भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते कदमों से दुनियां हैरान
विश्व नें भारत को वैज्ञानिक शक्ति के रूप में रेखांकित किया – अंतरिक्ष तकनीकों के क्षेत्र में भारत नें इतिहास रचा – एडवोकेट किशन भावनानी
किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर भारत जिस तेजी के साथ पंजीकृत स्पेस संबंधित स्टार्टअप के विकास को धमाकेदार प्रगतिशील बना रहा है, महज 5 स्टार्टअप वाला भारत आज हर क्षेत्र की सेवाएं देने के लिए बड़ा बाजार उपलब्ध है। यही कारण है कि अमेरिका जैसे पूर्ण विकसित, दुनियां का बादशाह देश भी भारत की इस अभूतपूर्व सफलता का कायल है। जिसका उदाहरण भारतीय पीएम के अधिकृत अमेरिका दौरे में एक संयुक्त वक्तव्य में कहा गया था कि दोनों देश के नेताओं ने प्रण किया है कि उनका उद्देश्य अंतरिक्ष सहयोग क्षेत्र में नए आयामों को उपलब्ध कराना है। अमेरिका भारत के निजी क्षेत्रों में गठजोड़ करेगा क्योंकि अमेरिका ने भारत की वैज्ञानिक शक्ति को रेखांकित किया है कि, भारत के जल्द विस्तारवादी मुल्क को वैज्ञानिक, प्रौद्योगिकी, तकनीकी और कूटनीतिक रूप से मात देने की ओर तेजी से कदम बढ़ गए हैं। चंद्रयान -3 में नासा की भी महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जा सकता है।
भारत ही नहीं सारी दुनियां को 7 सितंबर 2019 की आधी रात समय करीब 2 बजे जिसमें मैं खुद भी टेलीविजन पर लाइव लांचिंग देख रहा था, याद होगा के आखिरी के 2.1 किलोमीटर पर चंद्रयान-2 का धरती पर उतरना सफल नहीं हुआ था उस समय पीएम ने अंतरिक्ष वैज्ञानिकों के साथ इसरो में खुद भी मौजूद थे और देख रहे थे और असफल होने पर किस तरह इसरो चीफ को पीएम ने गले लगाए था, इसरो चीफ रो पड़े थे। मेरी भी आंखों में आंसू आ गए थे। उस समय पीएम ने वैज्ञानिकों को ढांढस बंधाते हुए कहा था इस असफलता से हमारे इरादे और मज़बूत हुए हैं फिर उसी दिन पीएम ने इसरो में ही वैज्ञानिकों की हौसला अफ़जाई की थी। चूंकि चंद्रयान-3, 14 जुलाई 2023 को लांच हो रहा है, इसलिए हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आर्टिकल के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में तेजी से बढ़ते कदमों से दुनियां हैरान रह गई है।
साथियों बात अगर हम चंद्रयान -3 के लांचिंग की करें तो, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने बहुप्रतीक्षित मिशन चंद्रयान-3 की लॉन्चिंग की तारीख का एलान कर दिया है। चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को दोपहर 2:35 बजे लॉन्च किया जाएगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। इसरो के अध्यक्ष ने बताया कि चंद्रयान-3 मिशन के तहत इसरो 23 अगस्त या 24 अगस्त को चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग का प्रयास करेगा। अंतरिक्ष के क्षेत्र में ये भारत की एक और बड़ी कामयाबी होगी। चंद्रयान-2 के बाद इस मिशन को चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंडिंग के लिए भेजा जा रहा है। चंद्रयान-2 मिशन आखिरी चरण में विफल हो गया था। उसका लैंडर पृथ्वी की सतह से झटके के साथ टकराया था, जिसके बाद पृथ्वी के नियंत्रण कक्ष से उसका संपर्क टूट गया था। चंद्रयान-3 को उसी अधूरे मिशन को पूरा करने के लिए भेजा जा रहा है।
