कोलकाता । उत्तर प्रदेश के झांसी में अंतरराष्ट्रीय संस्था हिंदी साहित्य भारती की कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित हुई। इस बैठक में विश्व के 35 देशों के प्रतिनिधि तथा भारत के विभिन्न राज्यों से हिंदी साहित्य भारती के प्रभारी अध्यक्ष, महामंत्री, उपाध्यक्ष उपस्थित रहे। गुजरात इकाई के प्रभारी पद्मश्री डॉ. विष्णु पंड्या, महामंत्री दिलीप मेहरा, आचार्य सरदार पटेल विश्वविद्यालय तथा पार्वती गोसाई, पश्चिम बंगाल से डॉ. सुनीता मंडल तथा हिमाद्रि जी आदि प्रतिनिधि के रूप में उपस्थित रहे।
इस अवसर पर उद्घाटन सत्र में हिंदी साहित्य भारती के अध्यक्ष रविंद्र शुक्ल, छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल, उत्तराखंड के पूर्व राज्यपाल, बुंदेलखंड यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ. मुकेश पांडे आदि उपस्थित रहे। लगातार दो दिनों तक आगामी कार्य उद्देश्यों की चर्चा हुई। भारतीय सनातन, संस्कृति, अध्यात्म, दर्शन, साहित्य एवं कला संबंधी विषयों पर राज्य से लेकर जिला तथा तालुका स्तर पर कार्यक्रम तथा प्रशिक्षण वर्ग आयोजित कर देश की प्रगति को वैश्विक स्तर पर दर्ज कराने का संकल्प लिया गया। हिंदी को राजभाषा से राष्ट्रभाषा बनाने का संकल्प लिया गया।
गुजरात से डॉ. दिलीप मेहरा ने हिंदी को राष्ट्रभाषा बनाने के संकल्प को अनुमोदन दिया तथा इसकी सेवा के लिए अपनी प्रतिबद्धता जताई। इस सम्मेलन के अंतिम सत्र दीक्षांत समारोह में केंद्रीय एवं राज्य मंत्री अजय भट्ट ने हिंदी को राजभाषा बनाने के लिए जो भी बनेगा वह सहयोग करने का आश्वासन दिया। मॉरिशस से पधारे हुए हिंदी साहित्य भारती के अध्यक्ष हेमराज सुंदर ने मॉरीशस में हिंदी साहित्य भारती को आगे बढ़ाने की बात की। पद्मश्री डॉ. विष्णु पांड्या ने अटल बिहारी बाजपेई को याद करके अपने हिंदी प्रेम को जताया।
अंत में सभी मेहमानों को हिंदी साहित्य भारती के प्रमाण पत्र देकर अभिवादन किया गया। गुजरात इकाई से डॉ. विष्णु पांड्या, डॉ. दिलीप मेहरा, डॉ. पार्वती गोसाई को भी सम्मान पत्र देकर सम्मानित किया गया। हिंदी साहित्य भारती के संस्थापक एवं अध्यक्ष डॉ. रविंद्र शुक्ल ने इस सम्मेलन का भव्य आयोजन किया। देश विदेश से पधारे सभी हिंदी साहित्य भारती सदस्यों को झांसी के किले का दर्शन भी करवाया गया। सभी विद्वानों ने अपने अलग-अलग मत प्रकट करके बताया कि हिंदी को अति शीघ्र राष्ट्रभाषा कैसे बनाया जाए उसके लिए अपने विचार व्यक्त किए।