बढ़ते दमतक सेवा समितियों की आड़ में खेल- प्राकृतिक संपदा व डोनेशन का घालमेल- समाज सेवा में फेल!

समाज सेवा में व्यक्तिगत हित को त्यागकर सामूहिक हित की नीति अपनाना सच्ची सेवा है