“विद्यार्थियों को सम्मानित होते देखना शिक्षक के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि”

कलकत्ता विश्वविद्यालय में “राजभाषा हिन्दी एवं तकनीक संगोष्ठी” का आयोजन

कोलकाता। देश के ऐतिहासिक शैक्षिक संस्थान “कलकत्ता विश्वविद्यालय” में “बड़ौदा मेधावी विद्यार्थी सम्मान योजना” के तहत बैंक ऑफ बड़ौदा (कोलकाता अंचल) द्वारा “राजभाषा हिन्दी एवं तकनीक संगोष्ठी” का आयोजन किया गया। इस संगोष्ठी में 2022 में हिन्दी विभाग से स्नातकोत्तर में उत्तीर्ण प्रथम और द्वितीय स्थान रखने वाले दो विद्यार्थी शिवानी पाण्डेय और आनन्द पण्डित को बैंक द्वारा सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का आरम्भ अंचल प्रमुख प्रदीप कुमार दास के वक्तव्य द्वारा हुआ।

राजभाषा हिन्दी के उत्थान के लिए बैंक ऑफ बड़ौदा के तरफ़ से हर साल आयोजित होने वाले कार्यक्रमों पर चर्चा करते हुए उन्होंने हिन्दी के महत्व को रेखांकित किया और हिन्दी को हमारी चेतना और हमारी आत्मा का अंश माना। विभाग की प्राध्यापिका प्रोफेसर राजश्री शुक्ला ने सम्मानित विद्यार्थियों को शुभकामनाएँ देते हुए कहा कि हिन्दी से जुड़ना और कलकत्ता विश्वविद्यालय की प्राध्यापिका बनना उनके लिए गौरव का विषय है। उन्होंने हिन्दी को राष्ट्र एकता और राष्ट्र के स्वाभिमान के रूप में व्याख्यायित करते हुए कहा कि हिन्दी विपरीत परिस्थितियों में भी निरंतर आगे बढ़ती रहती है।

विभाग के प्राध्यापक प्रोफेसर राम अह्लाद चौधरी ने अपने वक्तव्य में कहा कि कोरोना के बाद शिक्षा के क्षेत्र में एक अन्धेरापन पनपता दिख रहा था वह अब धूमिल सा हो गया है। कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिन्दी विभाग द्वारा राजभाषा हिन्दी का किस प्रकार उत्थान हुआ इसके इतिहास का चित्र खींचते हुए उन्होंने हिन्दी को विभिन्न भाषाओं के बीच अन्तःसम्बन्ध बनाने वाली एक भाषा माना। संगोष्ठी के अध्यक्ष और हिन्दी विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर राम प्रवेश रजक जी ने सबको सम्बोधित करते हुए कहा कि अपने विद्यार्थियों को सम्मानित होते देखना शिक्षक के लिए सबसे बड़ी उपलब्धि है।

उन्होंने माना कि वर्तमान में हिन्दी उज्जवल भविष्य के मार्ग पर गतिमान है। पुरस्कृत विद्यार्थी शिवानी पाण्डेय और आनन्द पण्डित ने सभी को धन्यवाद देते हुए कहा कि कलकत्ता विश्वविद्यालय और हिन्दी से जुड़ना उनके लिए गौरव की बात है। कार्यक्रम का संचालन सुमित कुमार गुप्ता ने किया और धन्यवाद ज्ञापन रंजीत कुमार रजक ने किया। कार्यक्रम में हिन्दी विभाग के प्रथम और तृतीय सत्र के छात्र-छात्राएँ उपस्थित थें।

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