बढ़ते दमतक सेवा समितियों की आड़ में खेल- प्राकृतिक संपदा व डोनेशन का घालमेल- समाज सेवा में फेल!

समाज सेवा में व्यक्तिगत हित को त्यागकर सामूहिक हित की नीति अपनाना सच्ची सेवा है
सामाजिक सेवा समितियों पंचायतों व संस्थाओं को समाज के हितों को ध्यान में रखकर स्वार्थ त्यागकर सेवा सर्वोपरि के मूल मंत्रपर चलना जरूरी- एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी गोंदिया

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी, गोंदिया, महाराष्ट्र। वैश्विक स्तर पर दुनियां के करीब-करीब हर देश में मानव सेवा में समर्पित अनेक छोटी से बड़ी सेवा संस्थाएं, समितियां, संगठन, सेवादारी या फिर सामाजिक स्तर पर अनेक पंचायतें, खाप पंचायते, सेवा संघ, हितार्थ संघ व समितियां होती है, जो निस्वार्थ रूप से अलग-अलग क्षेत्र में मानव सेवा का बीड़ा उठाए हुए हैं। जिसमें उन्होंने अपना पूरा जीवन समर्पित कर दिया है, जो कि काबिले तारीफ है। परंतु उनके पीछे जो अनेक ऐसे व्यक्तित्व या संस्थाएं हैं उन्हें वित्तीय सहायता प्रदान करते हैं, ऐसे भी महामानवों की छिपी सेवा को मानव समाज में रेखांकित करना जरूरी है, क्योंकि वे तन से नहीं पर धन से, धन देकर पुण्य में भागीदार बन रहे हैं। मैंने अपनी राइस सिटी गोंदिया में भी ऐसे संगठन संस्थाएं देखे हैं जो पूर्ण रूप से पर्दे के पीछे सेवा में समर्पित हैं, उनका कुछ प्रचार नहीं है। जिनमें एक समिति का सराहनीय कार्य यह है कि, समाज में यदि किसी परिवार में किसी सदस्य की मृत्यु हो जाती है तो स्वाभाविक है वहां खाना नहीं बनता, इसलिए यह संगठन संस्था उस परिवार में जाकर मेहमानों सहित सदस्यों की जानकारी लेकर उतने व्यक्तियों का भोजन नि:शुल्क सेवा भाव से देकर आते हैं, चाहे गरीब हो या अमीर सभी के लिए यह सेवा है, हम जानते हैं की मृत्यु की कोई समय सीमा नहीं है कभी भी मृत्यु हो सकती है परंतु यह संगठन तत्परता से उस दुखी घर में पहुंचकर यह सेवा प्रदान करता है जो काबिले तारीफ है।

दूसरा संगठन यदि समाज में किसी व्यक्ति के किसी प्रोग्राम लंगर या भंडारे में भोजन बच जाता है, तो फोन से सूचना प्राप्त कर उनके सदस्य वहां पहुंचते हैं और वह बचा हुआ भोजन लेकर, रेलवे स्टेशन या बस स्थानक या गरीबों की बस्तियों, शेल्टर हाउस में जाकर उन्हें वह भोजन खिलाते हैं उनकी भूख तृप्ति करते हैं जो सेवा काबिले तारीफ सेवा है। परंतु बदलते परिवेश में बढ़ते दमतक स्वार्थ, लालच व सिर्फ मेरा मेरा मैं ही संस्थापक हूं यह मानवीय सोच ने इस पवित्र सेवा क्रम में भी परिवर्तन ला दिया है। जिसमें कुछ तथाकथित संस्थापक, सेवादारी या एक कोई बढ़ते दमतक सेवा समिति खड़ी कर अपने आप को बहुत बड़ा मानवीय सेवक समाज सेवक सेवा का व्यक्तित्व बताने से बाज नहीं आते। पर्दे के पीछे उसे किसी गैर कानूनी खेल, प्राकृतिक संपदा, डोनेशन का घालमेल का खेल करते हैं और सामने में उस बढ़ते दमतक सेवा समिति की आड़ में क्षेत्रीय नेताओं, विधायकों से पैठ जमाते हैं, ताकि उनके इस प्राकृतिक संपदा, घालमेल या कुकर्म में कोई बाधा उत्पन्न ना हो, इसलिए समाज की शीर्ष सामाजिक संस्था व पंचायतों को इसे रेखांकित करना होगा तथा ऐसे समितियों से समाज को सावधान रखकर उनकी इस चाल को रेखांकित कर देश की हर पवित्र, पावन, सच्ची देशभक्ति सेवा समिति को तत्परता से ध्यान देने व प्रोत्साहित करने की जरूरत है, ताकि उसे तथाकथित सेवा के माध्यम से छुपे सफेदपोशों के स्वार्थी ख्वाबों का भांडा फोड़ा जा सके।

