नए वर्ष 2024 के प्रथम दिन ही अनेक राज्यों की जनता का हाल बेहाल

भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 104(2) हिट एंड रन पर 8 राज्यों में बवाल – ट्रांसपोर्ट हड़ताल
रोड एक्सीडेंट की निष्पक्ष जांच करने के लिए एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का होना समय की मांग – एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर देश दुनियां में भले ही लोग नए वर्ष के पहले दिन खुशियों का जश्न मना रहे हैं पार्टियों कर रहे हैं पिकनिक मना रहे हैं, तो कई लोग वर्ष 2024 के प्रथम दिन मंदिरों में जाकर प्रार्थना कर रहे हैं कि हमारे पूरे वर्ष खुशियों की बागबहार में भीग रहे दुखों का पल पूरे वर्ष कभी नहीं आए वही एक तबका ऐसा भी है जिनका नए वर्ष का पहला दिन ही विरोध प्रदर्शन और चक्का जाम में से शुरू हुआ और देखते ही देखते यह सिलसिला, आग की तरह पूरे देश में फैल गया और करीब आठ राज्यों में यह हवा फैल गई और ट्रांसपोर्ट ऑटो बस इत्यादि सभी ट्रांसपोर्ट के साधन चक्का जाम शुरू हो गया जिससे आम जनता को भारी परेशानी का सामना वर्ष के प्रथम दिन ही करना पड़ा जबकि उनका कुछ भी कसूर नहीं है। मामले को समझने की कोशिश करें तो कुछ दिन पूर्व ही नए तीन आपराधिक कानून का दोनों सदनो में पारित कर लिए गए थे जिसे माननीय राष्ट्रपति महोदय ने 31 दिसंबर 2023 को हस्ताक्षर कर कानून बनने का दर्जा प्रदान किया। बस फिर क्या था! उनमें से एक कानून भारतीय न्याय संहिता 2023 की एक धारा 104(2)कानून को पूरी प्रक्रिया के साथ हर स्टेप को फॉलो करके बनाया गया है, जो यह आर्गुमेंट करना कि इस कानून को बनाते समय स्टेट होल्डर से सुझाव नहीं लिए गए थे, यह ठीक नहीं है, क्योंकि बाकायदा अधिसूचना जारी कर सभी दर्जे के लोगों से सुझाव मांगे जाते हैं फिर विधेयकों को बनाया जाता है। चूंकि नए साल 2024 के प्रथम दिन ही अनेक राज्यों की जनता का हाल बेहाल हुआ इसलिए आज हम मीडिया यह उपलब्ध है जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 104 (2) हिट एंड रन पर 8 राज्यों में बवाल, ट्रांसपोर्ट की हड़ताल।

साथियों बात अगर हम भारतीय न्याय संहिता कानून 2023 की धारा 104(2) हिट एंड रन को समझने की करें तो, ऐसे मामले जिनमें गाड़ी की टक्कर के बाद ड्राइवर मौके से फरार हो जाता है, उन मामलों को ‘हिट एंड रन’ केस माना जाता है। हिट एंड रन के मामलों में कई बार घायल शख्स को अगर समय रहते अस्पताल पहुंचाने या प्राथमिक इलाज मिलने पर बचाया भी जा सकता है। पुराने कानून के मुताबिक हिट एंड रन केस में दो साल की सजा का प्रावधान था और जमानत भी मिल जाती थी। अब नया नियम कहता है कि अगर सड़क दुर्घटना के बाद गाड़ी चालक पुलिस को टक्कर की सूचना दिए बिना मौके से फरार होता है तो उसे 10 साल की जेल और जुर्माना देना पड़ेगा। कई राज्यों में ट्रक ड्राइवर इसका विरोध कर रहे हैं। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, दिल्ली, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, बिहार समेत कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों ने हड़ताल और चक्काजाम कर दिया है। न सिर्फ ट्रक ड्राइवर बल्कि बस, टैक्सी और ऑटो चालक भी इसका विरोध कर रहे हैं।

