श्रीमद् भागवत कथा में श्रीकृष्ण जन्म एवं बालरूप की कथा हुई

उज्जैन । कन्हैया झुले पालना, यशोदा झुला झुलाये और आनंदित हो रही है। श्रीकृष्ण के जन्म लेने के पश्चात् हरि से मिलने की हर (महादेव) की उत्सुकता हुई। शिवजी गोकुल में नंदबाबा की हवेली पहुंचे साधुवेश में गये। जब हवेली के द्वार पर शिवजी जाकर नंदबाबा की हवेली पहुंचे साधुवेश में गये। जब हवेली के द्वार पर शिवजी जाकर नंदलाला (श्रीकृष्ण) के दर्शनो की इच्छा व्यक्त करते है, दासियां माँ यशोदा को साधु की अनोखी हठ लाला के दर्शन के अलावा दान दक्षिणा लेने से मना करते है तो यशोदाजी कहती है कि साधु बाबा से मेरे लाला डर जायेगा तो शिवजी सांत्वना देकर कहते है कि मैं ऐसा जानकार हूँ कि कभी भी नजर नहीं लगेगी फिर माँ यशोदाजी लाला को शिवजी के सामने लाती है।

बालरूप श्रीकृष्णजी महादेव को प्रणाम करते है वही शिवजी अपने प्रभु (श्री विष्णुजी) को बालरूप नंदबाबा के लाला को दर्शन एवं प्रणाम करके अति प्रसन्न होते है। भगवान शिवजी दासियों को अनमोल रत्न देकर जा रहे है जिनके पदचिन्ह को दासियां प्रणाम करती है। उपर्युक्त कथा हरि-हर मिलन की कथा ग्राम कसारी में भैंसासुरी माताजी मंदिर प्रांगण में श्रीमद् भागवत पुराण कथा में कथावाचक पं. श्री टीकमदास बैरागी (चोसला उज्जैन) ने संगीतमय कथा में 5 वें दिवस कथा में सुनाया।

भगवान श्रीकृष्ण की बाललीलाओं का सुमधुर आवाज में किया। तत्पश्चात् श्रीकृष्ण एवं बलदाऊ के नामकरण के लिये कुलगुरू के पास ले जाने नामकरण संस्कार वर्णन सुनाया। गुरूजी ने श्रीकृष्ण जी के गोपाल कन्हैया गोविन्दा, कान्हा, बंशीलाल, सांवलिया, नंदलाला आदि अनेक हजारो नाम बताये। कथा का श्रवण का आनंद लिया जा रहा है। आज छप्पन भोग भी लगाया गया। सार्वजनिक रूप से आयोजित श्रीमद् भागवत ज्ञानयज्ञ से वातावरण श्रीकृष्णमय हो गया

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