बता दें,17 जुलाई, 2023 तक देश में वैध एफसीआरए लाइसेंस वाले 16,301 एनजीओ थे। केंद्र ने कानून के उल्लंघन के लिए पिछले पांच वर्षों में 6,600 से अधिक एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। कुल मिलाकर, बीते दशक में 20,693 एनजीओ के एफसीआरए लाइसेंस रद्द कर दिए गए हैं। गृह मंत्रालय ने विदेशी अनुदान के दुरुपयोग और अन्य कारणों का हवाला देते हुए उचित प्रक्रिया का पालन करने के बाद पांच जानेमाने गैर सरकारी संगठनों के विदेशी अंशदान विनियमन अधिनियम लाइसेंस रद्द कर दिए हैं। इसलिए आज इस विषय पर आलेख लिखने का विचार मेरे दिमाग में आया क्योंकि 7 मई 2024 को ही माननीय सुप्रीम कोर्ट का तथाकथित अवैध रेत खनन से संबंधित एक मनी लडिंग जांच के संबंध में तमिलनाडु के पांच जिलों के कलेक्टरों को अनावश्यक परेशान नहीं करने को कहा तो दूसरी ओर दिनांक 7 मई 2024 को ही राइस सिटी गोंदिया जिला के गोरेगांव के तहसीलदार व नायब तहसीलदार को रेत से लदे टिप्परों की चेकिंग के बाद सीज कर वाहनों के मालिकों को जुर्माने के रूप में 123833 का चालन बैंक से भरने का आदेश दिया परंतु उसके बावजूद एक लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में सबूत जुटाने के बाद एंटी करप्शन ब्यूरो ने उन पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज कर उनको गिरफ्तार कर लिया।

उल्लेखनीय है कि यह तहसीलदार 2017 में भी ठाणे महाराष्ट्र का तहसीलदार के रूप में कार्यरत थे और उस समय का भी 10 लाख की रिश्वत का मामला ठाणे सिटी पुलिस में भी दर्ज है ऐसा उनकी गिरफ्तारी के बाद मीडिया में रिपोर्ट किया गया, यह हम इसलिए कोट कर रहे हैं कि गैरकानूनी रेत खनन के व्यक्तित्व सेवा समितियां बनाकर उसकी आड़ में समाज सेवा का काम करते हैं। इसलिए मैंने सेवा समितियों के बारे में जांच की तो उनमें रेत व प्रकृतिक संपदा खनन से संबंधित कारोबारी को भी पाया, इसलिए आज हम मीडिया में उपलब्ध जानकारी के सहयोग से इस आलेख के माध्यम से चर्चा करेंगे, बढ़ते दमतक सेवा समितियों की आड़ में खेल, प्राकृतिक संपदा, डोनेशन का घालमेल, समाज सेवा में फेल, इसलिए सामाजिक सेवा समितियों पंचायतों व संस्थाओं को समाज के हित को ध्यान में रखकर स्वार्थ को त्यागकर सेवा सर्वोपरि के मूल मंत्र पर चलना जरूरी है।

