बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने राष्ट्रव्यापी धरना और एकदिवसीय हड़ताल किया

कोलकाता : स्टील और सीमेंट उद्योग में कार्टलाइज़ेशन‌ व अनुचित तरीके से दामों में की जा रही वृद्धि के ख़िलाफ़ कंस्ट्रक्शन व बिल्डिंग उद्योग का प्रतिनिधित्व करनेवाली संस्था बिल्डर्स एसोसिएश ऑफ़ इंडिया (बीएआई) ने शुक्रवार यानि 12 फ़रवरी, 2021 को एक दिवसीय देशव्यापी धरने और प्रदर्शन का आयोजन किया जिसमें इस उद्योग से जुड़े व निर्भर सभी हितधारकों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया. इस विरोध प्रदर्शन का मक़सद इस अनैतिक चलन की ओर सरकार का ध्यान आकर्षित करना था. इस प्रदर्शन में कंस्ट्रक्शन उद्योग से जुड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनियों, बिल्डरों, कॉन्ट्रैक्टरों ने हिस्सा लिया. सभी ने स्टील व सीमेंट उद्योग पर लगाम लगाने के लिए एक रेग्युलेटरी अथॉरिटी की फ़ौरी तौर पर गठन की‌‌ मांग भी की ताक़ि सामान्य लोगों को दामों में ग़ैर-जरूरी वृद्धि का दंश झेलना न पड़े.

04 फ़रवरी,‌ 2021 को हुई बीएआई के पदाधिकारियों की मीटिंग में इस बात का फ़ैसला किया गया था कि कंस्ट्रक्शन से जुड़े सभी हितधारक देशभर में इसके ख़िलाफ़ एक दिवसीय धरना एवं प्रदर्शन में हिस्सा लेंगे. बीएआई ने‌ इस संबंध में अपने तमाम पदाधिकारियों, प्रबंधक समिति और सभी केंद्रों के जनरल काउंसिल के सदस्यों को 12 फ़रवरी को प्रदर्शन व धरना के आयोजन के फ़ैसले के बारे में बताया था. इसके मुताबिक, देशभर के विभिन्न साइट्स पर सुबह 10.00 बजे से दोपहर 1.00 बजे तक काम बंद करके धरना-प्रदर्शन किया गया.

CREDAI और रियल एस्टेट व कंस्ट्रक्शन सेक्टर का प्रतिनिधित्व करनेवाले एसोसिएशनों से भी इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लेने की अपील की गयी थी. “सीमेंट व स्टील की क़ीमतों में कृत्रिम बढ़ोत्तरी के ज़रिए कंस्ट्रक्शन उद्योग से जुड़ी सर्वोच्च संस्था सिविल कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री की हत्या की जा रही है”, ” सीमेंट व स्टील की क़ीमतों में कृत्रिम वृद्धि के विरोध में देशभर में कंस्ट्रक्शन की गतिविधियों पर रोक”, “बीएआई कृत्रिम ढंग से दामों में वृद्धि पर लगाम लगाने के लिए स्टील व सीमेंट रेग्युलेटरी अथॉरिटी के गठन की‌ मांग करता है”, “सीमेंट व स्टील के दामों में कृत्रिम वृद्धि से ख़तरे में हैं जनकल्याणकारी ढांचागत परियोजनाएं” जैसे नारों के साथ देशभर के विभिन्न स्थानों पर लोगों ने इस विरोध प्रदर्शन में हिस्सा लिया.

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (बीएआई) के अध्यक्ष श्री मू मोहन कहते हैं कि बीएआई लगातार विभिन्न मंचों पर स्टील व सीमेंट उद्योग द्वारा अपनाई जा रही कार्टलाइज़ेशन‌ की कुप्रथा के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ उठाता रहा है. उन्होंने‌ कहा कि इसे लेकर बीएआई क़ानूनी लड़ाई भी लड़ता रहा है और सरकार से जुड़ी तमाम संस्थाओं से भी इसकी शिकायत करता रहा है. बीएआई ने इसपर लगाम लगाने के लिए एक रेग्युलेटरी अथॉरिटी के गठन की भी मांग की है ताकि इस अनैतिक प्रथा पर रोक लगे जिससे सामान्य लोगों को दिक़्क़तों का सामना करना पड़ रहा है और देश के विकास में बाधा उत्पन्न हो रही है.

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (बीएआई) के अध्यक्ष श्री मू मोहन ने कहा,”इस विरोध प्रदर्शन में सभी हितधारकों और उनसे जुड़े सभी अहम स्थानीय समूहों व संस्थाओं ने वजह हिस्सा लिया और इस अनुचित व अनैतिक चलन का जमकर विरोध किया. हम सभी स्टील व सीमेंट की बढ़ी हुई क़ीमतों का दंश झेल रहे हैं. ऐसे में इस विरोध प्रदर्शन में सभी ने बढ़ चढ़कर हिस्सा लिया. कंस्ट्रक्शन व इससे जुड़ी अन्य गतिविधियों की लागत में किसी भी तरह की वद्धि नहीं होने के बावजूद भी सीमेंट की क़ीमतों में असामान्य तरीके से हो रही वृद्धि को लेकर हम बार बार सरकार से उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग करते रहे हैं. सीमेंट निर्माता कंपनियों के ऐसे अनैतिक व्यवहार से उत्पन्न हुई समस्या का दीर्घकालिक हल निकाला जाना‌ ज़रूरी है.

