सर्वप्रथम माँ भारती को नमन करता हूं, सुबोध मिश्र
उज्जैन : सुबोध मिश्र जी गोष्ठी में अपना मंतव्य दे रहे थे। उन्होंने कहा कि, दुर्गा के साथ-साथ सरस्वती की शरण भी जरूरी है, तभी शक्ति का विवेक के साथ सही उपयोग होता है। गोष्ठी की अध्यक्षता डॉ. शाहाबुद्दीन शेख राष्ट्रीय संयोजक राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना महाराष्ट्र ने की।
विशेष अतिथि के रुप में उपस्थित डॉ. विनोद कुमार वर्मा ने कहा इन दिनों में हम नकारात्मक शक्तियों का संहार करके सकारात्मकता का संचार करते हैं। इन्होंने राम की शक्ति पूजा की बात की और कहा कि निर्गुण-सगुण नहीं कछु भेदा।
डॉ. सुवर्णा जाधव महाराष्ट्र कार्यकारी अध्यक्ष ने गारगी, पंडिता रमाबाई, आनंदीबाई, सावित्रीबाई फुले आदि शक्तिशाली महिलाओं की चर्चा की।
सुरेखा मंत्री ने कहा कि, रात्रि का विशेष महत्व होता है। आध्यात्मिक और मानसिक शांति संचय करने के लिए इन 9 दिनों का अपना महत्व है। इन दिनों में हम सत्संग और ज्ञान प्राप्त करने के लिए मां के नौ रूपों की पूजा करते हैं।
विनोद कुमार वर्मा ने कहा सदियों से हमारी आस्था इस यात्रा को करती चली आ रही है। सिंधु घाटी की खुदाई में भी मिट्टी की अलंकृत माँ की मूर्ति मिली थीं।
डॉ बालासाहेब तोरस्कर मुंबई ने शान्ति पीठ कोल्हापुर की महिमा बताई।
डॉ. दीपिका सिसोदिया ने कामाख्या देवी के बारे में चर्चा करते हुए कहा – धन-धान्य सुख सुविधा बरसती है। जिस घर में नारी का सम्मान होता है। कविता सुनाई- देखें न तुमको तो बेचैन नैना हैं, मां तेरे संग रहना है।
अध्यक्षीय भाषण में डॉ. शहाबुद्दीन शेख ने कहा कि दुर्गा की आराधना का मतलब भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति की आराधना है। यह पर्व संदेश देता है कि, हर घर में माँ का रूप विराजमान है। हमारी सभी समस्याओं के निराकरण के लिए दुर्गा के नौ रूपों की आराधना का वैज्ञानिक महत्व बताया और कहा कि इस प्रकार कि गोष्ठियों के माध्यम से पता चलता है कि उपासना करने के क्या लाभ होते हैं। उन्होंने दुर्गा के सभी रूपों का वर्णन करने के साथ-साथ नव ग्रहों का भी वर्णन किया।
आभार व्यक्त डॉ. मुक्ता कान्हा कौशिक राष्ट्रीय प्रवक्ता छत्तीसगढ़ ने किया।
डॉ. रश्मि चौबे गाजियाबाद मुख्य राष्ट्रीय महासचिव महिला इकाई ने कार्यक्रम का कुशलता से संचालन किया।
कार्यक्रम का आरंभ ज्योति तिवारी इंदौर द्वारा प्रस्तुत सरस्वती वंदना से हुआ। महासचिव राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना डॉ. प्रभु चौधरी उज्जैन ने स्वागत भाषण दिया।
प्रस्ताविक भाषण में ज्योति तिवारी इंदौर ने कहा – ये दिन हमें सिखाते हैं कि कन्या पूजन के साथ-साथ सभी महिलाओं का आदर करना चाहिए और उन्हें सम्मान देना चाहिए वह किसी न किसी रूप में शक्ति स्वरूपा है।
कार्यक्रम में विमल कुमार सिंह, अर्चना पांडे, बसंती वर्मा आदि ने भी अपने विचार व्यक्त किए एवं कविताऐं सुनायीं। इस तरह से सुंदर कार्यक्रम संपन्न हुआ।