साथियों बात अगर हम समाज और सामाजिक संस्थाओं को जानने की करें तो, आधुनिक समाज में सामाजिक संस्थाओं का लक्ष्य एक संरचना बनाना है, हालाकि प्रत्येक समाज इन सामाजिक संस्थाओं की संरचना में भिन्न हो सकता है। अधिकांश समाजों में पाँच प्रमुख सामाजिक संस्थाएँ हैं : परिवार, अर्थव्यवस्था, धर्म, शिक्षा, सरकार या राज्य प्रत्येक सामाजिक संस्था के अलग-अलग उद्देश्य होते हैं और अलग-अलग सामाजिक भूमिकाएँ निर्धारित होती हैं। संस्थाओं के अपने सांस्कृतिक प्रतीक होते हैं जो समय के साथ कायम रहते हैं। उदाहरण के लिए, विश्वविद्यालयों या स्कूलों जैसे शैक्षणिक संस्थानों का अपना शुभंकर और पहचान होती है। सरकारी संस्थानों के अपने रीति-रिवाज और प्रक्रियाएं होती हैं जिनका नागरिक उनके गठबंधन के हिस्से के रूप में पालन करते हैं। दुनिया भर के समाजों में सामाजिक संस्थाओं का एक अलग पदानुक्रम हो सकता है जो उनकी संस्कृति और दैनिक जीवन को प्रभावित करते हैं। संयुक्त राज्य अमेरिका के कुछ हिस्सों में, इस बात के प्रमाण हैं कि धार्मिक संस्थाएँ उनके शैक्षणिक संस्थानों को प्रभावित करती हैं। इसका प्रभाव पाठ्यक्रम के विकल्पों, सामाजिक अपेक्षाओं और यहां तक ​​कि उपलब्ध स्कूली शिक्षा विकल्पों में भी देखा जाता है। एक सामाजिक संस्था सामाजिक मानदंडों और सामाजिक भूमिकाओं की एक परस्पर संबंधित प्रणाली है जो व्यवस्थित होती है और व्यवहार के पैटर्न प्रदान करती है जो समाज की बुनियादी सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा करने में योगदान करती है। उदाहरण के लिए, समाज को कानून, शिक्षा और एक आर्थिक व्यवस्था की आवश्यकता होती है। एक सामाजिक संस्था एक ऐसा समूह है जो किसी समाज में एक विशिष्ट कार्य या उद्देश्य को पूरा करता है। सामाजिक संस्थाएं लोगों को एक साथ लाती हैं और उन्हें सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं। वे समाज की संरचना और कार्यप्रणाली को भी आकार देती हैं। सामाजिक संस्थाओं के कई कार्य होते हैं, जैसे सामाजिक संस्थाएं लोगों को एक साथ लाती हैं और उन्हें सामान्य लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करती हैं।सामाजिक संस्थाएं सामाजिक नियंत्रण प्रदान करती हैं, जिसका अर्थ है कि वे लोगों को अनुचित या हानिकारक व्यवहार से रोकती हैं। सामाजिक संस्थाएं सामाजिक परिवर्तन को भी बढ़ावा दे सकती हैं।

साथियों बात अगर हम संस्था/संगठन के रजिस्ट्रेशन की विधि को जानने की करें तो, संस्था के रजिस्ट्रेशन के पूर्व संस्था का विधान तैयार कर लें, उसका स्वरूप आपने क्या निर्धारित किया है, संस्था के कितने सदस्य है, संस्था की सामान्य सदस्यों की साधारण सभा होगी, यह सभा संस्था के पदाधिकारी व कार्यकारिणी का चुनाव करेगी। विधान में उद्देश्य स्पष्ट होंगे। इस संस्था को आप एक ट्रस्ट बनाना चाहते हैं या सोसायटी। तदनुसार ट्रस्ट एक्ट या सोसायटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत आप रजिस्ट्रार कार्यालय में आवेदन करें। उसमें आपने जो गठन की प्रक्रिया की है उसका उल्लेख हो, अच्छा हो कि इस काम में आप किसी योग्य वकील की सेवाएं ले लें तो काफी आसानी होगी। रजिस्ट्रार महोदय आपसे आपकी प्रस्तावित संस्था के बारे में आवश्यक जानकारियां मांग सकते है, कुछ स्पष्टीकरण मांग सकते हैं, पंजीकरण के लिए निर्धारित शुल्क लगेगा।

