंदिर के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के लिए हिंदू समुदाय को हार्दिक शुभकामनाएँ दीं। वो इस मौके पर खुद भी मौजूद रहे। बताते चलें कि केवल अमेरिका ही नहीं दुनिया के अन्य मुल्कों में भी अयोध्या धाम में श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर खासा उत्साह देखा गया। यूके, फ्राँस, ऑस्ट्रेलिया और कनाडा में मंदिरों में खास कार्यक्रम और कार रैलियाँ हो रही हैं।

नेपाल के जनकपुर में सीताजी के मायके में विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा से पहले मंदिर को रोशनी से सजाया गया है। मॉरिशस में राम लला के विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के मौके पर 2 घंटे का स्पेशल ब्रेक था। मॉरिशस के सारे मंदिर में दीए जलाए गए। सभी में राम के नाम का जाप होगा। प्राण प्रतिष्ठा से पहले ताइवान के इस्कॉन मंदिर में रविवार भजन-कीर्तन किया गया। वहीं इंग्लैंड के मंदिरों में खास कार्यक्रम और कार रैलियाँ हो रही है तो फ्रांस के पेरिस में एफिल टावर तक बड़ी रामरथ यात्रा निकाली जा रही है। यहीं नहीं इससे पहले विश्व कल्याण का यज्ञ भी हुआ। कनाडा के ओन्टारियो राज्य के ब्रॉम्पटन और ओकविल में 22 जनवरी को राम मंदिर डे का ऐलान किया है। ब्रॉम्पटन के मेयर पैट्रिक ब्राउन ने कहा कि राम मंदिर बनने से हिंदुओं का सदियों पुराना सपना पूरा हो रहा है। ऑस्ट्रेलिया में भी मंदिरों में खास कार्यक्रम और रैलियाँ की जा रही है।

साथियों बात अगर हम 22 जनवरी 2024 के प्राण प्रतिष्ठा समारोह माननीय पीएम से कराया गया जिसमें अपने संबोधन की करें तो उन्होंने कहा, आज जिस तरह राम मंदिर में  विग्रह की प्राण प्रतिष्ठा के इस आयोजन से पूरा विश्व जुड़ा हुआ है, उसमें राम की सर्वव्यापकता के दर्शन हो रहे हैं। जैसा उत्सव भारत में है, वैसा ही अनेकों देशों में है। आज अयोध्या का ये उत्सव रामायण की उन वैश्विक परम्पराओं का भी उत्सव बना है। रामलला की ये प्रतिष्ठा ‘वसुधैव कुटुंबकम्’ के विचार की भी प्रतिष्ठा है। प्रभु श्रीराम की हमारी पूजा, विशेष होनी चाहिए। ये पूजा, स्व से ऊपर उठकर समष्टि के लिए होनी चाहिए। ये पूजा, अहम से उठकर वयम के लिए होनी चाहिए। प्रभु को जो भोग चढ़ेगा, वो विकसित भारत के लिए हमारे परिश्रम की पराकाष्ठा का प्रसाद भी होगा। हमें नित्य पराक्रम, पुरुषार्थ, समर्पण का प्रसाद प्रभु राम को चढ़ाना होगा। इनसे नित्य प्रभु राम की पूजा करनी होगी, तब हम भारत को वैभवशाली और विकसित बना पाएंगे।

त्रेता में राम आगमन पर तुलसीदास जी ने लिखा है- प्रभु बिलोकि हरषे पुरबासी। जनित वियोग बिपति सब नासी। अर्थात्, प्रभु का आगमन देखकर ही सब अयोध्यावासी, समग्र देशवासी हर्ष से भर गए। लंबे वियोग से जो आपत्ति आई थी, उसका अंत हो गया। उस कालखंड में तो वो वियोग केवल 14 वर्षों का था, तब भी इतना असह्य था। इस युग में तो अयोध्या और देशवासियों ने सैकड़ों वर्षों का वियोग सहा है। हमारी कई-कई पीढ़ियों ने वियोग सहा है। भारत के तो संविधान में, उसकी पहली प्रति में, भगवान राम विराजमान हैं। संविधान के अस्तित्व में आने के बाद भी दशकों तक प्रभु श्रीराम के अस्तित्व को लेकर कानूनी लड़ाई चली। मैं आभार व्यक्त करूंगा भारत की न्यायपालिका का, जिसने न्याय की लाज रख ली। न्याय के पर्याय प्रभु राम का मंदिर भी न्याय बद्ध तरीके से ही बना। आज अयोध्या में, केवल श्रीराम के विग्रह रूप की प्राण प्रतिष्ठा नहीं हुई है।

ये श्रीराम के रूप में साक्षात् भारतीय संस्कृति के प्रति अटूट विश्वास की भी प्राण प्रतिष्ठा है। ये साक्षात् मानवीय मूल्यों और सर्वोच्च आदर्शों की भी प्राण प्रतिष्ठा है। इन मूल्यों की, इन आदर्शों की आवश्यकता आज सम्पूर्ण विश्व को है। सर्वे भवन्तु सुखिन: ये संकल्प हम सदियों से दोहराते आए हैं। आज उसी संकल्प को राममंदिर के रूप में साक्षात् आकार मिला है। ये मंदिर, मात्र एक देव मंदिर नहीं है। ये भारत की दृष्टि का, भारत के दर्शन का, भारत के दिग्दर्शन का मंदिर है। ये राम के रूप में राष्ट्र चेतना का मंदिर है। राम भारत की आस्था हैं, राम भारत का आधार हैं। राम भारत का विचार हैं, राम भारत का विधान हैं। राम भारत की चेतना हैं, राम भारत का चिंतन हैं। राम भारत की प्रतिष्ठा हैं, राम भारत का प्रताप हैं। राम प्रवाह हैं, राम प्रभाव हैं। राम नेति भी हैं। राम नीति भी हैं। राम नित्यता भी हैं। राम निरंतरता भी हैं। राम विभु हैं, विशद हैं। राम व्यापक हैं, विश्व हैं, विश्वात्मा हैं और इसलिए, जब राम की प्रतिष्ठा होती है, तो उसका प्रभाव वर्षों या शताब्दियों तक ही नहीं होता। उसका प्रभाव हजारों वर्षों के लिए होता है। महर्षि वाल्मीकि ने कहा है- राज्यम् दश सहस्राणि प्राप्य वर्षाणि राघवः। अर्थात, राम दस हजार वर्षों के लिए राज्य पर प्रतिष्ठित हुए। यानी हजारों वर्षों के लिए रामराज्य स्थापित हुआ। जब त्रेता में राम आए थे, तब हजारों वर्षों के लिए रामराज्य की स्थापना हुई थी। हजारों वर्षों तक राम विश्व पथ प्रदर्शन करते रहे थे।

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि प्रभु श्रीराम प्राण प्रतिष्ठा के अविस्मणीय पल की साक्षी बनी दुनियां। हजारों वर्षों, पीढ़ियों तक 22 जनवरी 2024 को याद रखा जाएगा देश विदेश के हर मंदिर में गजब का उत्साह-पूरी दुनियां में भजन कीर्तन से झूम उठे भक्तगण।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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