इसरो के अधिकारियों के मुताबिक, चंद्रयान-3 मिशन चंद्रयान-2 का ही अगला चरण है, जो चंद्रमा की सतह पर उतरेगा और परीक्षण करेगा। यह चंद्रयान-2 की तरह ही दिखेगा, जिसमें एक ऑर्बिटर, एक लैंडर और एक रोवर होगा। चंद्रयान-3 का फोकस चंद्रमा की सतह पर सुरक्षित लैंड करने पर है। मिशन की सफलता के लिए नए उपकरण बनाए गए हैं। एल्गोरिदम को बेहतर किया गया है। जिन वजहों से चंद्रयान-2 मिशन चंद्रमा की सतह पर उतरने में असफल हुआ, उन पर फोकस किया गया है। इससे पहले राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया था कि श्रीहरिकोटा के अंतरिक्ष केंद्र में चंद्रयान-3 युक्त एनकैप्सुलेटेड असेंबली को एलवीएम3 के साथ जोड़ा गया। यह मिशन भारत को अमेरिका, रूस और चीन के बाद चंद्रमा पर सॉफ्ट लैंडिंग करने वाला दुनिया का चौथा देश बना देगा।
चंद्रयान मिशन के तहत इसरो चांद पर पहुंचना चाहता है। भारत ने पहली बार 2008 में चंद्रयान-1 की सक्सेसफुल लॉन्चिग की थी। इसके बाद 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग में भारत को असफलता मिली। अब भारत चंद्रयान-3 लॉन्च करके इतिहास रचने की कोशिश में है। इसरो ने स्पेस शिप को चंद्रमा तक पहुंचाने के लिए तीन हिस्से तैयार किए हैं, जिसे टेक्निकल भाषा में मॉड्यूल कहते हैं। चंद्रयान-3 मिशन में मॉड्यूल के 3 हिस्से हैं। भारत की महत्वाकांक्षी परियोजना चंद्रयान 3 को लॉन्च करने के लिए पिछले चार वर्षों में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने चुपचाप काम किया था। इस मिशन का लक्ष्य चंद्रमा पर लैंड करना और उसके पर्यावरण का अध्ययन करना है। इन वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम देने के लिए इसरो ने एक रोवर भी विकसित किया है।
साथियों बात अगर हम चंद्रयान – 2 की करें तो इस मिशनको 22 जुलाई 2019 को लॉन्च किया गया था। 14 अगस्त को लैंडर और रोवर ने पृथ्वी की कक्षा छोड़ी थी। 6 दिन बाद इसने चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश किया था। 6 सितंबर को विक्रम लैंडर ऑर्बिटर से अलग हुआ था। मिशन के अनुसार विक्रम लैंडर को चांद के दक्षिणी ध्रुव पर 7 सितंबर को भारतीय समयानुसार रात 1 से 2 बजे के बीच लैंड करना था। यह चांद की सतह से 2.1 किलोमीटर दूर था तभी इसका इसरों से संपर्क टूट गया था। इसके बाद से ही भारत चंद्रयान-3 मिशन की तैयारी कर रहा था।चंद्रयान-2 ने 48 दिन में 30,844 लाख किलोमीटर की यात्रा की थी। मिशन पर 978 करोड़ रुपए का खर्च आया था। इसके विक्रम लैंडर से भले निराशा मिली, लेकिन यह मिशन नाकाम नहीं रहा, क्योंकि चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर अभी भी चांद की कक्षा में अपना काम कर रहा है।इसरो चीफ ने कहा कि चंद्रयान-2 मिशन में हम असफल हुए थे। जरूरी नहीं कि हर बार हम सफल ही हों, लेकिन बड़ी बात ये है कि हम इससे सीख लेकर आगे बढ़ें। उन्होंने कहा कि असफलता मिलने का मतलब ये नहीं कि हम कोशिश करना ही बंद कर दें। चंद्रयान- 3 मिशन से हमें बहुत कुछ सीखने को मिलेगा और हम इतिहास रचेंगे।
