पटना/नयी दिल्ली। बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को सीबीआई ने कथित ‘नौकरी के बदले जमीन’ घोटाले की जांच में शामिल होने के लिए तीसरी बार राष्ट्रीय राजधानी में तलब किया, लेकिन वह पेश नहीं हुए। जांच एजेंसी के सूत्रों ने यह जानकारी दी। यह उन्हें जारी किया गया यह तीसरा नोटिस था, जिसे उन्होंने नजरअंदाज कर दिया। इससे पहले तेजस्वी यादव को 4 और 11 मार्च को जांच में शामिल होने के लिए बुलाया गया था और पिछले समन पर पत्नी की तबीयत खराब होने का हवाला देकर वह जांच में शामिल नहीं हुए थे।
अब केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) आने वाले दिनों में उन्हें नया समन भेजेगी। एजेंसी ने हाल ही में उनकी मां और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और पिता और पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव से इस मामले में पूछताछ की थी। सीबीआई ने आरोप लगाया है कि यह पाया गया कि आरोपियों ने मध्य रेलवे के तत्कालीन जीएम और सीपीओ के साथ साजिश रचकर जमीन के बदले में या तो अपने परिवार के करीबी रिश्तेदारों के नाम पर लोगों को नियुक्त किया।
सीबीआई ने अज्ञात लोक सेवकों और निजी व्यक्तियों सहित लालू प्रसाद यादव, उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों और 15 अन्य के खिलाफ मामला दर्ज किया था। एक अधिकारी ने कहा, “2004-2009 की अवधि के दौरान लालू यादव ने रेलवे के विभिन्न क्षेत्रों में समूह ‘डी’ पदों पर नियुक्ति के बदले अपने परिवार के सदस्यों के नाम पर जमीन-जायदाद के हस्तांतरण के रूप में आर्थिक लाभ प्राप्त किया था।”
सीबीआई के अनुसार, पटना के कई निवासियों ने खुद या अपने परिवार के सदस्यों के माध्यम से लालू प्रसाद यादव के परिवार के सदस्यों और उनके व उनके परिवार द्वारा नियंत्रित एक निजी कंपनी के पक्ष में अपनी जमीन बेच दी और उपहार में दे दी। एजेंसी ने कहा, “जोनल रेलवे में स्थानापन्न की ऐसी नियुक्ति के लिए कोई विज्ञापन या कोई सार्वजनिक नोटिस जारी नहीं किया गया था, फिर भी पटना के निवासी नियुक्त लोगों को मुंबई, जबलपुर, कोलकाता, जयपुर और हाजीपुर में स्थित विभिन्न क्षेत्रीय रेलवे में स्थानापन्न के रूप में नियुक्त किया गया था।”
“इस कार्यप्रणाली को जारी रखते हुए पटना में स्थित लगभग 1,05,292 वर्ग फुट भूमि, अचल संपत्तियों को यादव और उनके परिवार के सदस्यों द्वारा पांच सेल डीड और दो गिफ्ट डीड के जरिए जमीन अधिग्रहीत की गई थी, जिसमें अधिकांश में विक्रेता को किया गया भुगतान दर्शाया गया था।”