नए नियम निजी वाहन चालकों पर भी समान रूप से लागू होंगे। उनका कहना है कि नए कानून के प्रावधान कुछ ज्यादा ही सख्त हैं। इन्हें नरम किया जाए। आंकड़ों पर नजर डालें तो नए कानून की सख्ती का कारण समझ आता है। सरकारी आंकड़े बताते हैं कि हिट एंड रन के मामलों में हर साल 50 हजार लोग जान गंवाते हैं। विरोध करने वाले ड्राइवरों का तर्क है कि टक्कर के बाद अगर वे भागते हैं तो उन्हें नए कानून के तहत सख्त सजा मिलेगा और अगर वे रुकते हैं तो मौके पर मौजूद भीड़ उन पर हमला कर सकती है। अक्सर सड़क दुर्घटना के मामले में मौके पर मौजूद भीड़ उग्र हो जाती है और गाड़ी चालक पर हमला कर देती है। कई बार यह हिंसक भीड़ सिर्फ पिटाई तक नहीं रुकती और मामला मॉब लिंचिंग का रूप ले लेता है।

हालांकि नए कानून में ड्राइवरों को कुछ मामलों में राहत भी मिलेगी। अगर गाड़ी से टकराने वाला शख्स गलत तरीके से सड़क को पार करता है या गाड़ी के सामने आ जाता है तो ड्राइवर को अधिकतम पांच साल की सजा और जुर्माना भरना पड़ेगा। लेकिन अगर टक्कर गलत ढंग से गाड़ी चलाने की वजह से होती है तो ड्राइवर को 10 साल जेल की सजा काटनी होगी। अब तक हिट एंड रन मामले में आईपीसी की धारा 279 (लापरवाही से वाहन चलाना), 304A (लापरवाही के कारण मौत) और 338 (जान जोखिम में डालना) के तहत केस दर्ज किया जाता है। इसमें दो साल की सजा का प्रावधान है। खास मामलों में आईपीसी की धारा 302 भी जोड़ी जाती है। बदलाव के बाद सेक्शन 104(2) के तहत हिट एंड रन के बाद अगर आरोपी ड्राइवर घटनास्थल से भागता है या पुलिस या मजिस्ट्रेट को सूचित नहीं करता है तो उसे 10 साल तक की सजा भुगतनी पड़ेगी। 7 लाख रुपये का जुर्माना भी देना होगा।

साथियों बात अगर इस कानून का भारत के ट्रांसपोर्ट क्षेत्र से संबंध रखने वाले संगठनों के विरोध की करें तो केंद्र सरकार द्वारा लाये जा रहे हिट एंड रन के नए कानून को लेकर कई राज्यों में ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा चक्काजाम किया जा रहा है। नए कानून के विरोध में राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और यूपी, बिहार के ड्राइवरों ने शनिवार से ही चक्काजाम करना शुरू कर दिया है। केंद्र सरकार द्वारा सड़क हादसों पर नियंत्रण करने के लिए हिट एंड रन कानून में बदलाव किया जा रहा है। ड्राइवर इस कानून को लाने का विरोध कर रहे हैं। विरोध करने वाले ड्राइवरों का तर्क है कि टक्कर के बाद अगर वे भागते हैं तो उन्हें नए कानून के तहत सख्त सजा मिलेगा और अगर वे रुकते हैं तो मौके पर मौजूद भीड़ उन पर हमला कर सकती है। सोमवार को महाराष्ट्र, राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में ट्रक ड्राइवरों और ट्रांसपोर्ट ऑपरेटर्स द्वारा विरोध जताया गया। विरोध करने वाले ड्राइवरों का कहना है कि कोई भी जानबूझकर दुर्घटना नहीं करता है और वे मौके से भागने को मजबूर हैं क्योंकि गुस्साई भीड़ उन्हें जान से मारने की धमकी देती है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि नए प्रावधान ड्राइवरों को हतोत्साहित करेंगे और उन्हें अपनी नौकरी को लेकर डर में डाल देंगे।उनका कहना है कि किसी दुर्घटना में बहुत सारे कारक शामिल होते हैं और उनमें से कुछ ड्राइवर के नियंत्रण से परे होते हैं।

