औरैया। उत्तर प्रदेश में औरैया जिले के अजीतमल विकास खंड में बूढ़ा बरगद आज भी क्रांतिकारियों के जुनून की गवाही दे रहा है जिसकी छांव में आजादी की लड़ाई के लिये न सिर्फ अगिनत रणनीति बनायी गयी बल्कि गोरी सेना के कई सैनिक क्रांतिकारियों की गोली का शिकार हुये। इटावा के तत्कालीन कलेक्टर ए ह्यूम ने अंग्रेजी सेना के साथ हमला किया तो क्रांतिकारियों ने यहां अंग्रेजी सेना के कई सैनिक मार गिराए और अंग्रेजी सेना भागने को मजबूर हो गई। आज भी वट वृक्ष इतना बड़ा चौड़ा है कि सैकड़ो लोग इसकी छांव में बैठ सकते है। ऐतिहासिक धरोहर के रूप में जिले में सौ वर्ष से ज्यादा की उम्र पूरी कर चुका यह इकलौता पेड़ है। वन विभाग की टीम ने सर्वे कर इसे राजकीय विरासत में शामिल किया है।
इसका क्षेत्रफल 12 मीटर है।भारत प्रेरणा मंच के महासचिव अविनाश अग्निहोत्री ने बताया कि दो क्रांतिकारी गंगा सिंह और बंकट सिंह इसी पेड़ की नीचे ही क्रातिकारियों की बैठक करते थे। एक बार इटावा के कलेक्टर एओ ह्यूम सेना के साथ अजीतमल पहुंचे तो क्रांतिकारियों ने ब्रिटिश हुकूमत के कई सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। बरगद का यह पेड़ उसका गवाह है। लखनऊ से आई टीम ने दिसंबर 2020 में अजीतमल विकास खंड में खड़े बरगद के पेड़ को देखा था। टीम ने फोटोग्राफ लेकर अक्षांश व देशांतर की माप की थी। राष्ट्रीय विरासत घोषित होने के बाद इसे कभी काटा या हटाया नहीं जा सकेगा।
देखभाल की जिम्मेदारी जैव विविधता प्रबंधन समिति, नगर पालिका या संबंधित विभाग को मिली है।तकनीकी सहयोग की जिम्मेदारी प्रभागीय वन अधिकारी की होगी जबकि जरूरत पड़ने पर राष्ट्रीय वनस्पति अनुसंधान संस्थान एवं शोध संस्थान की भी मदद ली जाएगी। आज भी बरगद की छाँव में जाकर लगता है कि यह वट वृक्ष कुछ कह रहा हो और बता रहा हो कि मैने देखा है वह आजदी का जज्वा। मेरी गोद मे इस धरती को आजाद करने की रणनीति बनती थी। हमने देखा तो उन क्रांतिकारियों का जज्बा।
जब मेरी धरती पर गोरों की गलत नजर पड़ी तो उनके खून से धरती लाल कर दी गई थी। हमने आजाद होते देश ,आजाद देश का जुनून देखा। यहां न्याय के लिए भटके लोग देखे। अफसरों की तानाशाही देखी। पिछली बार मुझे राष्ट्रीय धरोहर घोषित कर मुझे सम्मान जरूर दिया गया लेकिन मेरी सबसे यही अपील है कि आजादी कैसे मिली इसको नहीं भूलना चहिए और देश हित मे कार्य करते रहे इसी से मुझे और गर्व होगा।