कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इंजीनियरिंग की तरह मेडिकल में भी तीन सालों के डिप्लोमा का प्रस्ताव दिया है। इसके लिए राज्य सरकार ने विशेषज्ञ चिकित्सकों की एक समिति भी बनाई है। लेकिन सूत्रों ने बताया है कि उस समिति ने हीं मुख्यमंत्री के इस प्रस्ताव को नकार दिया है। सूत्रों ने बताया है कि विशेषज्ञ कमेटी ने अपनी राय में स्पष्ट कर दिया है कि चिकित्सा का काम लोगों की जिंदगी से जुड़ा हुआ है और महज तीन सालों के डिप्लोमा कोर्स में किसी को भी चिकित्सा करने की अनुमति नहीं दी जा सकती।
विशेषज्ञों ने कहा है कि डिप्लोमा का कोर्स शुरू किया जा सकता है लेकिन उससे चिकित्सक नहीं बल्कि सहायक तैयार होंगे। हालांकि वे कोई दवा नहीं लिख पाएंगे। इसके साथ ही उन्हें अगर ग्रामीण इलाके में तैनात भी करना है तो वे चिकित्सक के सहायक के तौर पर काम कर पाएंगे। हालांकि समिति को 30 दिनों के भीतर अपनी लिखित रिपोर्ट देनी है। सूत्रों ने बताया है कि लिखित तौर पर स्वास्थ्य सचिव को विशेषज्ञों के प्रारंभिक राय की जानकारी दी गई है।
उल्लेखनीय है कि पिछले हफ्ते शुक्रवार को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सचिवालय में समीक्षा बैठक की थी। उसी दौरान उन्होंने तीन सालों का डिप्लोमा कोर्स चालू कर डॉक्टर तैयार करने का प्रस्ताव दिया था। इसके खिलाफ वामपंथी छात्र संगठन डीएसओ ने एक दिन पहले ही विरोध प्रदर्शन किया था।