मुंबई। रूस-यूक्रेन तनाव में नरमी, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट, विदेशी संस्थागत निवेशकों (एफआईआई) की लिवाली और औद्योगिक उत्पादन में तेजी की बदौलत पिछले सप्ताह तीन प्रतिशत से अधिक की तेजी में रहे शेयर बाजार पर अगले सप्ताह रिजर्व बैंक (आरबीआई) की द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा का असर रहेगा। बीते सप्ताह बीएसई के तीस शेयरों वाले संवेदी सूचकांक सेंसेक्स ने नये वित्त वर्ष का जोरदार स्वागत किया और सप्ताहांत पर 1914.49 अंक की छलांग लगाकर 59 हजार अंक के मनोवैज्ञानिक स्तर के पार 59276.49 अंक और नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) का निफ्टी 517.45 अंक उछलकर 17670.45 अंक पर रहा।
समीक्षाधीन अवधि में दिग्गज कंपनियों की तरह बीएसई की छोटी और मझौली कंपनियों में भी लिवाली का जोर रहा। सप्ताहांत पर मिडकैप 653.68 अंक की तेजी के साथ 24443.59 अंक और स्मॉलकैप 898.81 अंक की मजबूती के साथ 28699.41 अंक पर पहुंच गया। विश्लेषकों के अनुसार, कच्चे तेल की कीमतों में नरमी, रूस-यूक्रेन के मोर्चे पर कुछ सकारात्मक खबरें, एफआईआई की लिवाली, घरेलू संस्थागत निवेशकों (डीआईआई) का निरंतर समर्थन और औद्योगिक गतिविधियों में तेजी के कारण शेयर बाजार ने वित्त वर्ष 2022-23 में मजबूत शुरुआत की।
वैश्विक बाजार स्थिर हैं लेकिन भू-राजनीतिक स्थिति के बारे में अभी भी कोई स्पष्टता नहीं है। उच्च मुद्रास्फीति और मंदी दोनों की स्थिति चिंताजनक है वहीं चीन कोविड महामारी से जूझ रहा है। अगले सप्ताह, घरेलू शेयर बाजार की दिशा निर्धारित करने में आरबीआई मौद्रिक नीति की महत्वपूर्ण भूमिका होगी। अधिकांश केंद्रीय बैंक पहले ही ब्याज दरों में वृद्धि कर चुके हैं जबकि आरबीआई यथास्थिति बनाए हुए है। इस परिदृश्य में देखना दिलचस्प होगा कि आरबीआई मुद्रास्फीति और विकास दानों को कैसे प्रबंधित करेगा।
ऐतिहासिक रूप से अप्रैल शेयर बाजार के लिए सबसे अच्छे महीनों में से एक है, जहां मिडकैप और स्मॉलकैप शेयरों का प्रदर्शन बेहतर है। यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि वित्त वर्ष 2021-22 की दूसरी छमाही में जमकर बिकवाली करने के बाद एफआईआई वित्त वर्ष 2022-23 में कैसा व्यवहार करेंगे। हालांकि उन्होंने पिछले सप्ताह में 5600 करोड़ रुपये की लिवाली की है।