अगर कोहरे आदि के चलते दृश्यता के कारण कोई एक्सीडेंट होती है, तो ड्राइवरों को बिना किसी गलती के जेल में सड़ना पड़ेगा। ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस भी नए कानून के विरोध में हैं, इसका कहना है कि कानूनों के संदर्भ में हितधारकों से परामर्श नहीं लिया गया है। हड़ताल के दौरान देश के 8 राज्यों मध्यप्रदेश, राजस्थान, बिहार, छत्तीसगढ़, यूपी, उत्तराखंड, पंजाब और गुजरात में ड्राइवरों ने विरोध प्रदर्शन किया। कहीं, चक्का जाम हुए तो कहीं मुख्य मार्ग रोक दिए गए। मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार मध्य प्रदेश के भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर आदि शहरों में बसें नहीं चलने दी गईं। राजस्थान में भी आधे दिन निजी गाड़ियां नहीं चलीं, वहीं, छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ट्रक ड्राइवरों ने सड़क पर वाहन खड़े कर आग लगा दी। इससे टायर जलने लगे और उनका धुआं दूर-दूर तक फैल गया।

साथियों बात अगर हम मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस की करें तो, एआईएमटीसी ने कहा, यह नियम आने के बाद भारी वाहन चालक अपनी नौकरियां छोड़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि भारतीय न्याय संहिता 2023 में एक्सीडेंट में दोषी वाहन चालकों को 10 साल की सजा का प्रावधान है, जो कि हमारे परिवहन उद्योग को खतरे में डाल रहा है। उन्होंने कहा कि भारत की सड़क परिवहन बिरादरी भारतीय न्याय संहिता 2023 के तहत हिट एंड रन के मामलों पर प्रस्तावित कानून के तहत कठोर प्रावधानों के संबंध में सहमति नहीं जताती है। उनका कहना है कि देश में एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का अभाव है। इसके कारण मामले की निष्पक्ष जांच नहीं हो पाती और ड्राइवर को दोषी करार दिया जाता है। दुर्घटनास्थल से भागने की किसी ड्राइवर की मंशा नहीं होती है, लेकिन आसपास जमा भीड़ से बचने के लिए ऐसा करना पड़ता है। ‘हिट एंड रन’ के नए कानून में में 10 साल की सजा के प्रावधान के बाद अब ड्राइवर नौकरी छोड़ने को मजबूर हो गए हैं। एआईएमटीसी के अनुसार, कानून में संशोधन से पहले स्टेक होल्डर्स से सुझाव नहीं लिए गए, प्रस्तावित कानून में कई खामियां हैं। उन्होने बताया कि देशभर में पहले से ही 25-30 प्रतिशत ड्राइवरों की कमी है, इस तरह के कानून से ड्राइवरों की और कमी बढ़ेंगी। उन्होंने कहा कि ड्राइवरों की परेशानी की तरफ सरकार का ध्यान नहीं है। देश की अर्थव्यवस्था में सबसे बड़ा योगदान रोड ट्रांसपोटर्स और ड्राइवरों का है।

अतः अगर हम अपने पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि नए वर्ष 2024 के प्रथम दिन ही अनेक राज्यों की जनता का हाल बेहाल। भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 104(2) ‘हिट एंड रन’ पर 8 राज्यों में बवाल – ट्रांसपोर्ट हड़ताल। रोड एक्सीडेंट की निष्पक्ष जांच करने के लिए एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन प्रोटोकॉल का होना समय की मांग है।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

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