जिस मेले में आज भी विनिमय प्रथा से होती है खरीददारी

मालदा। चांचल के शिहीपुर में फाल्गुन संक्रांति पर वसंत पूजा करने की परंपरा आज भी कायम है। वसंत देवता की पीठ स्थान में पूजा के साथ ही वहां का मेला भी बहुत पुराना है। लगभग 300 वर्षों तक फाल्गुन की संक्रांति तिथि पर हर साल खुजली मेले का आयोजन किया जाता है। देवता को पारंपरिक लावा, नाडू और मुड़की का भोग अर्पित किया जाता है।

भोग का सामान मेला परिसर से ही एकत्र करना होता है। भोग का सामान खरीदने के क्षेत्र में भी प्राचीन प्रथा आज भी प्रचलित है। विक्रेता पैसे के लिए भोग पदार्थ नहीं बेचते हैं। भक्त घर से धान, चावल या सरसों, गेहूं और जौ सहित कोई भी उपज एक थैले में लाते हैं। और जो अनाज वे लाते हैं, उसके बदले में वसंत भगवान के लिए भोग खरीदा जाता है।

स्थानीय निवासियों के अनुसार गांव के गरीब लोग पैसे के अभाव में प्रचीन काल से ही विनिमय प्रथा से भोग खरीद कर पूजा करते थे और शायद इस कारण यह प्रथा प्रचलित है। लोगों के बीच एक प्राचीन मान्यता है कि फाल्गुन की संक्रांति तिथि पर वसंत देवता की पूजा करने से चर्म रोग से छुटकारा मिलता है। इस लिए आज भी शिहीपुर मेले में दूर-दूर से श्रद्धालु पूजा व मेले में आते हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

4 × 1 =