विलुप्त हो रहे सर्कस को मिला ‘हुनर हाट’ का सहारा

अनिल बेदाग, मुंबई । यू-ट्यूब और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के विभिन्न चैनलों की ढेर सारी मनोरंजन सामग्री परोसे जाने के बाद सर्कस के अस्तित्व में बने रहना आज के दौर में आश्चर्यजनक बात लगती है। लेकिन देसी-विदेशी चैनलों की भीड़ के बावजूद सर्कस का आकर्षण खत्म नहीं हुआ है जिसकी जीती जागती मिसाल है देश भर के विभिन्न शहरों में आयोजित होने वाले ‘हुनर हाट’ के ये सर्कस है जिसने ना सिर्फ करोना काल में बंद हो गए सर्कस को आम लोगों तक पहुंचाया है बल्कि इसके कालकारों को रोज़गार का मौका देकर एक अनूठी पहल की है।

जोखिमभरी कला का प्रदर्शन करके दर्शक को सस्ता और जीवंत मनोरंजन मुहैया कराने वाले सर्कस का हर कलाकार यूं तो दो जून की रोटी के लिए जीतोड़ मेहनत करता है। सर्कस के कलाकारों का कहना है कि सर्कस सचमुच संकट के दौर से गुजर रहा है। अगर सरकार सर्कस के कलाकारों के उत्थान के लिए इस तरह की कोई मदद नहीं करती तो सर्कस के सैकड़ों कलाकार लोगों को अपनी इस कला से दो जून की रोटी जो वर्त्तमान में मिल रही है वह बंद हो जाती।

हुनर हाट कार्यक्रम के माध्यम से चंडीगढ़ में पंजाब के राज्यपाल एंव चंडीगढ़ के प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित की तरफ से सर्कस के प्रत्येक कलाकारों 11 हजार रुपये से पुरस्कार और प्रशस्ति पत्र मिला। इस सर्कस ने पिछले 27 साल से जोकर का किरदार निभा रहे 52 वर्षीय बीजू बताते हैं कि उन्हें पूरे कैरियर में आजतक इस तरह से सर्कस के कलाकारों के काम को किसी ने नहीं सराहा। बीजू बताते हैं, “मैंने अपने बच्चों को नहीं बताया था की मैं सर्कस का ‘जोकर’ हूं, डर लगता था कहीं उन्हें बात बुरी न लगे कि उनके पिता-पति एक ‘जोकर’ हैं जिस पर सब हंसते हैं।” लेकिन हुनर हाट ने मिली पहचान के बाद बीजू अपने आप को गर्व से जोकर कलाकार बताते हैं।

मुंबई के बांद्रा कुर्ला कॉम्पलेक्स के एमएमआरडीए मैदान पर अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय का ये कार्यक्रम ‘हुनर हाट’ 16 से 27 अप्रैल तक चलेगा जिसमें रोजाना सांस्कृतिक कार्यक्रम के साथ साथ दिन 1 बजे, 3 बजे और शाम 5 बजे सर्कस के भी तीन शो आय़ोजित होते हैं जो दर्शकों को अपनी ओर खींचने में सफल है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *