आत्मा की शुद्धता से संसार में सिद्धि मिलती है!

राजीव कुमार झा, बिहार । भारतीय जीवन दर्शन में आत्मा को को जीवन का मूलतत्व कहा गया है और इसकी शुद्धता पर ही संसार में मनुष्य जीवन को सार्थकता निश्चित होती है। आत्मा की हम अपने अच्छे कर्मों से तेजदीप्त बनाकर संसार में यश और प्रसिद्ध पाकर जीवन को निर्वाण की बात उन्मुख कर सकते हैं। मनुष्य पाप के कारण इस संसार में भटकता रहता है और वह अपनी आत्मा को भी दुख पहुंचाता है। इसके अलावा सांसारिक विषय वासनाओं के प्रति अत्यधिक आसक्ति से भी आत्मा बन्धन में पड़ जाती है और मनुष्य का जीवन मोक्षप्राप्ति से निरंंतर दूर होता जाता है। जीवन में आत्म चिंतन काफी जरूरी है और इससे हमारी जीवन चेतना का परिष्कार होता है।

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राजीव कुमार झा, कवि/ समीक्षक

संसार से अत्यधिक माया मोह का भाव हमें काम, क्रोध और लोभ की ओर अग्रसर करता है। गीता में इसे मनुष्य का अज्ञान कहा गया है। मनुष्य की आत्मा का उसके कर्मों से उद्धार होता है। उपनिषदों में जीव और आत्मा के संबंधों का सुंदर विवेचन हुआ है और इस दृष्टि से कठोपनिषद की कथाएं प्रेरक हैं। मनुष्य अज्ञान के कारण आत्मा और संसार के संबंधों में व्याप्त रहस्यों को ठीक से नहीं समझ पाता है और सांसारिक विषय वासनाओं में उलझकर वह जीवन के अभिष्ट को भी ठीक से प्राप्त नहीं कर पाता है इसीलिए कबीर ने धर्म और ईश्वर के नाम पर फैले अज्ञान को दूर करने का संदेश दिया। उनके अनुसार अज्ञानता की वजह से मनुष्य ईश्वर को कई रूपों में देखने लगता है और वह संकीर्ण वृत्ति का प्राणी हो जाता है।

मनुष्य योग की साधना से ईश्वर को प्राप्त करता है और यह उसकी आत्मिक शक्ति को जाग्रत कर रता है। ज्ञान प्राप्ति के लिए योग साधना जरूरी है और इससे हृदय के समस्त विकार नष्ट हो जाते हैं। इसे भ्रम निवारण का सर्वोत्तम उपाय भी कहा जाता है। हमें भ्रम और अज्ञान का अंतर भी समझना चाहिए और भ्रम को बुद्धि हीनता की दशा भी माना जाता है और इस दशा में मनुष्य अपनी आत्मा में स्थित ईश्वर का साक्षात्कार भी नहीं कर पाता है। वह उसको पाने के लिए भपकता दिखाई देता है। आत्मा सात्विक भाव वृत्ति को ग्रहण करती है और आत्मतत्व के रूप में चेतनतत्वों की पहचान जरूरी है। इसके लिए संसार में गोचर तत्वों के साथ अगोचर तत्वों में भी ईश्वर के तेज प्रताप का दर्शन जरूरी है। आत्मा विराट है उसमें ईश्वर का वास है।

(नोट : इस आलेख में व्यक्त किए गए विचार लेखक के निजी व व्यक्तिगत है। इस आलेख में दी गई सभी सूचनाएं ज्यों की त्यों प्रस्तुत की गई है।)

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