नयी दिल्ली। राज्य सभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने आजादी के पूर्व के समय को भारतीय पत्रकारिता का स्वर्णिम काल बताते हुए सोमवार को कहा कि उस समय के पत्रकार खोजी पत्रकार होने के साथ ही साथ निवेशक भी थे। हरिवंश ने भारतीय जनसंचार संस्थान (आईआईएमसी) के शैक्षणिक सत्र 2022-2023 का शुभारंभ करते हुए कहा कि देश को आजादी मिलने से पहले के पत्रकारों ने सीमित संसाधनों के साथ पत्रकारिता के स्वर्णिम काल का निर्माण किया। मौजूदा समय में तकनीकी और बनावटी बौद्धिकता के दौर में आसानी से हम बहुत कुछ कर सकते हैं और पत्रकारिता एक नया स्वर्णिम काल गढ़ सकते हैं।
‘अमृतकाल के संकल्प और मीडिया’ विषय पर अपने विचार व्यक्त करते हुए श्री हरिवंश ने कहा कि जो चीजें पहले सौ वर्षों में बदलती थीं, आज उसके लिए दो दिन का समय भी नहीं लगता। मौजूदा समय में आप मामूली संसाधनों के साथ मीडिया स्टार्टअप की शुरुआत कर सकते हैं और समाज में बदलाव ला सकते हैं। जीवन में संघर्ष से कठिन सृजन होता है। यह कठिन तप और साधना है। युवाओं के तप से ही भारत का भविष्य तय होगा।
राज्यसभा के उपसभापति ने कहा कि पत्रकारिता का दौर अब पूरी तरह बदल गया है। आज प्रिंट, रेडियो और टेलीविजन के अलावा डिजिटल मीडिया, विज्ञापन एवं जनसंपर्क, ऑडियो, पॉडकास्ट, मल्टीमीडिया, डाटा साइंस और मीडिया शिक्षण जैसे अनेक विकल्प मौजूद हैं। सोशल मीडिया के कारण मौजूदा समय में पत्रकारिता के सामने साख का संकट पैदा हो गया है। फेसबुक, ट्विटर आदि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रोजाना लाखों फेक न्यूज परोसी जा रही हैं। सभी को मिलकर इनका सामना करना होगा।