विनय सिंह बैस की कलम से : खेती 1994 बनाम 2024

छोटा भाई : भैया क्या आपको पता है कि बड़े-बड़े कास्तकार जिनका धान खेत से

विनय सिंह बैस की कलम से- लोक आस्था का महापर्व छठ

नई दिल्ली। लोक आस्था का महापर्व छठ मुझे इसलिए बेहद पसंद है क्योंकि बाजारीकरण का

विनय सिंह बैस की कलम से : लोक गायिका शारदा सिन्हा

नई दिल्ली। बैसवारा में छठ नहीं मनाई जाती, भोजपुरी और मैथिली भी नहीं बोली जाती।

विनय सिंह बैस की कलम से- बचपन वाली दीवाली!!

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। बचपन की दीपावली का मतलब छोटी दीवाली, बड़ी दिवाली और

विनय सिंह बैस की कलम से : कातिक आने को है!!

नई दिल्ली। अब सुबह घास में पड़ने वाली ओस सूरज की पहली किरण पड़ते ही

विनय सिंह बैस की कलम से : नीलकंठ

नई दिल्ली। पौराणिक मान्यता है कि विजयदशमी की तिथि को भगवान श्रीराम ने राक्षस रावण

विनय सिंह बैस की कलम से : ‘बरी’ उर्फ ‘उसरहा’ गांव

रायबरेली। रायबरेली जिले के लालगंज बैसवारा कस्बे से छह किलोमीटर दूर स्थित ‘बरी’ गांव को

विनय सिंह बैस की कलम से : हमारे दो गोई बैल!!

विनय सिंह बैस, नई दिल्ली। हमारे गांव बरी वाले घर में दो गोई (जोड़ी) यानी

बंगालियों के लिए दुर्गा पूजा उत्साह, उमंग और आनंद का महापर्व है

“अयि गिरिनन्दिनि नन्दितमेदिनि विश्वविनोदिनि नन्द नुते। गिरिवरविन्ध्यशिरोऽधिनिवासिनि विष्णुविलासिनि जिष्णुनुते।। भगवति हे शितिकण्ठकुटुम्बिनि भूरिकुटुम्बिनि भूरिकृते। जय

कुआर आ गया है!!

विनय सिंह बैस, रायबरेली। ओस सुबह-सवेरे घास पर मोतियों सी बिखरने लगी है। बारिश के