इंफाल। मणिपुर के कई जिलों में तनाव व्याप्त है और सेना तथा केंद्रीय अर्ध-सैन्य बल संघर्षग्रस्त क्षेत्रों में निगरानी रखे हुए हैं। सबसे अशांत चुराचांदपुर जिले में प्रशासन ने रविवार सुबह तीन घंटे के लिए कर्फ्यू में ढील दी गई। चुराचांदपुर के जिलाधिकारी शरथ चंद्र अरोजू ने एक अधिसूचना में कहा कि आगे ढील देने के बारे में समीक्षा की जाएगी और मौजूदा कानून-व्यवस्था की स्थिति के आकलन के आधार पर अधिसूचित किया जाएगा। मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने एक ट्वीट में कहा, चुराचांदपुर जिले में कानून व्यवस्था की स्थिति में सुधार और राज्य सरकार तथा विभिन्न हितधारकों के बीच बातचीत के बाद, मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि कर्फ्यू में आंशिक रूप से ढील दी जाएगी..।
रविवार को जारी रक्षा विज्ञप्ति में कहा गया है, सेना और असम राइफल्स के 120-125 कॉलम के प्रयासों के कारण आशा की किरण दिखी है, जो पिछले 96 घंटों से सभी समुदायों के नागरिकों को बचाने, हिंसा पर अंकुश लगाने और सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए अथक प्रयास कर रहे हैं। हिंसा की कोई बड़ी घटना नहीं हुई है और इसलिए चुराचांदपुर में रविवार सुबह 7-10 बजे तक ढील दी जा रही है। उसके तुरंत बाद सुरक्षा बलों द्वारा फ्लैग मार्च किया जाएगा।
पिछले 24 घंटों में सेना ने इंफाल घाटी के भीतर मानव रहित विमानों और सेना के हेलीकॉप्टरों के माध्यम से हवाई निगरानी बढ़ा दी। सूत्रों ने कहा कि अब तक 23,000 से अधिक नागरिकों को बचाया जा चुका है और उन्हें सैन्य ठिकानों और सैन्य चौकियों में ले जाया गया है। मणिपुर में चल रही अशांति के मद्देनजर, दो हजार से अधिक पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने सीमा पार कर असम के कछार जिले में प्रवेश किया है और सरकार द्वारा प्रायोजित सात शिविरों में शरण ली है और 200 से अधिक लोगों, जिनमें ज्यादातर महिलाएं और बच्चे हैं, ने मिजोरम के सैतुअल और वैरेंगटे जिलों में शरण ली है।
मणिपुर सरकार के नवनियुक्त सुरक्षा सलाहकार, सीआरपीएफ के पूर्व प्रमुख कुलदीप सिंह ने कहा कि मणिपुर के विभिन्न जिलों में जातीय हिंसा की घटनाओं में कम से कम 28 से 30 लोग मारे गए। हालांकि, स्थानीय मीडिया ने अस्पताल सूत्रों के हवाले से कहा कि तीन मई से कम से कम छह जिलों में प्रतिद्वंद्वी जातीय समूहों द्वारा किए गए हमलों और जवाबी हमलों में महिलाओं सहित कम से कम 50 से 55 लोग मारे गए हैं।