संस्था रजिस्ट्रीकरण अधिनियम, 1958 की धारा 1-ख के प्रावधानानुसार किसी साहित्यिक, वैज्ञानिक या पूर्त प्रयोजन के लिए या किसी ऐसे प्रयोजन के लिए जो धारा 20 में वर्णित है, सहयुक्त कोई सात या अधिक व्यक्ति एक संगम के ज्ञापन में अपने नाम हस्ताक्षरित करके और उसेरजिस्ट्रार के पास दाखिल करके इस अधिनियम के अधीन अपने आपको सोसाइटी के रूप में गठित कर सकेंगे। उक्त अधिनियम की धारा 2 (1) के प्रावधानानुसार संगम के ज्ञापन में निम्नलिखित बाते होगी, अर्थात्, (क) सोसाइटी का नाम, (ख) सोसाइटी के उद्धेश्य, (ग) परिषद्, समिति या अन्य शासी निकाय के, जिनको कि सोसायटी के नियमों और विनियमों द्वारा उसके काम-काज का प्रबन्ध सौपा गया है, व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों, सदस्यों (जिस किसी भी नाम द्वारा उन्हें पदाविहित किया जावे) के नाम, पते और उपजीविकाएं। साथ ही उक्त अधिनियम की धारा 2(2) में प्रावधान है कि सोसाइटी के नियमों और विनियमों की एक प्रति जो शासी निकाय के व्यवस्थापकों, निदेशकों, न्यासियों या सदस्यों में से तीन से अन्यून द्वारा सही प्रति के रूप में प्रमाणित हो, संगम के ज्ञापन के साथ प्रस्तुत की जायेगी।

आवेदन पत्र के साथ संलग्न किये जाने वाले आवश्यक दस्तावेजों की सूची व ध्यान रखने योग्य बातें सभी आवेदक एवं शासी निकाय (कार्य कारिणी) सदस्यों के आधार कार्ड संख्या, संस्था के उद्देश्य संस्था के नियम एवं विनियम विभागीय वेबसाईट पर उपलब्ध प्रारूप में आवेदकों की सुविधा हेतु प्रस्तावित सोसाइटी के उद्देश्य एवं नियम और विनियम का सुझावात्मक प्रारूप डाउनलोड किये जा सकने की सुविधा उपलब्ध करवाई गई है। आवेदक चाहे तो स्वयं के स्तर से अधिनियम के प्रावधानों से सुसंगत रहकर तैयार किये गये उद्देश्य एवं नियम और विनियम तीन पदाधिकारियों द्वारा हस्ताक्षरित रूप में पी.डी.एफ. फाॅर्मेट में ऑनलाइन आवेदन के साथ यथास्थान अपलोड कर सकते हैं। ऑनलाइन पंजीयन हेतु संस्था के सभी आवेदक सदस्यों एवं कार्यकारिणी सदस्यों के आधार कार्ड नंबर अनिवार्य होंगे जो ऑनलाइन आवेदन में भरने होंगे।आधार कार्ड का ओ.टी.पी. संबंधित मोबाईल नम्बर पर प्राप्त कर उसको ऑनलाइन पंजीयन हेतु फीड करना होगा, ताकि आवेदन पत्र भरा जा सके।

एडवोकेट किशन सनमुखदास भावनानी : संकलनकर्ता, लेखक, कवि, स्तंभकार, चिंतक, कानून लेखक, कर विशेषज्ञ

अतः अगर हम उपरोक्त पूरे विवरण का अध्ययन कर इसका विश्लेषण करें तो हम पाएंगे कि बढ़ते दमतक सेवा समितियों की आड़ में खेल-प्राकृतिक संपदा, डोनेशन का घालमेल समाज सेवा में फेल। समाज सेवा में व्यक्तिगत हित को त्यागकर सामूहिक हित की नीति अपनाना सच्ची सेवा है सामाजिक सेवा समितियों पंचायतों व संस्थाओं को समाज के हितों को ध्यान में रखकर, स्वार्थ त्यागकर सेवा सर्वोपरि के मूल मंत्र पर चलना जरूरी है।

(स्पष्टीकरण : इस आलेख में दिए गए विचार लेखक के हैं और इसे ज्यों का त्यों प्रस्तुत किया गया है।)

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