साथियों बात अगर हम मिशन में नासा की भूमिका की करें तो, अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) के एक पैसिव लेजर रेट्रोरेफ्लेक्टर ऐरे को भी चंद्र लेजर अध्ययन के लिए समायोजित किया गया है। वहीं, रोवर से संबंधित उपकरणों में अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर और ‘लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोपी शामिल हैं जो लैंडर के उतरने की जगह के आसपास मौलिक संरचना का अध्ययन करेंगे। लैंडर एक निर्दिष्ट चंद्र स्थल पर सॉफ्ट लैंडिंग करने और रोवर को तैनात करने की क्षमता से लैस है जो अपनी गतिशीलता के दौरान चंद्र सतह का रासायनिक विश्लेषण करेगा।प्रणोदन मॉड्यूल का मुख्य कार्य लैंडर को प्रक्षेपण यान अंत:क्षेपण से 100 किमी की अंतिम चंद्र गोलाकार ध्रुवीय कक्षा तक ले जाना और इसे अलग करना है। इसके अलावा, प्रणोदन मॉड्यूल में मूल्यवर्धन के रूप में एक वैज्ञानिक उपकरण भी है, जिसे लैंडर मॉड्यूल के अलग होने के बाद संचालित किया जाएगा।
साथियों बात अगर हम लांचिंग को सामने से देखने के लिए रजिस्ट्रेशन की करें तो, बहुत से लोगों को इस लॉन्च को सामने से देखने की जिज्ञासा है। आखिर आम जनता किस तरह से चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण को देख सकती है, इस बारे में इसरो की एक वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन विंडो खुल गई है। इस वेबसाइट से किया जा सकता है रजिस्ट्रेशन मायगोव पर जाकर दिए गए लिंक पर क्लिक करके आसानी रजिस्ट्रेशन किया जा सकता है। वेबसाइट पर दी गई जानकारी के मुताबिक, आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में इसरो स्पेस थीम पार्क विकसित कर रहा है। इसका निर्माण कार्य प्रगति पर है। स्पेस थीम पार्क के प्रमुख आकर्षणों में रॉकेट गार्डन, लॉन्च वीउ व्यू गैलरी और स्पेस म्यूजियम शामिल हैं, जिन्हें विकसित किया जा रहा है। वर्तमान में जनता के लिए लॉन्च व्यू गैलरी और स्पेस म्यूजियम खुला हुआ है।
साथियों बात अगर हम अंतरिक्ष क्षेत्र में भारत अमेरिका गठजोड़ की करें तो, अमेरिका भारत के निजी क्षेत्रों से करेगा गठजोड़। भारत को वैज्ञानिक शक्ति के रूप में रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि हाल ही में हमारे पीएम के अमेरिका दौरे के दौरान एक संयुक्त वक्तत्व में कहा गया था कि दोनों देश के नेताओं ने प्रण किया है कि अंतरिक्ष सहयोग के क्षेत्र में नए मोर्चों तक पहुंचना है। अंतरिक्ष अर्थव्यवस्था के पूरे क्रम में अमेरिका वाणिज्यिक सहयोग के लिए भारत के निजी क्षेत्रों से गठजोड़ करेगा। ताकि निर्यात को नियंत्रित किया जा सके और तकनीकी हस्तांतरण सुविधाजनक हो। अमेरिका व भारत दोनों के ही प्रतिपक्षी चीन के खिलाफ अंतरिक्ष तकनीकों के क्षेत्र में भारत बढ़त ले रहा है। रूस और चीन अंतरिक्ष में प्रक्षेपण के सस्ते विकल्प थे। लेकिन यूक्रेन से युद्ध में अंतरिक्ष तकनीकों में रूस की भूमिका नगण्य हो गई है।
अतः अगर उपरोक्त पूरे देश विवरण का अध्ययन कर उसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि दुनियां की नजरें भारत पर – चंद्रयान-3 की 14 जुलाई 2023 को लांचिंग भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र में तेज़ी से बढ़ते कदमों से दुनियां हैरान। विश्व नें भारत को वैज्ञानिक शक्ति के रूप में रेखांकित किया – अंतरिक्ष तकनीकों के क्षेत्र में भारत नें इतिहास रचा है।