बीएआई के‌ राष्ट्रीय जनरल सेक्रेटरी श्री प्रदीप नागवेकर ने कहा कि इस विरोध प्रदर्शन‌ में सभी राज्यों ने हिस्सा लिया मगर इसमें शामिल हुए सभी शहरों का रवैया अधिक आक्रामक था. उन्होंने कहा, “कॉम्पीटिशन कमीशन‌ ऑफ़ इंडिया (CCI), मोनोपोलिज़ ऐंड रेस्ट्रेटिव ट्रेड प्रैक्टिसेस कमीशन, पार्लियामेंट्री स्टैंडिंग कमिटी ऑफ़ मिनिस्ट्री ऑफ़ कॉमर्स जैसी तमाम विभिन्न न्यायिक एवं अर्ध-न्यायिक संस्थाओं ने‌ अपनी तमाम रपटों में स्टील एवं सीमेंट उद्योग द्वारा अपनाए जा रहे तरीकों को ग़ैर वाजिब और अनैतिक ठहराया है. इस सबके बावजूद भी सालों से मुनाफ़ाखोरी‌ का ये चलन जारी है. उन्होंने कहा कि ऐसे में सरकार की ओर से तत्वरित रूप से ठोस कार्रवाई किये जाने से कंस्ट्रक्शन उद्योग और इस उद्योग से जुड़े लगभग 6 करोड़ लोगों पर छाया रोज़गार का संकट दूर हो सकेगा. क़ीमतों में अनुचित बढ़ोत्तरी के चलते कंस्ट्रक्शन उद्योग के बंद होने की नौबत आ गयी है. यह उद्योग बड़े पैमाने पर किफ़ायती घरों के निर्माण में भी संलग्न रहता है और इसपर भी बड़े हुए दामों की मार पड़ रही है.

हाल ही में सड़क‌ परिवहन‌ मंत्री नितिन गडकरी ने भी यह आरोप लगाया था कि स्टील व सीमेंट उद्योग कार्टलाइज़ेशन‌ में संलग्न हैं. उन्होंने कहा था, “हर स्टील कंपनी के पास लौह उत्खनन की व्यवस्था है और इसके लेबर एवं बिजली की लागत में कोई बढ़ोत्तरी नहीं हुई है मगर फिर भी वे दामों में बढ़ोत्तरी किये जा रहे हैं. ऐसे में क़ीमतों में बढ़ोत्तरी मेरी समझ से परे है. मैं प्रधानमंत्री से मिलकर इस उद्योग के लिए रेग्युलेटरी अथॉरिटी के बनाये जाने की मांग करनेवाला हूं.”

स्टील का इस्तेमाल करनेवाली कंपनियां इस अनुचित बढ़ोत्तरी को लेकर अपना पुरज़ोर विरोध दर्ज़ करा रही हैं. स्टील कई अहम उद्योगों के लिए एक बेहद अहम सामाग्री के तौर पर इस्तेमाल किया जाता है जिसमें ऑटो, रियल एस्टेट और कंस्ट्रक्शन उद्योग का समावेश है. स्टील की क़ीमतों में बढ़ोत्तरी के बाद रियल एस्टेट को अपने मुनाफ़े में 6 फ़ीसदी तक की कमी आने की आशंका सता रही है.

 इंडस्ड्री से जुड़ी संस्था CREDAI ने इस पूरे मसले को लेकर जनवरी‌ महीने में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक ख़त लिखा था जिसमें बताया गया था कि किस तरह से स्टील एवं सीमेंट की निर्माता कंपनियां कार्टलाइज़ेशन में संलग्न हैं. CREDAI ने लिखा था, “स्टील, सीमेंट और अन्य कच्चे माल के कार्टलाइज़ेशन‌ के चलते दामों में लगातार वृद्धि दर्ज की जा रही है. ऐसे में रियल स्टेट के कारोबार से जुड़े बिल्डरों को निर्माण कार्य की लागत में हो रही अनुचित बढ़ोत्तरी से उत्पन्न हुए संकट से गुज़रना पड़ रहा है. ऐसे में बिल्डरों को अपने ग्राहकों को भी इस बढ़ोत्तरी के बारे में समझाने में काफ़ी दिक़्कतों का सामना करना पड़ रहा है.

बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ़ इंडिया (बीएआई) इंज़ीनियरिंग, कंस्ट्रक्शन,‌ कॉन्ट्रैक्टरों और रियल एस्टेट‌ कंपनियों से संबद्ध एक सर्वोच्च संस्था है जिसकी स्थापना 1941 में की गयी थी. देशभर‌ में फैली इसकी 200 शाखाओं के ज़रिए तकरीबन 20,000 लोग इसके सदस्य हैं. बीएआई से जुड़े क्षेत्रीय एसोसिएशन के सदस्यों की संख्या 10,000 से ज़्यादा है.

कंस्ट्रक्शन देश की जीडीपी के विकास में अहम योगदान देनेवाली गतिविधि है जिसका कुल योजनाओं में हिस्सा 50 फ़ीसदी तक है. बीएआई का संबंध 400 सहयोगी उद्योगों से है. कंस्ट्रक्शन से जुड़े उद्योग में 6 करोड़ लोग काम करते हैं और कृषि क्षेत्र के बाद यह रोज़गार मुहैया करानेवाला सबसे बड़ा उद्योग है.

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