साक्षात्कार : बाधाएँ कब रोक सकीं हैं आगे बढ़ने वालों को

बिनय कुमार शुक्ल, कोलकाता। मैथिलीशरण गुप्त जी ने कहीं लिखा है “जितने कष्ट-संकटों में है