कोलकाता। पश्चिम बंगाल में राजभवन और सरकार के बीच टकराव के इतिहास के बीच नवनियुक्त राज्यपाल डॉक्टर सीवी आनंद बोस ने पदभार संभालने से पहले कहा है कि वह राज्य और केंद्र के बीच मौजूदा समस्याओं के समाधान के लिए सेतु की भूमिका निभाएंगे। आनंद बोस को बंगाल का राज्यपाल नियुक्त किया गया था। उन्होंने कहा कि राजभवन और राज्य सरकार के बीच मतभेदों को संघर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि मतभेद के रूप में देखा जाना चाहिए क्योंकि दोनों पूरक संस्थान हैं।
उन्होंने कहा कि मैं संघर्षों के समाधान को प्राथमिकता देता हूं क्योंकि हरेक समस्या का समाधान होता है। हमें सभी हितधारकों को एक साथ लाने की जरूरत होती है। इसलिए मैं कहूंगा कि संविधान क्या उम्मीद करता है – कि राज्यपाल को रास्ता जानना है, रास्ता दिखाना है और और उसी रास्ते पर चलना है।
बोस से पहले राज्य के निवर्तमान राज्यपाल और वर्तमान में देश के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के साथ ममता सरकार का लंबा टकराव चला था। बोस ने उम्मीद जताई कि उन्हें राज्य सरकार का समर्थन मिलेगा और वे सेतु के रूप में कार्य करने का लक्ष्य रखेंगे। उन्होंने कहा कि दोनों (राजभवन और राज्य सरकार) पूरक संस्थान हैं। राज्यपाल के उद्देश्य को संविधान में स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है।राज्यपाल को राज्य और केंद्र के बीच सेतु के रूप में कार्य करना है।
राज्यपाल की भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि सरकार संविधान के ढांचे के भीतर काम करे और लोगों को राहत देने के लिए लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को सभी सुविधाएं प्रदान की जानी चाहिए। जहां तक अवधारणा का संबंध है, मुझे कोई संघर्ष नहीं दिखता है। देश में गैर-भाजपा दलों के नेतृत्व वाली राज्य सरकारों और राज्यपाल के बीच बढ़ते संघर्ष के मुद्दे पर बोलते हुए। उन्होंने कहा कि ये मतभेद हैं और इसे संघर्ष के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए।